घर में रोज जमाएं धूनी, होते हैं ढेरों लाभ, जानिये किस चीज की धूनी से हो है क्या फायदा
विभिन्न धूनी से घर में आती है सकारात्मक ऊर्जा। ग्रह और वास्तुदोष का भी होता है निवारण।
आगरा [जेएनएन]: हिंदू धर्म के अनुसार घरों में धूनी (धूप) देने की परंपरा काफी प्राचीन है। धूप देने से मन को शांति और प्रसन्नता मिलती है। साथ ही, मानसिक तनाव दूर करने में भी इससे बहुत लाभ मिलता है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार घरों में धूनी देने के लिए कई तरह की चीजें आती हैं। हर धूनी का अपना अलग महत्व होता है और अलग फायदा भी मिलता है।
कर्पूर और लौंग
पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि रोजाना सुबह और शाम घर में कर्पूर और लौंग जरूर जलाएं। आरती या प्रार्थना के बाद कर्पूर जलाकर उसकी आरती लेनी चाहिए। इससे घर के वास्तुदोष खत्म होते हैं। साथ ही पैसों की कमी नहीं होती।
गुग्गल की धूनी
हफ्ते में एक बार किसी भी दिन घर में कंडे जलाकर गुग्गल की धूनी देने से गृहकलह शांत होता है। गुग्गल सुगंधित होने के साथ ही दिमाग के रोगों के लिए भी लाभदायक है।
पीली सरसों
पीली सरसों, गुग्गल, लोबान, गौघृत को मिलाकर सूर्यास्त के समय उपले (कंडे) जलाकर उस पर ये सारी सामग्री डाल दें। नकारात्मकता दूर हो जाएगी।
धूपबत्ती
घर में पैसा नहीं टिकता हो तो रोजाना महाकाली के आगे एक धूपबत्ती लगाएं। हर शुक्रवार को काली के मंदिर में जाकर पूजा करें।
नीम के पत्ते
घर में सप्ताह में एक या दो बार नीम के पत्ते की धूनी जलाएं। इससे जहां एक ओर सभी तरह के जीवाणु नष्ट हो जाएंगे। वहीं वास्तुदोष भी समाप्त हो जाएगा।
षोडशांग धूप
अगर, तगर, कुष्ठ, शैलज, शर्करा, नागर, चंदन, इलायची, तज, नखनखी, मुशीर, जटामांसी, कर्पूर, ताली, सदलन और गुग्गल, ये सोलह तरह के धूप माने गए हैं। इनकी धूनी से आकस्मिक दुर्घटना नहीं होती है।
लोबान धूनी
लोबान को सुलगते हुए कंडे या अंगारे पर रख कर जलाया जाता है, लेकिन लोबान को जलाने के नियम होते हैं इसको जलाने से पारलौकिक शक्तियां आकर्षित होती है। इसलिए बिना विशेषज्ञ से पूछे इसे न जलाएं।
दशांग धूप
चंदन, कुष्ठ, नखल, राल, गुड़, शर्करा, नखगंध, जटामांसी, लघु और क्षौद्र सभी को समान मात्रा में मिलाकर जलाने से उत्तम धूप बनती है। इसे दशांग धूप कहते हैं। इससे घर में शांति रहती है।
गायत्री केसर
घर पर यदि किसी ने कुछ तंत्र कर रखा है तो जावित्री, गायत्री केसर लाकर उसे कूटकर मिला लें। इसके बाद उसमें उचित मात्रा में गुग्गल मिला लें। अब इस मिश्रण की धुप रोज़ाना शाम को दें। ऐसा 21 दिन तक करें।
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