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    5 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं मिलेगा कफ सिरप, एमपी-राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद एडवाइजरी जारी

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 09:13 AM (IST)

    राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की कफ सिरप से हुई मौतों के बाद 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न देने की सलाह जारी की गई है। अब डॉक्टर भी बच्चों के लिए कफ सिरप नहीं लिख पाएंगे और मेडिकल स्टोर बिना पर्ची के इसे नहीं बेच सकेंगे। स्वास्थ्य विभाग और औषधि विभाग इस पर निगरानी रखेंगे।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, आगरा। कफ सिरप पीने से राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में कफ सिरप न देने की एडवाइजरी जारी की गई है। इसके बाद कोई भी चिकित्सक बच्चों के लिए कफ सिरप नहीं लिख सकेगा। वहीं, मेडिकल स्टोर से भी डॉक्टर के पर्चे के बिना कफ सिरप की बिक्री नहीं की जाएगी।

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    स्वास्थ्य विभाग और औषधि विभाग की टीम इस पर नजर रखेंगी। खांसी एक सुरक्षात्मक तंत्र है। बलगम को बाहर निकलने से रोकना घातक हो सकता है।

    सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा जारी की गई एडवाइजरी के अनुसार, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों को कफ सिरप नहीं दिए जाने चाहिए। पांच वर्ष से अधिक आयु के बच्चों में भी कफ सिरप लक्षणों के आधार पर चिकित्सकीय मूल्यांकन करने के बाद दिए जाने चाहिए। अधिकांश मामलों में खांसी कुछ दिन में ठीक हो जाती है। भाप, तरल पदार्थ का ज्यादा सेवन और घरेलू नुस्खे इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

    सरकार ने निजी अस्पतालों को दिए निर्देश

    इसके लिए सरकारी, निजी अस्पतालों के साथ ही इंडियन एकेडमी आफ पिडियाट्रिक्स (आइएपी) आगरा के सदस्य बाल रोग विशेषज्ञों को अवगत करा दिया गया है। वहीं, मेडिकल स्टोर से भी बड़ी मात्रा में कफ सिरप की बिक्री डाक्टर के पर्चे के बिना की जाती है। एसएन मेडिकल कालेज के बाल रोग विशेषज्ञ डा. नीरज यादव ने बताया कि खांसी आना शरीर की प्रोटेक्टिव मैकेनिज्म है, खांसी इसलिए आती है कि फेफड़ों में बगलम है तो वह बाहर निकल जाए।

    बलगम बाहर नहीं निकलता

    दवा देखकर खांसी रोकने से बलगम बाहर नहीं निकलता है और फेफड़ों में संक्रमण बढ़ता जाता है। इसलिए बलगम पतला करने वाली दवा दी जाती है। खांसी रोकने वाले सिरप नहीं दिए जाते हैं। मगर, बड़ी संख्या में लोग मेडिकल स्टोर से सिरप लेकर बच्चों को दे देते हैं। इससे दो तीन दिन में ही बच्चों का संक्रमण बढ़ जाता है और गंभीर हालत में बच्चे को लेकर स्वजन अस्पताल पहुंचते हैं।

    होम्योपैथी में हर मरीज के लिए अलग दवा

    वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. कैलाश सारस्वत ने बताया कि होम्योपैथी की दवा हर मरीज के लिए अलग-अलग होती है। इसका कोई दुष्परिणाम नहीं होता है। हर दवा मरीज की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। पोस्ट वायरल संक्रमण के बाद आने वाली सूखी खांसी और बगलम बाली खांसी में होम्योपैथी की दवा के अच्छे रिजल्ट हैं। ऐसे मरीज जिनकी खांसी ठीक नहीं हो रही है वे होम्योपैथी का इलाज ले रहे हैं।