Azadi ka Amrit Mahotsav: नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने यहां दिया था तुम मुझे खून दो... का नारा
Azadi ka Amrit Mahotsav स्वतंत्रता आंदोलन का गवाह रहा है आगरा का चुंगी मैदान। वर्ष 1940 में हुई थी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की सभा। अगस्त क्रांति के दौरान यहीं पुलिस की गोलीबारी में छीपीटोला निवासी युवक परशुराम शहीद हो गए थे।

आगरा, जागरण संवाददाता। स्वतंत्रता आंदोलन में जब देशभर में ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन की चिंगारी भड़की तो आगरा भी पीछे नहीं रहा। देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर वर्ष 1947 में आजादी मिलने तक यहां के अनेक लोगों ने स्वतंत्रता की बलिवेदी पर आहूति दी थी। इससे जुड़े स्थल आज भी आजादी के आंदोलन के गवाह हैं। इन्हीं में से एक चुंगी का मैदान है, जहां नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सशस्त्र क्रांति का आह्वान किया था।
मोतीगंज स्थित चुंगी का मैदान, जंग-ए-आजादी के दरम्यान हुई अनेक ऐतिहासिक रैलियों का साक्षी रहा है। यहां वर्ष 1940 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशस्त्र क्रांति का संदेश दिया था। उस समय वह कांग्रेस छोड़ चुके थे और उन्होंने अग्रगामी दल बना लिया था।
उन्होंने चुंगी मैदान में हुई सभा में युवाओं में जोश का संचार करते हुए तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया था। अगस्त क्रांति के दौरान यहीं पुलिस की गोलीबारी में छीपीटोला निवासी युवक परशुराम शहीद हो गए थे। चुंगी मैदान के अतीत के गौरवशाली इतिहास के बारे में अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस
इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि चुंगी मैदान में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सभा की थी। इसके पास दाराशिकोह की लाइब्रेरी थी। यहां करीब पांच दशक पूर्व तक आगरा की चुंगी कचहरी हुआ करती थी। इसके नजदीक ही वर्तमान में थोक खाद्य विक्रय स्थान मोतीगंज है, जिसे ब्रिटिश काल में सिमसनगंज कहते थे।
उस दौर के गवाह कम ही बचे
स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस आगरा आए थे, उनको देखने और सुनने के लिए लोगाें में गजब की ललक थी। आजाद हिंद फौज का हिस्सा बनने के लिए तमाम युवा बेताब थे। आर्थिक रूप से सम्पन्न लोग इस आंदोलन में अपना योगदान कर रहे थे कि फौज को संसाधन जुटाने में दिक्कत न हो।
वयाेवृद्ध रामकिशन पंडित जी बताते हैं कि वो दौर ही अलग था। उस पीढ़ी के लोग अब बहुत कम बचे हैं। पुरुष, महिलाएं और बच्चे, सभी में नेताजी को एक बार देख लेने की चाह थी। उसी चाह में चुंगी मैदान खचाखच भर गया था। सड़काें के किनारे खड़े होकर लोग नेताजी की एक झलक पाने को लोग खड़े थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।