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    Navratri 2022: कल है अंतिम नवरात्रि, मां सिद्धिदात्री की पूजा इस दिन करने से होती हैं सारी मनोकामना पूरी

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 09 Apr 2022 12:29 PM (IST)

    Chaitra Navratri 2022 कल नवरात्रि के अंतिम दिन माता के नौवें स्वरूप की पूजा की जाएगी। सिद्धिद्वाती माता की पूजा करने से सारे काम सिद्ध होते हैं। घर− घर में होगा कल कन्या पूजन। जो लोग पूरे नवरात्रि के व्रत रखते हैं करेंगे कल व्रत का परायण।

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    Chaitra Navratri 2022: कल है अंतिम नवरात्रि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा।

    आगरा, जागरण संवाददाता। मां आदिशक्ति का नौंवा रूप मां सिद्धिदात्री का है। मां की आराधना के साथ नौ दिनों की साधना पूर्ण हो जाती है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार देवी भगवती का नवांं स्वरूप लक्ष्मीजी का है। सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी सिद्धिदात्री कहलाईं। वे ही अखिल जगत की पोषिका, संचालिका और महामाया हैं। इनसे विरत तो कुछ भी नहीं। वे सबकी धुरी हैं, वे ही समस्त प्राणियों में किसी न किसी रूप में विराजमान हैं। इनको ही सर्वप्रतिष्ठा और सर्वे भरणभूषिता कहा गया है। वे ही साक्षात् नारायणी हैं। इनकी मंत्रों सहित साधना से यश, बल और धन की प्राप्ति होती है।

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    नवरात्र का समापन इनकी ही आराधना से होता है। वे सौभाग्य देने वाली श्रीलक्ष्मी हैं। वे ही महालक्ष्मी श्रीनारायण की नारायणी हैं, भगवान शंकर की अर्धनारीश्वरी हैं और वे ही ब्रह्माजी की सृष्टि हैं। भगवान शंकर ने भी इनका ध्यान किया। देवी पुराण के अनुसार शंकर ने इनकी कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था। मार्कंडेय पुराण में अणिमा, गरिमा, महिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियां बताई गयी हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण में 18 सिद्धियां बताई गयी हैं। उनमें इन आठ सिद्धियों के आलावा सर्वकामावसायता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, परकायाप्रवेशन, वाकसिद्धि, कल्पवृक्षित्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व, सर्वन्यायकत्व, भावना और सिद्धि।

    माता का स्‍वरूप

    मांं सिद्धिदात्री चतुर्भुजी हैं। इनके दो हाथों में गदा और शंख हैं और एक हाथ में कमल पुष्प है। एक हाथ वरमुद्रा में है। नवरात्रों की ये अधिष्ठात्री हैं। दैविक, दैहिक और भौतिक तापों को दूर करती हैं। स्मरण, ध्यान और पूजन से देवी प्रसन्न हो जाती हैं। श्रीसूक्त का पाठ करें। देवी भगवती को कमल पुष्प, लाल पुष्प और वस्त्राभूषण अर्पित करें।

    मंंत्र

    शरणागतीनार्तपरित्राणपरायणे

    सर्वस्यार्तिहरे देवी नारायणी नमोस्तुते।

    क्षमाप्रार्थना आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्

    पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरीम्।।

    ध्यान

    सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

    सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा

    सिद्धिदायिनी।।

    ऐसे करें अराधना

    यज्ञ करके, कन्याओं को भोग लगाने के बाद देवी मंडप से कलश उठायें और उसका जल अपने घर और प्रतिष्ठान में छिड़कें। देवी भगवती से प्रार्थना करें कि आपकी कृपा सदैव हमारे ऊपर बनी रहे। इस प्रकार नवदेवी के नवरात्र व्रतों का पारायण करें।