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    औरंगजेब और आगरा, इन दोनों ने छत्रपति शिवाजी को बड़ा संकल्‍प लेने की दी थी वजह

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 19 Feb 2022 07:27 AM (IST)

    आगरा में मुगल शहंशाह औरंगजेब की कैद में छपति शिवाजी ने लिया था हिंदू स्वराज्य का संकल्प। आगरा में 101 दिन तक रहे थे छत्रपति शिवाजी महाराज। राजा जयसिंह से पुरंदर की संधि के बाद आए थे आगरा।

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    छत्रपति शिवाजी आगरा में 101 दिन तक कैद में रहे थे, यहां ही उन्‍होंने हिंदू स्‍वराज्‍य का संकल्‍प लिया।

    आगरा, निर्लोष कुमार। मुगल काल में सीमित संसाधनों के बावजूद हिंदू स्वराज्य की स्थापना करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती शनिवार को है। हिंदू स्वराज्य की स्थापना का संकल्प उन्होंने आगरा में औरंगजेब की कैद में रहते हुए ही लिया था। यहां से बच निकलने के बाद उन्होंने इस संकल्प को पूरा भी किया।

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    इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब "औरंगजेब' में शिवाजी की आगरा यात्रा का वर्णन किया है। राजा जयसिंह से पुरंदर की संधि के बाद शिवाजी अपने दल के साथ 11 मई, 1666 को आगरा पहुंचे। आगरा की सीमा पर उन्होंने मुलकचंद की सराय पर डेरा डाला। 12 मई को शिवाजी आगरा किला के दीवान-ए-खास में औरंगजेब के दरबार में गए। यथोचित सम्मान नहीं मिलने पर वह नाराजगी जताकर लौट आए। औरंगजेब ने इसी दिन राजा जयसिंह के बेटे राम सिंह की छावनी के निकट सिद्दी फौलाद खां की निगरानी में उन्हें नजरबंद करने का आदेश किया। 16 मई को उन्हें रदंदाज खां के मकान पर ले जाने का आदेश हुआ। शिवाजी ने बीमारी का बहाना बनाकर गरीबों को फल बांटना शुरू कर दिया। 18 अगस्त को उन्हें राम सिंह की छावनी के निकट फिदाई हुसैन की हवेली में रखने का आदेश किया गया। 19 अगस्त को शिवाजी अपने पुत्र संभाजी के साथ फलों व मिठाइयों की टोकरी में बैठकर निकल गए। उनकी जगह हीरोजी फरजंद पलंग पर लेटे रहे। औरंगजेब को उनके बचकर निकलने की जानकारी 20 अगस्त को हो सकी। इस तरह शिवाजी का आगरा प्रवास 101 दिन का रहा। 12 सितंबर, 1666 को वह राजगढ़ पहुंचे। पुरानी व नई तिथियों की गणना में कुछ दिनों का अंतर होता है। कुछ इतिहासकारों ने शिवाजी के आगरा से बचकर निकलने की तिथि 13 व 16 अगस्त लिखी हैं।

    समिति ने किया कोठी मीना बाजार का दावा

    इतिहास संकलन समिति ने जयपुर म्यजियम में रखे आगरा के प्राचीन नक्शे व शोध के आधार पर यह दावा किया था कि फिदाई हुसैन की शहर के बाहर टीले पर स्थित जिस हवेली में शिवाजी को रखा गया था, वह कोठी मीना बाजार मैदान के नजदीक थी। अभिलेखाें में यह जगह आज भी कटरा सवाई राजा जयसिंह के नाम से दर्ज है। इसी आधार पर विधायक योेगेंद्र उपाध्याय ने कोठी मीना बाजार में शिवाजी की घुड़सवार प्रतिमा लगवाने, कोठी मीना बाजार को म्यूजियम के रूप में तब्दील करने की मांग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की थी। पांच सदस्यीय समिति अपनी रिपोर्ट शासन को भेज चुकी है। इतिहासविद् राजकिशोर राजे बताते हैं कि आगरा किला में शिवाजी को बंधक बनाकर रखे जाने का जिक्र इतिहास में कहीं नहीं मिलता है। इतिहासकारों ने शिवाजी को रामसिंह की हवेली के निकट रखे जाने की बात कही है। यह विवाद का विषय है कि रामसिंह की हवेली जयपुर हाउस में थी या फिर ताजगंज में।

    2001 में लगी थी प्रतिमा

    छत्रपति शिवाजी महाराज की आगरा किला के सामने तिराहे पर लगी प्रतिमा का अनावरण फरवरी, 2001 में तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने किया था।