Move to Jagran APP

आगरा में है भैंरों का ये प्राचीन मंदिर, यहां औरगंजेब और सिकंदर को होना पड़ा था नतमस्तक

आगरा में सिकंदरा बाईंपुर रोड पर स्थित है प्राचीन श्री गोरल भैरो मंदिर। लेटी अवस्था में मंदिर में विराजमान हैं भैंरो नाथ। प्रत्येक रविवार यहां श्रद्धालु आकर भगवान मदिरा इमरती लड्डू कचौड़ी हलवा चने का भोग लगाते हैं।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 10 May 2022 08:51 AM (IST)Updated: Tue, 10 May 2022 08:51 AM (IST)
आगरा में है भैंरों का ये प्राचीन मंदिर, यहां औरगंजेब और सिकंदर को होना पड़ा था नतमस्तक
बाईंपुर रोड पर बना प्राचीन श्री गोरल भैरो मंदिर।

आगरा, जागरण संवाददाता। यमुना किनारा बसा आगरा। प्राचीन हिंदू कालीन सभ्यता का प्रतीक है तो मुगलकालीन शासन का भी। मथुरा से नजदीकी के चलते आराध्यों की स्थली रही तो यहां खड़ीं तमाम इमारतें मुगलिया सल्तनत की गवाही भी देती हैं। बादशाह अकबर ने यही से दीन ए इलाही की शुरुआत की। इसलिए ही आगरा को सुलहकुल की नगरी भी कहा जाता है। ताजमहल, किला, फतेहपुरसीकरी, सिकंदरा जैसी मुगलकालीन इमारतों के अलावा भी यहां कई धरोहरें हैं, जिनका अपना एक अलग इतिहास है। आज हम बात करते हैं एक मंदिर की, जिसके आगे मुगल शासकों को भी नतमस्तक होना पड़ा था।

loksabha election banner

औरंगजेब न तोड़ सका इस मंदिर को

मुगल आक्रांता औरंगजेब ने देश में कई मंदिरों को अपना निशाना बनाया, सिकंदर ने भी अपनी बहादुरी दिखाई, लेकिन आगरा के सिकंदरा, बाईंपुर रोड स्थित प्राचीन श्री गोरल भैरों मंदिर की महत्ता के आगे वह भी नतमस्तक हो गए थे। इसके बाद उन्होंने अपनी हार मानकर मंदिर निर्माण कराकर यहां धर्मशाला और बावड़ी का निर्माण कराया था।

मंदिर के महंत विनोद गिर गोस्वामी हैं, उनका परिवार सात पीढ़ी से मंदिर की सेवा कर रहा है। वह बताते हैं कि औरंगजेब की सेना आगरा की सीमा पर जंगल में स्थित इस मंदिर को तोड़ने जा पहुंचीं, लेकिन मंदिर के चमत्कार के आगे सैनिकों की एक न चली। मंदिर तोड़ने की शुरुआत करते ही सैनिकों पर कभी मधुमक्खी हमला कर देती थीं, तो कही बिच्छू और सांप निकल आते, जिस कारण उन्हें पीछे हटना पड़ता था। इसकी जानकारी मुगल शासक औरंगजेब को हुई, तो वह मंदिर पहुंचा और मंदिर में ललकार कर कहा कि यदि यह मंदिर दैवीय है, तो यहां विराजमान मूर्ति हिलकर दिखाए। लोगों को लगा कि औरंगजेब ने क्या शर्त रख दी, लेकिन उसी पल मूर्ति हिली और उसे देखकर औरंगजेब मंदिर के आगे नतमस्तक हो गया। उन्हें मंदिर निर्माण के साथ यहां धर्मशाला और बाबड़ी का भी निर्माण कराया, जो आज भी मौजूद है।

सिकंदर को लेकर भी कहानी

मंदिर को लेकर महान सिकंदर की भी एक कहानी प्रचलित है। वह मंदिर हटाकर अपने किले की दीवार खड़ी करना चाहता था, लेकिन भैरो बाबा एक भौरे के रूप में आकर जितनी बार दीवार बनी मिली, उसे गिरा देते थे। काफी प्रयासों के बाद भी जब दीवार नहीं बन पाई, तो सिकंदर भी मंदिर की महत्ता के आगे नतमस्तक हो गया था।

लेटी अवस्था में हैं भैरो बाबा

प्राचीन श्री गोरल भैरो मंदिर में भैरो बाबा की मूर्ति लेटी अवस्था में हैं, जो अपने आप में विशेष है, इसलिए प्रत्येक रविवार यहां श्रद्धालु आकर भगवान मदिरा, इमरती, लड्डू, कचौड़ी, हलवा चने का भोग लगाते हैं। जबकि पूस माह के शुक्ल पक्ष के तीसरे रविवार को यहां भव्य मेला लगता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.