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Agra: जेल की सलाखाें के पीछे मर गया डी-2 गिरोह का सरगना अतीक अहमद, 14 वर्षाें से सामान्य बैरक में काट रहा था सजा

Agra Crime News In Hindi Today केंद्रीय कारागार में फरवरी 2010 में लखनऊ जिला जेल से प्रशासनिक आधार पर आया था। बंदियों से कम ही बातचीत करता था अतीक। अतीक अहमद को 29 मई को तेज बुखार और कमजोरी के चलते एसएन मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया। यहां पांच जून की सुबह मृत्यु के बाद पोस्टमार्टम के बाद स्वजन दिल्ली लेकर चले गए। वहां उसका अंतिम संस्कार किया।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Sun, 09 Jun 2024 03:18 PM (IST)
Agra: जेल की सलाखाें के पीछे मर गया डी-2 गिरोह का सरगना अतीक अहमद, 14 वर्षाें से सामान्य बैरक में काट रहा था सजा
Agra News: सामान्य बैरक में 14 वर्ष गुमनाम की तरह रहा था डी-2 गिरोह का सरगना अतीक

जागरण संवाददाता, आगरा। Agra News: कानपुर में करीब तीन दशक पहले जिस डी-दो गिरोह की तूती बोलती थी। उसका सरगना अतीक अहमद उर्फ अतीक पहलवान आगरा केंद्रीय कारागार की सामान्य बैरक में साधारण बंदियों की तरह गुमनाम सा रहा। 

कानपुर के थाना अनवरगंज के कुली नगर के रहने वाले अतीक अहमद को फरवरी 2010 में लखनऊ जिला जेल से प्रशासनिक आधार पर आगरा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित किया गया था। उसके खिलाफ 11 मुकदमे थे। वर्ष 2004 में कानपुर नगर के थाना कोतवाली में हुई एक हत्या के मामले में उसे आजीवन कारावास हुआ था।

सर्किल नंबर तीन की सामान्य बैरक में था

उसे केंद्रीय कारागार की सर्किल नंबर तीन की सामान्य बैरक में रखा गया था। प्रशासनिक आधार पर यहां स्थानांतरित किए जाने के चलते उसकी गतिविधियों और मुलाकात पर शुरूआत में नजर रखी गई। यहां पर वह बैरक 60 से 70 लोगों के बीच सामान्य बंदियों की तरह रहा।बंदियों से उसकी बातचीत कम ही होती थी। जिसके चलते साथी बंदियों को उसके कानपुर के डी-2 गिरोह के सरगना होने का पता नहीं था।परिवार के लोग नियमित अंतराल पर मुलाकात को आते थे।

बीमारियों से परेशान था अतीक

वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार ओम प्रकाश कटियार के अनुसार अतीक अहमद कई बीमारियों से पीड़ित था। जिसके उसका किंग जार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ से इलाज चल रहा था। उसे 29 मई को तेज बुखार होने पर एसएन मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। सूचना पर परिवार के लोग भी यहां पहुंच गए थे। एसएन में पांच जून की सुबह अतीक की मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम के बाद पुत्र फैसल, फरहान समेत परिवार के अन्य लोग शव को दफनाने के लिए अपने साथ दिल्ली लेकर चले गए।

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पुलिस से बचने को परिवार समेत दिल्ली में रहने लगा था

पुलिस ने अतीक पहलवान को पुलिस ने दिल्ली से वर्ष 2007 में गिरफ्तार किया था। उस पर दो लाख रुपये का इनाम था। बताते हैं पुलिस से बचने के लिए वह परिवार समेत कानपुर से दिल्ली चला गया था। परिवार अब भी दिल्ली में ही रहता है।

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वर्ष 1998 में रजिस्टर्ड हुआ था डी-2 गिरोह

अतीक और उसके गिरोह ने वर्ष 1985 से 2005 के दौरान कई वारदात और हत्याओं को अंजाम दिया था। अतीक ने अपने पांच भाइयों रफीक, शफीक, अफजाल, बाले और बिल्लू के साथ मिलकर गिरोह बनाया था। वर्ष 1998 में उसका गिरोह जिले में डी-2 के नाम से रजिस्टर्ड हुआ था। इसके बाद वर्ष 2010 में तत्कालीन डीजीपी बृजलाल ने उसके गिरोह को अंतर जनपदीय गिरोह 273 का दर्जा दिया था। उसके भाई रफीक और बिल्लू पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे।