Agra Metro में दूसरी बार होगा आर्च गर्डर का प्रयोग, नेशनल हाईवे और एमजी रोड पर बनेंगे एलीवेटेड ट्रैक
UPMRC की टीम ने पहली बार फतेहाबाद रोड पर आर्च गर्डर का प्रयोग किया था। यूपीएमआरसी के अधिकारियों का दावा है कि इस तरीके के गर्डर का देश में पहली बार इस्तेमाल किया गया। फतेहाबाद रोड पर बने एलीवेटेड मेट्रो ट्रैक में तीन गर्डर लगे हैं। इस गर्डर की ढलाई यार्ड में की जाती है। क्रेन की मदद से गर्डर को पिलर कैप के ऊपर जोड़ा जाता है।

Agra Metro News। जागरण संवाददाता, आगरा। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन (UPMRC) की टीम आगरा मेट्रो में दूसरी बार आर्च गर्डर का प्रयोग करेगी। इन गर्डर का प्रयोग नेशनल हाईवे-19 और एमजी रोड पर बनने वाले एलीवेटेड ट्रैक में किया जाएगा। एक गर्डर का वजन 165 टन होता है। क्रासर ओवर के लिए इस गर्डर का प्रयोग किया जाता है। इसे प्रीकास्ट तकनीक से तैयार किया जाता है। इससे समय और पैसे की बचत होती है।
UPMRC की टीम ने पहली बार फतेहाबाद रोड पर आर्च गर्डर का प्रयोग किया था। यूपीएमआरसी के अधिकारियों का दावा है कि इस तरीके के गर्डर का देश में पहली बार इस्तेमाल किया गया। फतेहाबाद रोड पर बने एलीवेटेड मेट्रो ट्रैक में तीन गर्डर लगे हैं। इस गर्डर की ढलाई यार्ड में की जाती है।
क्रेन की मदद से गर्डर को पिलर कैप के ऊपर जोड़ा जाता है। इस तकनीक में कम समय में अधिक कार्य होता है। यातायात बाधित नहीं होता है। गर्डर का वजन 165 टन के करीब होता है। यूपीएमआरसी के एक अधिकारी ने बताया कि सिकंदरा तिराहा से खंदारी तक तीन एलीवेटेड स्टेशन होंगे जबकि आगरा कैंट स्टेशन से कालिंदी विहार तक 14 एलीवेटेड स्टेशन बनेंगे।
दोनों रूट में दूसरी बार आर्च गर्डर का प्रयोग किया जाएगा। गर्डर की संख्या पांच से छह होगी। दोनों ही कारिडोर पर जल्द ही काम चालू होने जा रहा है। नेशनल हाईवे-19 के तीन स्टेशन 312 करोड़ रुपये और दूसरे कारिडोर के सभी स्टेशन 1500 करोड़ रुपये से बनेंगे।
यूपीएमआरसी के एक अधिकारी ने बताया कि आर्च गर्डर के अलावा टी और यू गर्डर का भी प्रयोग किया जाएगा। इन सभी गर्डर का वजन 160 से 175 टन के आसपास होता है।
यह सभी गर्डर यार्ड में तैयार किए जाते हैं। उप महाप्रबंधक, जनसंपर्क पंचानन मिश्र का कहना है कि आगरा मेट्रो में पहली बार आर्च गर्डर का प्रयोग किया गया था। हाईवे और एमजी रोड पर भी इस गर्डर का प्रयोग किया जाएगा।
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