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    खिड़की पर बैठते हैं कबूतर तो रहें सावधान, हो सकती है सांस की बीमारी; MBBS डॉक्टर ने बताया ये कारण

    By Jagran NewsEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Sun, 19 Nov 2023 03:22 PM (IST)

    जिन मरीजों की सांस उखड़ती है सूखी खांसी बनी रहती है उनको इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (आईएलडी) हो सकता है। आगरा सहित आस-पास के क्षेत्र में इसका एक बड़ा कारण कबूतर की बीट से हवा के साथ उड़ने वाले एलर्जेंस हैं। इसे नजरअंदाज ना करें। दैनिक जागरण के हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में चेस्ट स्पेशलिस्ट डाॅ. संजीव सिंघल ने इसके बारे में कुछ जानकारियां दी हैं।

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    खिड़की पर बैठते हैं कबूतर तो रहें सावधान, हो सकती है सांस की बीमारी; MBBS डॉक्टर ने बताया ये कारण।

    जागरण संवाददाता, आगरा। जिन मरीजों की सांस उखड़ती है, सूखी खांसी बनी रहती है उनको इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (आईएलडी) हो सकता है। आगरा सहित आस-पास के क्षेत्र में इसका एक बड़ा कारण कबूतर की बीट से हवा के साथ उड़ने वाले एलर्जेंस हैं। इसे नजरअंदाज ना करें। दैनिक जागरण के हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में चेस्ट स्पेशलिस्ट डाॅ. संजीव सिंघल ने इसके बारे में कुछ जानकारियां दी हैं।

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    डाॅ. संजीव सिंघल ने बताया कि कुछ एलर्जेंस ऐसे होते हैं, जिनके कारण फेफड़ों में संक्रमण होने लगता है। हाइपर सेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस की समस्या हो जाती है। इससे सांस की छोटी-छोटी नलिकाओं में सूजन आ जाती है और फेफड़े खराब होने लगते हैं।

    कबूतर की बीट प्रमुख कारण

    डाॅ. संजीव ने कहा कि एलर्जेंस का एक प्रमुख कारण कबूतर की बीट है। इससे एलर्जेंस निकलते हैं। ये सांस लेने में सांस की नलिकाओं में पहुंच जाते हैं, जिन लोगों के फेफड़े इन एलर्जेंस से सेंसिटिव होते हैं उनके फेफड़े खराब होने लगते हैं। इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (आईएलडी) की समस्या हो जाती है। 

    एसी, खिड़की पर कबूतर बीट है खतरनाक

    डाॅ. संजीव ने ने बताया कि आईएलडी के मरीजों की सांस उखड़ने के साथ वजन कम होने लगता है। नाखून मोटे हो जाते हैं। सूखी खांसी बनी रहती है। मरीज की हिस्ट्री ली जाती है। ऐसे लोग जो कबूतरों को दाना डालते हैं, जिनके एसी, खिड़की पर कबूतर बीट कर देते हैं, उनको परेशानी बनी रहती है। 

    कबूतर की बीट से 15 दिन तक एलर्जेंस संक्रमण कर सकते हैं। खून सहित अन्य जांच से बीमारी का पता चल जाता है। समय से इलाज कराने पर मरीज बेहतर जिंदगी जी सकते हैं।

    सांस संबंधी मरीज ये करें

    • सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीज एन-95 मास्क लगाएं, सात दिन बाद मास्क बदल दें।
    • सुबह और रात में टहलने न जाएं, घर से बाहर न निकलें।
    • गुनगुने पानी के गरारे से सांस संबंधी बीमारियों में कोई राहत नहीं मिलती है।
    • डॉक्टर के परामर्श से ही इनहेलर की डोज और इनहेलर लेना बंद करें।
    • हर तरह की खांसी के लिए अलग-अलग कफ सिरप और डोज हैं। डॉक्टर के परामर्श से ही लें।

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