Mosque: मुगलकाल की निशानी है आगरा की जामा मस्जिद, शाहजहां ने ताजमहल तो बेटी ने इसे बनवाया
Jama Masjid आगरा में मुगल काल की कई नायाब इमारतें खड़ी हैं। शाहजहां की बेटी जहांआरा ने आगरा में 1648 में जामा मस्जिद का निर्माण कराया था। जामा मस्जिद में कई हजार लोग एक साथ पढ़ सकते हैं नमाज। आगरा में है करीब छोटी-बड़ी 540 मस्जिदें।

आगरा, जागरण टीम। Jama Masjid आगरा शहर में मुगलकालीन इतिहास की नायाब इमारत है। आगरा शहर के मध्य में बनी जामा मस्जिद शहर की प्रमुख मस्जिदों में से एक है। यहां ईद की मुख्य नमाज अदा होती है।
मुगल शासन में बना ताजमहल और जामा मस्जिद
मुगल शासन में शाहजहां की लख्ते जिगर (सबसे बड़ी बेटी) जहांआरा ने 1648 में जामा मस्जिद को तामीर कराया था। मस्जिद के निर्माण में उस समय पांच लाख रुपये खर्च हुए। जामा मस्जिद रेड सैंड स्टोन की बनी है और एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है। इसमें एक बड़ा दालान और उसके मध्य बना हुआ टैंक है।
मस्जिद के दो तरफ बरामदा
मस्जिद के दो तरफ बरामदा बना हुआ है। मस्जिद की छत पर तीन गुंबद हैं। मस्जिद के द्वार पर फारसी भाषा का एक शिलालेख लगा हुआ है, जो बताता है कि इस मस्जिद का निर्माण जहांआरा बेगम ने वर्ष 1644-48 के दौरान पांच वर्षों में पांच लाख रुपये से कराया था। यह मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा संरक्षित है।
जामा मस्जिद की ये है विशेषता
शाही जामा मस्जिद में तीन बड़े गुंबद हैं। यह 130 फीट लंबी व सौ फीट चौड़ाई के क्षेत्रफल में बनी है। मस्जिद में एक साथ कई हजार लोग नमाज अदा कर सकते हैं। 20 वें रमजान को मस्जिद को तामील कराने वाली जहांआरा का उर्स होता है। इसके अलावा आगरा में लगभग 540 मस्जिदें हैं।
आगरा की प्रमुख मस्जिद
नगीना मस्जिद: दीवान-ए-आम के उत्तर-पश्चिम में नगीना मस्जिद है। इसका निर्माण शाहजहां ने वर्ष 1635-36 में संगमरमर से कराया था। इसमें दीवान-ए-खास के कार्यक्रमों में भाग लेने वाले अमीर, उमरा व अधिकारी नमाज पढ़ते थे। यह मस्जिद सुरुचिपूर्ण ढंग से बनाई गई है।
आगरा किला में हैं तीन मस्जिदें
मोती मस्जिद: दीवान-ए-आम की उत्तर दिशा में शाहजहां द्वारा संगमरमर से बनवाई गई मोती मस्जिद है। यह रेड सैंड स्टोन से बनी है, लेकिन इसका आंतरिक भाग सफेद संगमरमर से बनाया गया है। शाहजहां ने 1648-55 के मध्य सात वर्षों में तीन लाख रुपये से इसका निर्माण कराया था।
मीना मस्जिद: मीना मस्जिद दीवान-ए-खास के नजदीक बनी हुई है। यह संभवत: दुनिया की सबसे छोटी मस्जिद है। शहंशाह शाहजहां ने इसका निर्माण व्यक्तिगत उपयोग के लिए कराया था।
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