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    Chhath Puja 2022: आस्था के साथ छठ पूजा में छुपा है विज्ञान भी, प्रकृति पूजा का सुंदर है उदाहरण

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 29 Oct 2022 10:19 AM (IST)

    Chhath Puja 2022 सूर्य की उपासना का पर्व छठ पूजा का है आज दूसरा दिन। छठ पर्व के चार दिन जीवन को आध्यात्मिक उन्नति पर ले जाते हैं साथ ही शरीर को निरोगी रहने के लिए आधार भी देते हैं।

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    आधुनिक वास्तु एवं एस्ट्रो विशेषज्ञ दीप्ति जैन से जानिए छठ पूजा का महत्व।

    आगरा, तनु गुप्ता। दाता को कृतज्ञता का भाव प्रकट करना मनुष्यता की निशानी है। सूर्य जो हमें निरंतर ऊर्जा प्रदान करता है उसे आभार व धन्यवाद करने हेतु 'छठ पूजा' का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व बिहार, झारखंड,पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, बेंगलुरु, चंडीगढ़ व नेपाल के कुछ राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। आधुनिक वास्तु एवं एस्ट्रो विशेषज्ञ दीप्ति जैन के अनुसार सूर्य देव के प्रति आभार प्रकट करने के इस त्यौहार को विक्रम संवत की कार्तिक की छठ को मनाते हैं। यह चार दिन का अलौकिक पर्व है। सूर्य व उनकी सहभागी उषा को अर्घ देकर, हम उनका आभार प्रकट करते हैं।

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    सूर्य छठ की पूजा करती है शरीर को बलिष्ठ

    सूर्य देव यश, सुख, समृद्धि, प्रगति व स्वास्थ्य देते हैं। शीत ऋतु से पूर्व मिलने वाली सूर्य की किरणें हमारे लिए शुद्ध विटामिन डी का स्रोत हैं। साथ ही नदी में लंबे समय तक सूर्य की किरणों के सामने खड़े होने से व्यक्ति के अंदर जैव विद्युत का प्रवाह होता है, जिससे व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता बढ़कर उसके शरीर की कार्य क्षमता बढ़ाती है। इस समय की सूर्य की किरणों से मिली ऊर्जा से श्वेत रक्त कणिका बेहतर रूप से काम करती हैं। साथ ही यह ऊर्जा हमारी ग्रंथियों को पुनः जागृत कर हारमोंस के स्त्राव को संतुलित करता है।

    आध्यात्मिक दृष्टि से है छठ पर्व महत्वपूर्ण

    आध्यात्मिक दृष्टि से देखो तो इस पर्व में बने पकवान को ईश्वर को अर्पण करने से हमारी मानसिक पीड़ा कम होती है। चावल व खीर बनाने व प्रसाद रूप में बांटने से व्यक्ति का चंद्रमा शुद्ध होकर उसके मस्तिष्क को संतुलित करता है। शुद्ध चंद्रमा हमें मानसिक चिंता से मुक्त करता है। व्यक्ति की एकाग्रता मजबूत होती है। डर व अवसाद से मुक्ति मिलती है। इस उत्सव के दौरान महिलाएं केसरिया रंग के सिंदूर का प्रयोग करती हैं जो कि उनके आज्ञा चक्र से प्रारंभ होते हुए सहस्त्रार चक्र की तरफ से मेरुदंड तक जाता है। इस सिंदूर में मिश्रित पारद महिला को शांति व ठंडक प्रदान करता है साथ ही इसका केसरिया रंग महिला के ज्ञान व शक्ति का संतुलन करता है।

    पाचन क्रिया होती है छठ पर्व के दौरान मजबूत

    व्रत करने से व्यक्ति की पाचन शक्ति मजबूत होती है। शरीर में मौजूद विषाणु का हरण होता है। व्रत उपरांत उगते सूरज को फल- फूल अर्पण करने से व्यक्ति के सभी ग्रह शुद्ध होकर उसे सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। जीवन में सुख, शांति, प्रेम और आनंद का प्रवाह शुरू हो जाता है।