CBSE Schools: सीबीएसई स्कूलों में हुआ बड़ा बदलाव, सिलेबस से हटा दिए गए ये टॉपिक
सीबीएसई ने 11वीं और 12वीं कक्षा के लीगल स्टडीज के सिलेबस में बदलाव किया है। पुराने कानूनों की जगह भारतीय न्याय संहिता जैसे नए कानून जोड़े जाएंगे। सत्र 2026-27 से लागू होने वाला यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप है। एनसीईआरटी ऑपरेशन सिंदूर पर मॉड्यूल भी लाएगा। इस अपडेट से छात्रों को आधुनिक कानूनी ढांचे की बेहतर समझ मिलेगी।

जागरण संवाददाता, आगरा। सीबीएसई ने 11वीं और 12वीं कक्षा के लीगल स्टडीज (कानून की पढ़ाई) के सिलेबस में बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है। अब छात्रों को तीन तलाक, राजद्रोह (आइपीसी की धारा 124ए) और धारा 377 जैसे पुराने और निरस्त हो चुके कानूनों के बारे में नहीं पढ़ना पड़ेगा। इनकी जगह नए कानूनों जैसे भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) को सिलेबस में जोड़ा जाएगा।
यह बदलाव 2026-27 सत्र से आगरा के सीबीएसई स्कूलों में लागू होगा। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को ध्यान में रखते हुए छात्रों को मौजूदा कानूनी ढांचे की बेहतर समझ देना है। वहीं, कक्षा तीन से 12वीं तक छात्रों के लिए आपरेशन सिंदूर का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी जोड़ेगा। राजनीतिक विज्ञान और इतिहास विषय का हिस्सा होगा।
सीबीएसई सिटी कार्डिनेटर रामानंद चौहान ने बताया कि पाठ्यपुस्तकों को अपडेट किया जाएगा। इनमें बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए के मुख्य नियम, सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले (जैसे तीन तलाक को गैर-कानूनी ठहराना) और नए कानूनी सिद्धांत शामिल होंगे।
पुराने कानून जैसे राजद्रोह, धारा 377 (जो समलैंगिकता को अपराध मानता था) और तीन तलाक को हटाया जाएगा, क्योंकि ये अब लागू नहीं हैं। बीएनएस ने पुरानी भारतीय दंड संहिता (आइपीसी), बीएनएसएस ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और बीएसए ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ले ली है। बताया इसके लिए बोर्ड एक विशेषज्ञ समिति बनाएगा और जरूरत पड़ी तो किताबें तैयार करने के लिए एजेंसी भी नियुक्त करेगा।
आपरेशन सिंदूर बनेगा कोर्स का हिस्सा
एनसीईआरटी कक्षा तीन से 12वीं तक के छात्रों के लिए "आपरेशन सिंदूर" पर विशेष माड्यूल लाने की तैयारी में है। जिसमें इस सैन्य अभियान की कहानी को इतिहास और राजनीतिक विज्ञान के तहत पढ़ाया जाएगा। इन मॉड्यूल का उद्देश्य छात्रों को भारत की सैन्य क्षमता, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और आतंकवाद के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी देना है।
इसलिए यह बदलाव जरूरी
सिटी कार्डिनेटर रामानंद चौहान ने बताया कानूनी पढ़ाई को आज के समय के साथ जोड़ना जरूरी है। पुराने कानून पढ़ाने से छात्रों में भ्रम हो सकता है। यह अपडेट छात्रों को पुराने औपनिवेशिक कानूनों से हटाकर नए भारत के कानूनी सिद्धांतों से जोड़ेगा। शहर में जहां लोग कानूनी जागरूकता को लेकर जाग रहे हैं, यह बदलाव छात्रों को वकील, जज या सिविल सर्विस जैसे करियर के लिए तैयार करेगा।
ये होगा फायदा
- छात्रों को नए कानूनों जैसे बीएनएस (जो माब लिंचिंग जैसे अपराधों पर सख्ती लाता है) और बीएनएसएस (जो डिजिटल साक्ष्य जैसे आधुनिक तरीकों को शामिल करता है) की जानकारी मिलेगी।
- सिलेबस आज के समय के हिसाब से होगा, जिससे छात्रों को असल दुनिया की कानूनी प्रक्रियाओं की समझ आएगी।
- यह बदलाव बहु-विषयी शिक्षा को बढ़ावा देगा, क्रिटिकल थिंकिंग को प्रोत्साहित करेगा और लिंग समानता, नागरिक अधिकारों जैसे मुद्दों पर फोकस करेगा।
- छात्रों को भविष्य में कानून से जुड़े करियर में फायदा होगा।
यह बदलाव समय की मांग है। नए कानून पढ़ाने से छात्रों को रियल-वर्ल्ड स्किल्स मिलेंगी। पुराने कानून हटने से सिलेबस हल्का होगा और बच्चे ज्यादा फोकस कर पाएंगे। - रामानंद चौहान, सिटी कार्डिनेटर, सीबीएसई
इस बदलाव से छात्र और अपडेट हो सकेंगे। सकारात्मक तौर पर यह अच्छा निर्णय है। बीएसए के डिजिटल साक्ष्य नियम बच्चों को साइबर क्राइम जैसे टापिक और जागरूक करेगा। इससे शिक्षक भी अपडेट रहेंगे। - मोनिका सेहगल, प्रिंसिपल, श्रीराम सेंटेनियल स्कूल
पुराने टापिक जैसे तीन तलाक हटाना अच्छा है। नए कानून बच्चों को आज का भारत समझने में मदद करेंगे। - निशा भारद्वाज, अभिभावक
कानून समाज का आईना है। नए सिलेबस से बच्चे नागरिक अधिकारों को बेहतर समझेंगे। उम्मीद है किताबें जल्द तैयार होंगी। - सुधा, अभिभावक
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।