राजा टोडरमल की बारादरी की लौटी रंगत
एएसआइ ने कराया है स्मारक में 44 लाख रुपये का काम असामाजिक तत्वों के प्रवेश को रोकने को लगाए गए गेट

आगरा, जागरण संवाददाता। मुगल शहंशाह अकबर के वित्त मंत्री रहे राजा टोडरमल की बारादारी की पुरानी रंगत एक बार फिर लौट आई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने करीब 44 लाख रुपये की लागत से संरक्षण कार्य कराया है। यहां साइंटिफिक क्लीयरेंस में मिले प्राचीन टैंक को भी मूल स्वरूप में सहेजा गया है। बारादरी में असामाजिक तत्वों के प्रवेश को रोकने के लिए चहारदीवारी ऊंचा करने के साथ भूतल पर गेट लगाए गए हैं।
फतेहपुर सीकरी में राजा टोडरमल की दो मंजिला बारादरी है। राजा टोडरमल को शेरशाह सूरी और अकबर के समय में राजस्व प्रणाली में सुधार को किए गए काम के लिए जाना जाता है। एएसआइ ने जनवरी में संरक्षण कार्य की शुरुआत कराई थी। पहले चरण में दूसरी मंजिल पर उत्तर व पश्चिम दिशा में टूटे तोड़े व छज्जे के पत्थर लगाने का काम किया गया। पहली मंजिल पर दासा (बार्डर) व तोड़े लगाए गए। खराब हुआ चूने का प्लास्टर दोबारा किया गया। दूसरे चरण में टैंक का संरक्षण किया गया। बारादरी में भूतल पर दरवाजों पर लोहे के गेट लगाए गए हैं। यहां रेड सैंड स्टोन का फर्श बनाया गया है। हालांकि, बारादरी तक पहुंचने को मार्ग का निर्माण अभी नहीं हो सका है। रास्ता बनने के बाद यहां पर्यटक आसानी से पहुंच सकेंगे।
अधीक्षण पुरातत्वविद् राजकुमार पटेल ने बताया कि टोडरमल की बारादरी में संरक्षण कार्य करीब-करीब पूरा हो चुका है। बारादरी में पीछे की तरफ संरक्षण कार्य अगले वित्तीय वर्ष में कराने का प्रयास किया जाएगा। वर्गाकार है टैंक
जनवरी में यहां साइंटिफिक क्लीयरेंस में प्राचीन टैंक मिला था। यह टैंक प्रत्येक दिशा में 8.7 मीटर लंबा और 1.1 मीटर गहरा है। इसके किनारे पर फ्लावर डिजाइन में लाखौरी ईंटों के ऊपर चूने का प्लास्टर है। बारादरी के मुख्य द्वार के सामने उत्खनन में मिले प्राचीन टैंक का आउटलेट दक्षिण दिशा में और ओवरफ्लो पश्चिम दिशा में है। एएसआइ ने टैंक को मूल स्वरूप में सहेजा है। चूने के डिजाइन के ऊपर रेड सैंड स्टोन लगा दिया गया है।
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