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    Mughal Emperor: पानीपत का युद्ध जीतकर आगरा आए मुगलों ने चुना था ये इलाका, बाबर ने यहां बनवाया बाग-ए-गुल अफशां

    By Abhishek SaxenaEdited By:
    Updated: Mon, 31 Oct 2022 07:53 PM (IST)

    Mughal Emperor ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल (1803-1857) में इसका उपयोग आरामगाह के लिए किया गया था। चारबाग पद्धति पर भारत में मुगलों द्वारा बनवाए गए प्रारंभिक उद्यानों में से एक माना जाता है। यह रामबाग के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

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    Mughal Emperor: अब यह रामबाग के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

    आगरा, जागरण टीम। आगरा को कभी मुगलों ने राजधानी बनाया था। वर्ष 1526 में पानीपत का युद्ध में जीतने के बाद आगरा आए मुगलों ने यमुना पार को रहने के लिए चुना था। मुगल शासक बाबर ने बाग-ए-गुल अफशां का निर्माण कराया। इसे चारबाग पद्धति पर भारत में मुगलों द्वारा बनवाए गए प्रारंभिक उद्यानों में से एक माना जाता है। ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल (1803-1857) में इसका उपयोग आरामगाह के लिए किया गया था। आज ये रामबाग के नाम से जाना जाता है।

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    ईरानी बहुतलीय और चारबाग पद्धति पर बनवाया बाग

    भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा रामबाग में लगाए गए कल्चरल नोटिस बोर्ड के अनुसार बाबर ने यमुना के किनारे पर आरामबाग बनवाया था। वर्ष 1526 में उसने ईरानी बहुतलीय और चारबाग पद्धति पर बाग बनवाया था, ऐसे बाग उसने समरकंद में देखे थे। आगरा की गर्मी से बचने को उसने बाग में तलघर बनवाया था। मुगल शहंशाह जहांगीर ने वर्ष 1615-19 के दौरान बाग का पुनर्निर्माण कराया था। उसने इसका नाम बाग-ए-नूर अफ्शां रखा था। अंग्रेजों को भी यह बाग बहुत पसंद आया था और उन्होंने इसे गेस्ट हाउस के रूप में उपयोग किया था। वर्तमान में यह बाग रामबाग के नाम से संरक्षित है।

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    मुगल शासक बाबर ने समरकंद में देखे थे बाग

    मुगल शासक बाबर ने वर्ष 1526 में यमुना तट के किनारे बाग-ए-गुल-अफ्शां बनवाया था। माना जाता है कि ऐसे बाग उसने समरकंद में देखे थे। आगरा की गर्मी से निजात पाने को उसने बाग में तीन तलों के साथ ही वाटर चैनल आदि बनवाए थे। बाबर के प्रपौत्र जहांगीर ने वर्ष 1615 से 1619 के मध्य बाग का पुनर्निर्माण कराया था। ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन वर्ष 1803-1857 के दौरान अंग्रेजों ने इसकी मरम्मत कराकर आरामगाह में तब्दील कर दिया था। बाद में यह रामबाग के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

    दो सदियों से अधिक तक अनुपालन किया

    भारत में मुगल शासकों के लगवाए गए बागों में यह बाग सबसे पहले लगा था। यहीं से बाग की बहुतलीय और चारबाग पद्धति की शुरुआत हुई है ऐसा माना जाता है। जल प्रणालियां, नहरें, प्रपात और तालाब यहीं से बाग से संबद्ध हुए, जिससे यह केवल वाटिका तक सीमित नहीं रहा। बाबर द्वारा की गई इस शुरुआत का उसके वंशजों ने दो सदियों से अधिक तक अनुपालन किया।