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    Baldev Chhath 2020: जब राधाजी ने रखा दाऊजी का रूप तो पड़ गया नाम गोरेदाऊजी, पढ़ें रोचक इतिहास

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Mon, 24 Aug 2020 01:27 PM (IST)

    Baldev Chhath 2020 श्रीराधाजी यहां गोरे दाऊजी रूप में विराजमान है और समीप ही अटलवन में श्रीकृष्ण अटल बिहारी स्वरुप से अविचल होकर भक्तो को दर्शन दे रहे हैं।

    Baldev Chhath 2020: जब राधाजी ने रखा दाऊजी का रूप तो पड़ गया नाम गोरेदाऊजी, पढ़ें रोचक इतिहास

    आगरा, जेएनएन। वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम गोचारण करते थे। यहां उन्होंने अनेक लीलाएं भी राधारानी के साथ कीं। भगवान की ये लीलाएं भी अनोखी हैं, जहां भगवान ने लीलाएं कीं, वहां आज उनकी स्मृति स्वरूप मंदिर व देवालय बने हैं। इनमें से ही एक है गोरेदाऊजी का मंदिर। दरअसल, गोरेदाऊजी मंदिर के महंत प्रह्लाद दास बताते हैं कि द्वापर में जब भगवान गोचारण करने के लिए वृंदावन आते थे, तब उनके साथ भाई बलदाऊ होते थे। वृंदावन में ही भगवान श्रीराधाजी व उनकी सखियों संग रास रचाते थे। एक बार बलदाऊ गोचारण करने नहीं आए और श्रीकृष्ण अकेले अपने सखाओं संग गोचारण कर रहे थे। इसी दौरान श्रीराधाजी को उनकी सखियों ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण आज अकेले ही गोचारण के लिए वृंदावन आए हैं। यह सुनकर श्रीराधाजी ने भी सखियों से नजर बचाकर बलदाऊ की वेशभूषा धारण कर ली और श्रीकृष्ण से मिलने चली गई। बलदाऊ रूप धारी श्रीराधाजी ने श्रीकृष्ण के सामने अचानक आकर कहा क्यों रे कन्हैया, मुझे तू घर पर ही छोड़ आया थोड़ी देर भी मेरी प्रतीक्षा न की।

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    राधा रानी जी की भ्रकुटी तन रही थी, लेकिन उनके चेहरे और अधरों की लाली में मुस्कराहट झांक रही थी, चोरी पकड़ी गई। श्रीकृष्ण ने राधा रानी को पहचान लिया। कन्हैया गंभीर होकर बोले दाऊ भईया बैठो तो सही मेरे पास, ऐसा अवसर फिर कहां मिलेगा। किशोरी जी कुछ पल प्रियतम के साथ बैठकर सखाओं के आने की आशंकासे उठकर चलने गली। तो कन्हैया ने कहा प्रिये कहा जा रहे हो। अब तो आप इस गोरे दाऊजी रूप में यहां वन में अवस्थित रहो, रोज आपके दर्शनों का सुख मिलता रहेगा। किशोरीजी बोली मैं यहां अकेले थोड़े ही रहूंगी। आप भी मेरे साथ यहां अटल आसन लगा लो। उसी दिन श्रीकृष्ण और राधाजी दोनों अटल हो गए। तभी से श्रीराधाजी यहां गोरे दाऊजी रूप में विराजमान है और समीप ही अटलवन में श्रीकृष्ण अटल बिहारी स्वरुप से अविचल होकर भक्तो को दर्शन दे रहे हैं।

    इस तरह आएं गोरेदाऊजी के मंदिर

    मथुरा से वृंदावन परिक्रमा मार्ग कट से केशीघाट जाने वाले मार्ग पर करीब पचास मीटर दूरी पर दाहिने हाथ पर गोरेदाऊजी का मंदिर है। जहां आज भी परंपरागत तरीके से गोरेदाऊजी महाराज की पूजा-अर्चना हो रही है। 

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