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    Bakrid Eid ul Adha 2025: ताजमहल पर अमन की दुआ, सुबह सात बजे से सभी को मिला निशुल्क प्रवेश

    Updated: Sat, 07 Jun 2025 08:56 AM (IST)

    Bakrid 2025 आगरा के ताजमहल में बकरीद के मौके पर देश में शांति और समृद्धि की प्रार्थना की गई। शाही मस्जिद में सुबह नमाज अदा की गई जिसमें कई लोगों ने भाग लिया और एक-दूसरे को बधाई दी। सुबह 7 से 10 बजे तक पर्यटकों के लिए मुफ्त प्रवेश था लेकिन मुख्य मकबरे पर 200 रुपये का टिकट लागू रहा। ASI और CISF ने सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखी।

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    Bakrid 2025: बकरीद के मौके पर ताजमहल पर नमाज अदा करते नमाजी। फोटोः अमित शिवहरे।

    जागरण संवाददाता, आगरा। ताजमहल में बकरीद कपर मुल्क में अमन और खुशहाली की दुआ की गई। ताजमहल की शाही मस्जिद में सुबह नमाज हुई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। नमाज के बाद लोगों ने गले मिलकर एक-दूसरे को ईद की बधाई दी।

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    ताजमहल में बकरीद के लिए सुबह सात से 10 बजे तक पर्यटकों को निशुल्क प्रवेश की सुविधा दी गई, जिसका सैकड़ों लोगों ने लाभ उठाया। हालांकि, मुख्य मकबरे पर ऊपर जाने के लिए 200 रुपये का अतिरिक्त टिकट लागू रहा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) ने सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए, ताकि पर्यटकों और नमाजियों को कोई असुविधा न हो।

    बकरीद पर सुबह आठ बजे ताजमहल में नमाज पढ़ी गई। पश्चिमी गेट स्थित फतेहपुरी मस्जिद और पूर्वी गेट स्थित संदली मस्जिद में भी नमाज पढ़ी गई। यहां भी लोगों की भीड़ रही। 

    शहर के इबादतगाहों पर जुटे नमाजी

    कुर्बानी और बलिदान का त्योहार ईद-उल-अजहा जिले के मुस्लिम समुदाय द्वारा प्रमुखता से मनाया जा रहा है | इस मौके पर जिले मे सबसे पहले शाही ईदगाह मस्जिद पर नमाज पढ़ी गई, जिसमें हज़ारों नमाज़ी बारगाह में जुटे और खुदा के सामने सजदा कर नमाज पढ़ी। इस दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के उपस्थिति में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही।

    ड्रोन से रखी नजर

    ईदगाह पर ड्रोन से क्षेत्र की निगरानी की गई। यहां अपर पुलिस आयुक्त बदन सिंह, डीसीपी सिटी सोनम कुमार और एसीपी डॉ सुकन्या शर्मा ने मौजूद रहकर लोगों को ईद की शुभकामनाएं दीं। राजनीतिक लोग भी पहुंचे। इसके बाद जामा मस्जिद पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच नमाज हुई। यहां भी मुस्लिम समाज के लोगों को नमाज के बाद शुभकामनाएं देने शहर के सर्व समाज के लोग पहुंचें और गले मिलकर त्योहार की बधाइयां दीं।

    इसके बाद अन्य मस्जिदों में नमाज पढ़ी जा रही है। नमाज पढ़कर निकले नमाजियों ने जकात की। इसके बाद घर पहुंचकर कुर्बानी का सिलसिला प्रारंभ हुआ। सड़क पर नमाज पढ़ने और कुर्बानी देने पर पूरी तरह प्रतिबंध रहा।