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    औरंगजेब ने दारा शिकोह को आज ही दी थी करारी शिकस्त

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 28 May 2021 11:59 PM (IST)

    फतह के बाद सामूगढ़ का नाम बदलकर रखा था फतेहाबाद सामूगढ़ के युद्ध में हारने के बाद भाग गया था दाराशिकोह

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    औरंगजेब ने दारा शिकोह को आज ही दी थी करारी शिकस्त

    आगरा(निर्लोष कुमार) आज हम जिसे फतेहाबाद कहते हैं वह कभी सामूगढ़ था। उत्तराधिकार को हुए संघर्ष में औरंगजेब ने वर्ष 1658 की 29 मई को यहीं अपने भाई दारा शिकोह को युद्ध में करारी शिकस्त दी थी। फतह की खुशी में इसका नाम फतेहाबाद हो गया। औरंगजेब ने यहा बाग लगाने के साथ अन्य निर्माण कराए। बाग का उत्तरी द्वार ही आज फतेहाबाद तहसील का उत्तरी द्वार है।

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    मुगल शहंशाह शाहजहां के बीमार पड़ने पर उसके चार पुत्र दाराशिकोह, औरंगजेब, शुजा व मुराद में सत्ता के लिए संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में औरंगजेब ने सामूगढ़ के मैदान में दाराशिकोह को बुरी तरह पराजित किया। इसके बाद दाराशिकोह जान बचाकर भाग गया। इतिहासविद राजकिशोर राजे की पुस्तक 'तवारीख-ए-आगरा' में भी इसका विवरण है। हालांकि इसमें तारीख 10 मई लिखी है। पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि औरंगजेब ने युद्ध में फतह पाने के बाद सामूगढ़ का नाम बदलकर फतेहाबाद रख दिया था। 40 बीघा जमीन में उसने बादशाही बाग लगवाया। इसके चारों कोनों पर छतरियां और बीच में महल बनवाया। यह महल नष्ट हो चुका है। बाग की उत्तरी व दक्षिणी दीवार में उसने दरवाजे बनवाए थे। उत्तरी द्वार आज फतेहाबाद तहसील का मुख्य द्वार है और दक्षिणी द्वार का अस्तित्व नहीं बचा है। बादशाही बाग के परिसर में तहसील समेत अन्य कार्यालय संचालित हैं। औरंगजेब ने यहां जामा मस्जिद, शाही तालाब और कस्बे में घुड़साल बनवाई थी। फतेहाबाद तहसील का गेट इतिहास से जुड़ा होने के बावजूद केंद्र या राज्य सरकार द्वारा संरक्षित स्मारक नहीं है। शाहजहां ने कैद में ली अंतिम सांस

    सामूगढ़ युद्ध में जीतने के बाद औरंगजेब आगरा पहुंचा। शाहजहां ने उसके लिए आगरा किले के द्वार नहीं खोले। औरंगजेब ने यमुना नदी से किले में जाने वाले पानी को रुकवा दिया। इससे शाहजहां को मजबूर होकर द्वार खोलने पड़े। औरंगजेब ने उसे बंदी बना लिया। आठ वर्ष तक कैद में रहने के बाद वर्ष 1666 में शाहजहां की मृत्यु हुई। नई और पुरानी तिथियों की गणना में 20 दिन का अंतर:

    इतिहासविद राजकिशोर राजे बताते हैं कि इतिहास लेखन में नई और पुरानी तिथियों की गणना में करीब 20 दिन का अंतर है। उनकी पुस्तकें नई तिथियों की गणना के अनुसार हैं। उन्होंने कहा कि बादशाही बाग यानि फतेहाबाद तहसील के गेट को संरक्षित किया जाना चाहिए।

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