Welcome of Verdict: 35 वर्ष बाद राजा मान सिंह को मिला इंसाफ, जाट महासभा ने जताई खुशी
अखिल भारतीय जाट महासभा ने अदालत के फैसले को बताया सही। राजा मान सिंह के चित्र पर किया मार्ल्यापण।
आगरा, जेएनएन। भरतपुर रियासत के राजा मान सिंह की हत्या के मामले में 35 साल बाद आए फैसले में 11 सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों को सजा मुकर्रर होने का अखिल भारतीय जाट महासभा ने स्वागत किया है। महासभा का कहना है कि राजा मान सिंह के परिवार को इंसाफ पाने के लिए लंबी लड़ार्इ लड़नी पड़ी। इस फैसले से लोगों को न्याय पालिका पर फिर भरोसा कायम हो गया है।
अखिल भारतीय जाट महासभा ने जिला एवं सत्र न्यायालय के निर्णय पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि राजा मानसिंह के हत्यारों को फांसी की सजा होनी चाहिए थी। मथुरा की अदालत में फैसला सुनाए जाने के बाद अखिल भारतीय जाट महासभा के जिला अध्यक्ष कप्तान सिंह चाहर अौर युवा के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी ने बुधवार को किरावली में स्वर्गीय राजा मानसिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। जिलाध्यक्ष द्वय ने कहा कि राजा मान सिंह के असली हत्यारे तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर थे। जिन्हें कोई सजा नहीं मिली। पुलिस ने तो तत्कालीन मुख्यमंत्री के इशारे पर ही राजा मान सिंह की हत्या की थी। श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में जोगेंद्र पहलवान, संतोष चाहर, जतिन जाट, देवेश चौधरी, संजीव फौजदार, जतिन चाहर, आनंद चौधरी, दुर्गेश सिंह, भूरी सिंह आदि प्रमुख थे ।
अपराधियों के नाम के साथ जाति न जोड़ें
वहीं अखिल भारतीय जाट महासभा ने अपराधियों के नाम के साथ जाति जोड़े जाने पर भी विरोध व्यक्त किया है। जिला अध्यक्ष कप्तान सिंह चाहर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कु. शैलराज सिंह एड, प्रदेश उपाध्यक्ष चौ गोपीचंद व लखपति सिंह चाहर ने कहा है कि जाट महासभा समाचार पत्रों व पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष लिखित मेंं आपत्ति दर्ज करायेगी कि जाट समाज का व्यक्ति यदि अपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता के चलते पकङा जाता है या वांछित पाया जाता है तो सम्मानित समाचार पत्रों में उसके नाम के साथ जातीय शब्द "जाट" न जोङा जाए। जाट महासभा के नेताओं ने कहा है कि यह सिर्फ जाट जाति के संग हो रहा है। पुलिस की प्रेस ब्रीफिंग में भी अपराधी किस्म के व्यक्ति के नाम के साथ जाट शब्द जोड़कर प्रेस ब्रीफिंग भेजी जाती है, यह सरासर गलत है। जाट महासभा के नेताओं ने कहा कि देश में अन्य किसी बिरादरी के या धर्म के अपराधी व्यक्ति के नाम के साथ जाति शब्द नहीं जोड़ा जाता है और न ही समाचार पत्रों में प्रकाशित होता है।