Cyber Crime: पढ़ें कैसे चंबल का बीहड़ डाकुओं के गिरोह की जगह लैपटाप से लैस साइबर गैंग का बना गढ़
Cyber Crime झारखंड का मिनी जामताड़ा बन गया है आगरा के चंबल का बीहड़। रेंज साइबर सेल ने चंबल के 22 फीरोजाबाद के सात इटावा के तीन गांवों को किया था चिन्हित। साइबर क्राइम को रोकने के लिए गांवों में चलाया था जागरूकता अभियान।

आगरा, अली अब्बास। आगरा के चंबल का बीहड़ कभी हथियार उठाकर जंगलों कूदने वाले बागियों के लिए जाना जाता था। इन बागियों के चलते चंबल काे खौफ का पर्याय माना जाता था। मगर, 21वीं सदी में तकनीकी क्रांति के चलते हथियार की जगह लैपटाप ने ले ली। बंदूक के बल पर डकैती डालने वाले बदमाशों की जगह लैपटाप और इंटरनेट मीडिया के बल पर लूट करने वाले साइबर शातिरों ने चंबल के बीहड़ को अपना गढ़ बना लिया है। पुलिस और साइबर सेल एक साल के दौरान साइबर गैंग के 138 को गिरफ्तार करके जेल भेज चुके हैं । मगर, पुलिस एक गैंग को गिरफ्तार करती है, अगले ही दिन नया गैंग बनकर फिर से ठगी के खेल में जुट जाता है।
चंबल के बीहड़ से लगे जगनेर, बसई जगनेर, खेरा राठौर आदि थानाें में करीब एक साल पहले आइजी रेंज की साइबर सेल ने 22 गांवों को चिन्हित किया था। इसके अलावा सात गांव फीरोजाबाद और तीन गांव इटावा के थे। इन गांवों के कई सौ युवा इनमें 20 साल से लेकर 40 साल तक के ग्रामीण शामिल हैं। यह सभी हेलो गैंग के सदस्य के रूप में काम करते हैं। सबको उनके हिस्से का काम समझा दिया गया है। यह गैंग विभिन्न राज्यों में विज्ञापन देकर लोगों को अपने जाल में फांसते हैं। इसके बाद उनसे नौकरी, देशी और विदेशी लड़कियों से दोस्ती, स्पा सर्विसेज, मसाज पार्लर सर्विसेज आदि के लिए पंजीकरण शुल्क के रूप में दो से पांच हजार रुपये तक लेते हैं।
इन गांवों में सक्रिय हेलो गैंग पर अंकुश लगाने और ग्रामीण युवाओं को साइबर क्राइम से रोकने लिए करीब 11 महीने पहले आइजी रेंज द्वारा अभियान चलाया गया। गांव के बुजुर्गों के साथ चौपाल लगाकर यह बताया गया कि उनके परिवारों के कई सौ युवा साइबर क्राइम के रास्ते पर जाने-अनजाने चल पड़े हैं। समय रहते उन्हें नहीं रोका गया तो वह साइबर गैंग चलाने वाले सरगना के चंगुल में फंस कर पेशेवर अपराधी बन सकते हैं। इससे उनका भविष्य चौपट हो जाएगा। चौपाल में बुजुर्गों ने युवाओं को साइबर क्राइम के गलत रास्ते पर जाने से रोकने के प्रयास करने का अाश्वासन दिया था। मगर, इन अभियानों के बाद हेलो गैंग की कार्रवाई कुछ महीने के लिए ठप हो गई थीं । मगर, अब दोबारा यह धंधा शुरू कर दिया है।जामताड़ा की तरह यहां पर भी करीब दो दर्जन गैंग हैं। पुलिस एक दर्जन गैंग का पर्दाफाश करके अब तक उसके 138 सदस्यों को गिरफ्तार करके जेल भेज चुकी है।इसके बावजूद इसके सदस्यों की संख्या अभ्री भी कई दर्जन बताई जाती है।
पीड़ितों के गवाही को नहीं आने पर बढ़ रहा दुस्साहस
हेलो गैंग उत्तर प्रदेश में दूर दराज के जिलों और राज्यों के लोगों से ठगी करता है। यह रकम दो से पांच हजार रुपये तक होती है। इसके चलते पुलिस की कार्रवाई के बावजूद पीडित मुकदमा दर्ज कराने या गवाही के लिए सामने नहीं आता है। पीड़ित को लगता है कि इतनी छोटी रकम के लिए वह गवाही में जाएगा। देशी-विदेशी लड़कियों से बातचीत करने या अन्य मामलों में पंजीकरण के रूप में फीस जमा कराई है, यह बताने पर समाज में उसकी प्रतिष्ठा धूमिल होगी। इसलिए वह रकम गंवाने के बाद भी सामने आने से परहेज करता है। पीड़ित की इसी कमजोरी का साइबर शातिरों का दुस्साहस बढ़ रहा है, वह पीडित का फायदा उठाते हैं।
पुलिस द्वारा गिरफ्तार हेलो गैंग के सदस्य
पुलिस और साइबर सेल ने बुधवार को खेरा राठौर थाने के मझटीला गांव हेलो गैंग के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इनके नाम सचिन, सतीश,सनी, दयानंद, सुनील, श्री किशन और देव किशन हैं।जबकि चार सदस्य चंद्रपाल, दिनेश, अमिताभ, उमेश चकमा देकर फरार हो गए ।
इन राज्यों तक फैला है नेटवर्क
उत्तर प्रदेश, दिल्री, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट, गुजरात, बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू एवं कश्मीर आदि राज्यों में नेटवर्क फैला है।
फर्जी सिम कार्ड करते हैं इस्तेमाल
गिरोह के सदस्य लोगों से बातचीत करने के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों के लोगों के नाम-पते पर फर्जी सिम लेते हैं।
गिरफ्तार करने वाली टीम
साइबर सेल प्रभारी सुल्तान सिंह, थानाध्यक्ष पिनाहट अमित कुमार, थानाध्यक्ष खेरा राठौर प्रेम सिंह, एसआइ अरुण भाटी,साइबर सेल के कांस्टेबिल विजय तोमर, बबलू कुमार, जितेंद्र कुमार और इंतजार, पिनाहट थाने के कांस्टेबिल संजेश, हितेश, विकास, विपिन, सुमित,प्रवेश कुमार एवं खेरा राठौर थाने के कांस्टेबिल कुलदीप सिंह, अमन, दुर्गेश कुमार आदि हैं।
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