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    Chambal Sanctuary: खौफ का पर्याय रही चंबल अब लुभा रही पर्यटकों को, जानिए क्या है यहां, जो भर देगा राेमांच से

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Tue, 21 Jun 2022 10:31 AM (IST)

    चंबल नदी और उसके बीहड़ दोनों में ही एक अलग खूबसूरती है। चंबल का पानी अब भी साफ है। बारिश के मौसम में तो यहां की सुंदरता और बढ़ जाती है। मगरमच्छ और घड़ियालों को देखने के अलावा बीहड़ के रास्तों पर ट्रैकिंग भी कर सकते हैं।

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    इस तरह का नजारा चंबल नदी में देख पाना आसान है।

    आगरा, प्रभजोत कौर। डेढ़ दशक पहले तक खौफ का पर्याय रही चंबल नदी अब देशभर के पर्यटकों को लुभा रही है। इस नदी के पास अब डकैतों का डेरा नहीं, पर्यटकों का बसेरा होने लगा है। यहां डाल्फिन ही नहीं, घड़ियाल, आठ तरह के कछुएं और विलुप्त श्रेणी में शुमार कई पक्षी पर्यटकोंं की बढ़ती संख्या की वजह बन गए हैं। यहां आने का सबसे अच्छा मौसम बारिश के बाद का है, जब नदी में पानी भरपूर हो और मौसम भी कुछ ठंडा।

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    वर्ष 1979 में चंबल के राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के क्षेत्र को राष्ट्रीय चंबल सेंक्चुरी प्रोजेक्ट घोषित किया गया था। इसके बाद चंबल में घड़ियाल और डाल्फिन की संख्या बढऩे लगी। इसमें लायन सफारी के मिल जाने से पयर्टन का एक ऐसा सर्किट तैयार हुआ है जो चंबल के बीहड़ को देखने की ख्वाहिश रखने वालों का ध्यान खींच रहा है। इटावा की लायन सफारी में एशियन शेर हैं।

    चंबल में जलीय जीवों की संख्या

    −  2176 घड़ियाल चंबल के उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में हैं।

    − 6000 के आसपास कछुओं की संख्या है। इनमें चित्रिका इंडिका, लिसमस पंकटाटा, निलसोनिया हयूरम,निलसोनिया गेंजेटिका, बाटागुर, बाटागुर डोंगोका, हरडेला थुरजी, पंगशुरा टेंटोरिया प्रजाति प्रमुख है।

    − 886 के आसपास मगरमच्छ चंबल के उत्तर प्रदेश क्षेत्र में हैं।

    − 82 के आसपास डाल्फिन इस नदी में पाई जाती हैं। इसके अलावा कई तरह की मछलियां भी यहां मिलती हैं।

    कहां, क्या देखें

    - सैकड़़ों प्रजाति की देसी-विदेशी चिडिय़ों को औरैया जिले में पांच नदियों के संगम के अलावा इटावा, जालौन जिले की सीमा पर देखा जा सकता है।

    - चंबल नदी में दुनिया के 80 फीसद घडिय़ालो का बसेरा है। उदी, इटावा चंबल तट पर भी यह रोमांचकारी नजारा देखने को मिल सकता है।

    - आठ किस्म के कछुए यहां देखने को मिलते हैं, जो दुर्लभ प्रजाति के हैं।

    - डाल्फिन और मगरमच्छ आगरा के पिनाहट व नदगंवा में भी दिखते हैं, मुरैना में डाल्फिन पोइंट भी है।

    - मुरैना (मध्यप्रदेश) के देवरी में घडिय़ाल, मगरमच्छ और कछुए की हेचरी भी है।

    - ब्लैक बेलिएड टर्नस, सारस, क्रेन, स्टार्क पक्षी इन नदी में कलरव करते हैं। स्कीमर पक्षी तो सिर्फ चंबल में ही पाया जाता है।

    कैसे पहुंचे नेशनल चंबल सेंक्चुरी

    − आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे से नेशनल चंबल सेंक्चुरी की दूरी लगभग 118 किलोमीटर की है। आगरा-बाह मार्ग से 107 किलोमीटर की दूरी है। यहां कार व बसों से जाया जा सकता है।

    − आगरा−झांसी रेलमार्ग पर धाैलपुर स्टेशन पर उतरकर भी यहां से पहुंचा जा सकता है। हालांकि यहां सीमित ही होटल्स हैं। इसलिए बेहतर ये है कि आगरा में ठहरकर यहां से टैक्सी से धाैलपुर या पिनाहट जा सकते हैं। सड़क मार्ग से आगरा से दोनों ही जगहें 50 किलोमीटर की दूरी पर हैं।