अच्छी नौकरी की लालच ने आफत में डाली जान, कंबोडिया में बनाया बंधक; साइबर ठगों ने 3 लाख लेने के बाद छोड़ा
आगरा में युवाओं को नौकरी का झांसा देकर कंबोडिया में साइबर ठगी के लिए मजबूर किया गया। पीड़ितों से लाखों रुपये वसूले गए और बंधक बनाकर प्रताड़ित किया गया। कबूतरबाजों के गिरोह ने युवाओं को फंसाकर उनसे अनुबंधों पर हस्ताक्षर करवाए। पीड़ितों ने कर्ज लेकर पैसे दिए और कंबोडिया में प्लास्टिक के चावल खाने को मजबूर हुए। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

जागरण संवाददाता, आगरा । अच्छी नौकरी का लालच देकर युवाओं को बैंकाक के रास्ते कंबोडिया भेज कर साइबर ठगी करने को मजबूर किया जा रहा है। मलपुरा के नगला कारे में दो ममेरे भाइयों को कबूतरबाजों ने फंसा दिया। 6.20 लाख लेकर कंबोडिया भेजा।
वहां कंपनी के कार्यालय में बंधक बनाकर रखा गया। परिवार वालों से तीन लाख रुपये लेकर देने के बाद वापस भारत आने दिया गया। शिकायत पर साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पीड़ितों का कहना है कि उनकी तरह कंबोडिया में और भी युवाओं को फंसाकर रखा गया है। पुलिस जांच में बड़ा पर्दाफाश हो सकता है।
मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी दिलाने का वादा
मलपुरा के सौरभ 12वीं पास कर होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके ममेरे भाई अभिजान इस समय जयपुर में नौकरी कर रहे हैं। उनकी अजय शुक्ला नाम के व्यक्ति से 2024 से बात हो रही थी। अजय ने बैंकाक के रास्ते कंबोडिया भेज कर मल्टी नेशनल कंपनी में एकाउंटेंट की नौकरी दिलाने का वादा किया था। वेतन के रूप में रहने और खाने की व्यवस्था के साथ 800 डालर(70 हजार रुपये) महीना मिलने की जानकारी दी थी।
वह और अभिजान इंदौर जाकर अजय शुक्ला से मिले। वहां उनका साथी राेनी भी संपर्क में आया। दोनों ने नौकरी के लिए पासपोर्ट बनवाया और आरोपितों को प्रति व्यक्ति 3.10 लाख रुपये दिए। आरोपितों ने 16 जून को वीजा आदि देकर कंबोडिया भेज दिया। वहां एक कंपनी के परिसर में ले जाकर बंधक बनाया गया। प्रोडक्ट बेचने के नाम पर भारतीयों से साइबर ठगी करने को कहा गया।
दोनों ने मना कर दिया तो कांट्रेक्ट तोड़ने पर तीन लाख प्रति व्यक्ति देने पर ही मुक्त करने की शर्त रख दी गई। उनकी तबियत खराब होने पर परिवार वालों ने जैसे -तैसे इंतजाम कर रुपये भेजे। इसके बाद 16 जुलाई को वह भारत लौट पाए। उनके जैसे कई भारतीय अभी भी वहां फंसे हुए हैं। 2023 में उनके गांव का एक युवक भी इसी तरह शिकार होकर लंबे समय तक फंसा रहा था। उसने भी पुलिस से शिकायत की है।
गैंग बनाकर काम कर रहे कबूतरबाज
पीड़ित सौरभ ने बताया कि आरोपितों ने कबूतरबाजी के लिए कई सदस्यों का गैंग बना रखा है। युवाओं को लालच देकर जाल में फंसाते हैं। उनसे कांट्रेक्टों पर हस्ताक्षर करवा लेते हैं। टिकट से लेकर वीजा तक की व्यवस्था करने के लिए एजेंट हैं। कंबोडिया में ठगी की अवैध कंपनियों से भी कर्मचारी देने के लिए कमीशन लेते हैं। अवैध कंपनियों का नियम है कि अगर कोई एक वर्ष से पहले लौटना चाहे तो उसे उल्टा कंपनी को कांट्रेक्ट में लिखे रुपये देने पड़ते हैं। काम के दौरान सिर्फ परिवार वालों से ही बात करने की छूट होती है और कंपनी के परिसर से बाहर नहीं जाने दिया जाता है।
कर्ज लेकर गए लौटने में हो गए कर्जदार
पीड़ित सौरभ ने बताया कि उन्हाेंने और अभिजान ने रिश्तेदारों और परिचितों से उधार लेकर रकम जमा की थी। वहां फंसने पर परिवार वालों ने कर्ज लेकर रुपये दिए। इसके बाद वापसी के टिकट और अन्य भाड़े में एक लाख रुपये की चपत और लग गई।
खाने में मिलते थे प्लास्टिक के चावल
पीड़ितों ने बताया कि कंबोडिया में साइबर ठग अपनी कंपनी में सिर्फ मांसाहारी भोजन देते थे। शाकाहार में सिर्फ दाल और चावल मिलता था,उसमें भी चावल चाइना में मशीन से प्लास्टिक कोट चढ़े होते थे। वह दोनों शुद्ध शाकाहारी हैं। 12 दिनों तक बंधक रहने के दौरान एक के पाइल्स की परेशानी हो गई और एक कमजोरी के चलते बीमार हो गया। गनीमत रही कि परिवार वालों ने मुक्त करवा लिया वरना वहीं जान निकल जाती।
जांच के बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस को आरोपितों के खिलाफ अहम साक्ष्य मिले हैं। कार्रवाई चल रही है। जल्द गैंग के सदस्यों को गिरफतार करने के प्रयास किए जा रहे हैं। -इंस्पेक्टर रीता सिंह ,इंस्पेक्टर साइबर थाना
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।