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    अगर आपके बच्चों की हड्डियों से आती है आवाज तो हल्‍के में न लें इसे Agra News

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Fri, 17 Jan 2020 08:27 AM (IST)

    10 से 15 साल बच्चों में बढ़ा जुवेनाइल आर्थराइटिस का प्रतिशत। पिछले पांच साल में 15 प्रतिशत बढ़े केस। खान-पान और प्रदूषण से कम हो रही रोग प्रतिरोधक क्ष ...और पढ़ें

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    अगर आपके बच्चों की हड्डियों से आती है आवाज तो हल्‍के में न लें इसे Agra News

    आगरा, जागरण संवाददाता। 12 साल का अविरल कई दिनों से खेलते समय हड्डियों में दर्द की शिकायत करता था। रात में सोते समय भी उसे पैरों के जोड़ों में दर्द होता था। माता-पिता उसकी शिकायत को हल्के में लेते रहे। बात बढ़ी तो डाक्टर को दिखाया गया। जांच के बाद पता चला कि अविरल को आर्थराइटिस है। अब तक गठिया को बुढ़ापे का रोग कहा जाता था लेकिन अब इसकी जद में बच्चे भी आने लगे हैं। 10 से 15 साल के बच्चों में हड्डी संबंधी समस्याएं ज्यादा देखने को मिल रही हैं। पिछले पांच सालों में चिकित्सकों के पास पहुंच रहे मामलों में 15 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इसके लिए बदलती हुई जीवनशैली और प्रदूषण को जिम्मेदार माना जा रहा है।

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    हड्डी रोग विशेषज्ञों के पास गठिया संबंधी जितने भी मामले पहुंच रहे हैं, उनमें बच्चों की संख्या मेें इजाफा हुआ है। जंक फूड और प्रदूषण के कारण बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो रही है। हर रोज चिकित्सकों के पास कम से कम दो बच्चे हड्डी में दर्द की शिकायत के साथ पहुंच रहे हैं।

    जुवेनाइल आर्थराइटिस कर रही परेशान

    बच्चों में गठिया को जुवेनाइल आर्थराइटिस कहते हैं। इससे 5 साल के बच्चे से 17 साल तक के किशोर प्रभावित होते हैं। हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली बाहरी तत्वों जैसे फंगस, बैक्टीरिया या वायरल से लडऩे के लिए सेल्स बनाती है, ये बाहरी तत्वों को नष्ट कर हमें स्वस्थ रखते हैं। लेकिन इस स्थिति में बॉडी के ये सेल जोइंट्स सेल को भी बाहरी तत्व समझकर निष्क्रिय कर देते हैं जिससे गठिया की बीमारी हो जाती है।

    पिछले पांच सालों में बढ़ गया प्रतिशत

    बच्चों में आर्थराइटिस की दिक्कत पिछले पांच सालों में बढ़ी है। पहले दो या तीन प्रतिशत बच्चों में ही आर्थराइटिस की दिक्कत देखने को मिलती थी। लेकिन अब यह प्रतिशत बढ़कर 15 हो गया है।

    रूमेटाइड आर्थराइटिस हो गई खत्म

    डा. अतुल कुलश्रेष्ठ बताते हैं कि बीस साल पहले तक बच्चों में रूमेटाइड आर्थराइटिस के केसेज देखने को मिलते थे। लेकिन इनका प्रतिशत काफी कम था। अब रूमेटाइड आर्थराइटिस यानि बैक्टीरिया से होने वाला गठिया खत्म हो गया है। अब केवल जुवेनाइल आर्थराइटिस ही बचा है। जुवेनाइल आर्थराइटिस के पीछे प्रदूषण और खान-पान संबंधी गड़बडिय़ां हैं।

    प्रारंभिक लक्षण

    जोड़ों में सूजन, जलन, दर्द , शरीर पर रैशेज, तेज बुखार और चलने फिरने में दिक्कत, कलाई या घुटनों को मोडऩे में परेशानी इसके प्रमुख लक्षण हैं। अनुवांशिक कारणों से भी यह समस्या हो सकती है।

    खेलना है बहुत जरूरी

    ऑर्थोपेडिक सर्जन डा. एके गुप्‍ता का कहना है कि घर से बाहर निकल कर खेलना बच्चों के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन इस रोग के मरीजों को क्रिकेट, फुटबॉल, कुश्ती जैसे खेलों से बचना चाहिए। साथ ही बच्चों के आहार में प्रोटीन और कैल्शियम जरूर होना चाहिए।