दवा बाजार को फटका, करोड़ों रुपये की आइवरमेक्टिन और फैबी फ्लू समेत दूसरी दवाएं एक्सपायर
कोरोना वायरस की पहली और दूसरी लहर में बढ़ी डिमांड के चलते मंगाया था स्टॉक। तीसरी लहर में मांग घटी तो हुआ नुकसान। आइवरमेक्टिन फैबी फ्लू और विटामिन सी की दवाएं हुई खराब। वैक्सीनेशन हो जाने के बाद नहीं पड़ी दवाओं की जरूरत।

आगरा, प्रभजोत कौर। कोरोना वायरस संक्रमण की पहली और दूसरी लहर की भयावहता को कोई नहीं भूला है। लोग खुद को कोरोना वायरस संक्रमण से दूर रखने के लिए कई उपाय अपना रहे थे। कोई काढ़ा पी रहा था तो कोई आइवरमेक्टिन, फैबी फ्लू और विटामिन सी की गोलियों का सहारा ले रहा था। उस समय दवा के आगरा के पंजीकृत 700 थोक व्यापारियों ने करोडो़ रुपये का माल खरीद लिया। तीसरी लहर इतनी भयानक नहीं हुई, जिससे दवाएं नहीं बिकी। कोरोना काल में इस्तेमाल न होने से अकेले आगरा में ही एक करोड़ से ज्यादा की दवाएं एक्सपायर हो गई हैं।
कोरोना की पहली लहर में इस संक्रमण से कैसे बचा जाए, इसकी जानकारी ही नहीं थी। चिकित्सकों ने कहा कि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो इस संक्रमण से बचाव रहेगा। लोगों ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक इलाज के साथ ही एलोपैथी दवाओं का भी खूब सेवन किया।
इसके साथ-साथ लोगों ने आइवरमेक्टिन और फैबी फ्लू भी खूब खरीदीं। यह दावा किया जा रहा था कि इन दवाओं के सेवन से कोरोना का असर कम हो जाता है। पिछले साल तक एक महीने में आगरा में 30 करोड़ रुपये से ज्यादा की विटामिन सी की लिमसी जैसी और अन्य दवाएं बिक रही थीं।
तीसरी लहर में मामला बिल्कुल उलट गया। आइसीएमआर ने भी तीसरी लहर के लिए अपनी गाइड लाइन में न तो रेमडेसिविर इंजेक्शन को शामिल किया और न ही अन्य दवाओं को। चिकित्सकों का भी कहना है कि तीसरी लहर के दौरान अभी तक मरीजों पर संक्रमण इतना हल्का हो रहा है कि बुखार और सर्दी-जुकाम की साधारण दवा से मरीज एक से तीन दिन में ही ठीक हो जा रहे हैं।
इस वजह से न इंजेक्शन किसी को लिखने की जरूरत पड़ रही है और न ही कोई गोली। ज्यादातर मरीज होम आइसोलेशन में ठीक हो रहे हैं। अस्पताल में जो मरीज पहुंच रहे हैं, उनमें सांस लेने की तकलीफ भी नहीं है। इससे इन दवाओं की बिक्री बिल्कुल कम हो गई, स्टाक दुकानों में भरा हुआ है लेकिन खरीदार नहीं हैं।
दवा व्यापारियों का नुकसान
शहर में 1000 से ज्यादा थोक व्यापारी हैं, जिनमें से पंजीकृत 700 हैं। हर व्यापारी ने आइवरमेक्टिन और विटामिन सी का चार से पांच लाख रुपये का माल भरा था। फैबी फ्लू के सात स्टाकिस्ट हैं, हर स्टाकिस्ट ने लगभग 20-20 लाख रुपये का माल हर महीने खरीदा था। जो दवाएं जेनेरिक नहीं थीं, वो कंपनियों ने वापस ले ली। इसके बावजूद आइवरमेक्टिन का 50 लाख से ज्यादा, फैबी फ्लू का 45 लाख से ज्यादा और विटामिन सी का 25 लाख से ज्यादा का माल एक्सपायर हो गया है।
मेरी ही दुकान पर सात लाख रुपये की दवाएं एक्सपायर हो गई हैं। अब इन दवाओं के खरीदार नहीं हैं। आगरा से आसपास के जिलों के अलावा कोलकाता, इंदौर, दक्षिण भारत और भोपाल तक दवाएं जाती हैं। बहुत नुकसान हुआ है।
- पुनीत कालरा, उपाध्यक्ष, आगरा फार्मा एसोसिएशन
दवाओं का बहुत बड़ा स्टॉक एक्सपायर हो गया है। हर कंपनी ने अपनी-अपनी आइवरमेक्टिन बाजार में उतार दी। चिकित्सक अलग-अलग कंपनियों की दवाएं लिख रहे थे। हमारी मजबूरी थी कि हर कंपनी का माल रखना पड़ता था। अब मांग नहीं है, लाखों रुपये का माल रखा हुआ है।
- निश्चल जैन, कैमिस्ट, इमरजेंसी चौराहा
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