Move to Jagran APP

Monument in Agra: जसवंत सिंह की छतरी, रोचक है इतिहास मुगलिया शहर में एकमात्र राजपूताना स्मारक का

Monument in Agra जसवंत सिंह की छतरी का इतिहास शाहजहां के दरबार में सलाबत खां को मौत के घाट उतारने वाले अमर सिंह राठौड़ से जुड़ा है। बल्केश्वर में यमुना किनारे बना स्मारक एएसआइ द्वारा है संरक्षित राजा जसवंत सिंह ने कराया था निर्माण।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 08:52 AM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 08:52 AM (IST)
Monument in Agra: जसवंत सिंह की छतरी, रोचक है इतिहास मुगलिया शहर में एकमात्र राजपूताना स्मारक का
बल्केश्वर में यमुना किनारे बना स्मारक एएसआइ द्वारा है संरक्षित, राजा जसवंत सिंह ने कराया था निर्माण।

आगरा, जागरण संवाददाता। ताजनगरी में स्मारकों और पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है। मुगलकालीन स्मारकों के लिए प्रसिद्ध ताजनगरी में एकमात्र राजपूत स्मारक जसवंत सिंह की छतरी है। बल्केश्वर के रजवाड़ा में यमुना किनारे बने इस स्मारक का निर्माण राजा जसवंत सिंह ने कराया था। इसका इतिहास शहंशाह शाहजहां के दरबार में मीर बख्शी सलाबत खां को मौत के घाट उतारने वाले अमर सिंह राठौड़ से जुड़ा हुआ है। यहां अमर सिंह के शव के साथ उनकी पत्नी हाड़ा रानी सती हुई थीं।

loksabha election banner

बल्केश्वर में यमुना किनारे पर जसवंत सिंह की छतरी बनी हुई है। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा संरक्षित तो है, लेकिन उपेक्षित है। स्मारक की चहारदीवारी से सटकर निर्माण हो चुके हैं, जिससे यहां पर्यटक आसानी से नहीं पहुंच पाते हैं। स्मारक रेड सैंड स्टोन का बना हुअा है। इसमें मुगल और हिंदू वास्तुकला का मिश्रण नजर आता है। इसकी जालियां काफी खूबसूरत हैं। इसके तीन प्रवेश द्वार हैं। बुर्ज पर सुंदर छतरियां बनी हुई हैं। दीवारों पर बेल-बूटों की आकर्षक कार्विंग का काम है। इसके स्तंभों में मुगलकालीन स्थापत्य कला की झलक नजर आती है। छतरी के चारों ओर कभी बाग हुआ करता था और उसमें फव्वारे चला करते थे, लेकिन आज उनका अस्तित्व मिट चुका है।

इतिहास के पन्नों से

जोधपुर के राजा गजसिंह के बड़े बेटे अमर सिंह राठौड़ थे। पिता से मतभेद के चलते उन्होंने जोधपुर छोड़ दिया था। वो अच्छे योद्धा थे और शाहजहां के दरबार में बड़ी अहमियत रखते थे। वर्ष 1644 में जब वो छुट्टी से लौटे तो उन पर भारी जुर्माना लगा दिया गया। आगरा किला के दीवान-ए-आम में शाहजहां के मीर बख्शी सलाबत खां ने उनसे जुर्माना जमा कराने को कहते हुए टिप्पणी कर दी। इस पर अमर सिंह राठौड़ ने दरबार में ही उसे मौत के घाट उतार दिया। मुगल सैनिकों को परास्त कर वो किले से बाहर निकल गए। बाद में उनके साले अर्जुन सिंह ने धोखे से आगरा किला में बुलाकर उनकी हत्या करा दी। इतिहासविद राजकिशोर राजे बताते हैं कि अमर सिंह के शव के साथ उनकी पत्नी हाड़ा रानी सती हुई थीं। बल्केश्वर में जिस जगह पर वो सती हुई थीं, उस जगह राजा जसवंत सिंह ने उनकी स्मृति में छतरी बनवाई थी। यह छतरी बाद में उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध हो गई। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.