बैजू बावरा के मकान को पुरातत्व सर्वेक्षण ने किया संरक्षित, फतेहपुर सीकरी में है आंसू बहाते संगीतज्ञ का घर
Baiju Bawra House फतेहपुर सीकरी में बदहाली पर आंसू बहाते संगीतज्ञ बैजू बावरा के मकान के टूटे दालान को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने बनाया है। स्मारक की बीम के साथ ही टूटे छज्जे तोड़े खंबे बदले गए हैं। चार माह तक चले संरक्षण कार्य पर 22 लाख रुपये व्यय हुए हैं। इससे स्मारक की मुगलकालीन रंगत एक बार फिर लौट आई है।

जागरण संवाददाता, आगरा: फतेहपुर सीकरी में बदहाली पर आंसू बहाते संगीतज्ञ बैजू बावरा के मकान के टूटे दालान को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने बनाया है। स्मारक की बीम के साथ ही टूटे छज्जे, तोड़े, खंबे बदले गए हैं।
व्यय हुए 22 लाख रुपये
चार माह तक चले संरक्षण कार्य पर 22 लाख रुपये व्यय हुए हैं। इससे स्मारक की मुगलकालीन रंगत एक बार फिर लौट आई है। संगीतज्ञ बैजू बावरा मुगल शहंशाह अकबर के दरबारी संगीतज्ञ तानसेन के गुरु भाई थे।
संरक्षण नहीं किए जाने पर हुआ था दुर्दशा का शिकार
फतेहपुर सीकरी में बैजू बावरा के मकान के नाम पर एक स्मारक संरक्षित है। लंबे समय से एएसआइ द्वारा संरक्षण नहीं किए जाने से स्मारक दुर्दशा का शिकार था। उसकी बीम व छत टूट गई थीं। स्मारक के खंभे, तोड़े, छज्जे भी टूट गए थे। एएसआइ ने यहां मार्च में संरक्षण कार्य शुरू किया था, जो जून के अंत तक चला। यहां एक तरफ का दालान पूरी तरह क्षतिग्रस्त था।
मूल स्वरूप में दालान को बनाया गया। इसके लिए खंभे, तोड़े, बीम लगाकर छत डाली गई। छत के ऊपर दीवार भी बनाई गई है। यह सारा काम लाल बलुआ पत्थरों से किया गया है।
एक तरफ का दालान था सुरक्षित
स्मारक के खराब हो चुके फर्श को भी संरक्षित किया गया है। अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि बैजू के मकान का संरक्षण किया गया है। यहां एक तरफ का दालान सुरक्षित था। उसके आधार पर ही क्षतिग्रस्त दालान को बनाया गया है।
चंदेरी में है समाधि बैजू बावरा की समाधि
मध्य प्रदेश के अशोक नगर के चंदेरी में है। बैजू बावरा ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष चंदेरी में काटे थे। उनके गुरु भाई तानसेन का मकबरा ग्वालियर में है।
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