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    पक्षियों के लिए डाक्टर दंपती की अनूठी पहल, अब बंदर नहीं कर सकेंगे परेशान, परिंदों के लिए बनवाए टावर

    By Abhishek SaxenaEdited By:
    Updated: Sat, 11 Jun 2022 03:31 PM (IST)

    Mathura News मथुरा-वृंदावन में बंदरों से आम इंसान ही नहीं पक्षी भी परेशान हैं वृंदावन में आयुर्वेद चिकित्सक ने अनूठी पहल कर पक्षियों को बचाने का प्रयास किया है। गर्मियों में दाने की समस्या को देखते हुए यमुना घाट और दो मंदिरों के पास टावर बनवाए हैं।

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    गौरैया, मोर, कबूतर आदि पक्षी बेखौफ होकर चुगते हैं दाना

    विपिन पाराशर, वृंदावन-मथुरा। अपने अनुभव और औषधियों से मरीजों को दर्द से राहत देने वाले चिकित्सक ने भूख-प्यास से बेहाल पक्षियों की तकलीफ भांप उनके संरक्षण की अनूठी पहल की है। वो जगह-जगह जमीन पर दाना बिखेरने लगे। मगर, ये दाना बंदर खा जाते थे। बंदरों की घुड़की से पक्षी दाना चुगे बगैर ही उड़ जाते थे। ये हाल देख चिकित्सक ने इनके लिए टावर बनवाए हैं।

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    नाम दिया है गौरैया निलय

    इन टावर को नाम दिया है 'गौरैया निलय'। इन टावरों पर गौरैया, कबूतर, मोर जैसे पक्षी अब बेखौफ होकर दाना चुगते हैं। टावरों पर छोटे-छोटे घोंसले भी बने हैं। वृंदावन में बंदरों का आतंक बना हुआ है। इससे मोर, गौरैया, तोता, कबूतर भी आहत हैं। स्थिति ये है कि पेट भरने के लिए जमीन पर विचरण करते पक्षियों पर बंदर हमला कर देते हैं।

    ऐसे में पक्षियों की हिफाजत और उनकी भूख-प्यास बुझाने के लिए आयुर्वेद चिकित्सक डा. अभिषेक शर्मा और उनकी पत्नी डा. तपस्या शर्मा ने पहल की। नगर में जगह-जगह गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा आदि बिखेरने लगे। मगर, बंदरों के झुंड इन पर कब्जा करने लगे। दाना चुगने की आस में पक्षी मंडराते-मंडराते बगैर पेट भरे ही उड़ जाते।

    दो महीने पहले बनवाया 20 फीट ऊंचा टावर

    डा. अभिषेक ने तब एक उपाय तलाशा। करीब दो महीने पहले यमुना के चीर घाट पर 20 फीट ऊंचा टावर लगवाया। इसके ऊपर का प्लेटफार्म इस तरह से बनाया गया है कि बीच में दाना बिखर जाता है। चारों किनारों पर छोटे-छोटे 40 घोसले हैं।

    यहां पर बंदरों का खतरा न देख पक्षी सुरक्षित महसूस करते हैं। बेखौफ होकर दाना चुगने आने लगे। टावर पर पक्षियों की चहचहाहट बढ़ती देख चिकित्सक दपंती ने गरुण गोविंद मंदिर और कैलाश नगर में भी टावर बनवाए। ये टावर भी पक्षियों के कलरव से गूंजने लगे हैं।

    ऐसे प्लेटफार्म पर पहुंचता है दाना

    टावर में रस्सी के एक छोर में बाल्टी बांधी गई है। रस्सी को घिर्री के लिए नीचे तक लाया गया है। एक व्यक्ति दस किलो दाना लेकर यहां पहुंचता है। बाल्टी के लिए ये दाना ऊपर प्लेटफार्म पर बिखेर दिया जाता है। ये व्यवस्था तीनों टावर पर की जाती है। सीसीटीवी कैमरा भी लगवाएटावर पर पर्याप्त मात्रा में दाना है या नहीं। पक्षियों को कोई परेशानी तो नहीं।

    सीसीटीवी भी लगवाए

    इस सब पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए गए हैं। चिकित्सक दंपती अपने क्लीनिक से ही इस व्यवस्था की निगरानी करते हैं।

    पर्यावरणप्रेमी भी हैं चिकित्सक दंंपती डा.अभिषेक शर्मा और उनकी पत्नी डा. तपस्या शर्मा पर्यावरण संरक्षण के लिए कई वर्षों से काम कर रहे हैं। नगर में तमाम स्थानों पर पौधारोपण कर चुके हैं। खुद ही इनकी देखभाल करते हैं। जगह-जगह उनके द्वारा रोपे गए पौधे अब वृक्ष का रूप लेने लगे हैं।  

    वृंदावन में तीन दशक पहले गौरैया से लेकर मोर तक बहुतायत में विचरण करते थे। मन में सवाल उठा और कारण जाना तो पता चला कि बंदरों के आतंक के चलते गौरैया और मोर ने वृंदावन की भूमि से दूरी बना ली है। इसके बाद ही गौरैया और मोर के संरक्षण के लिए ये व्यवस्था की है। नगर में अन्य जगह भी इसी तरह के टावर लगवाएंगे।- डा. अभिषेक शर्मा