एक साल से नए उद्योग पर ‘सुप्रीम’ पाबंदी, टूट रहा आगरा; इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी योजना भी अधर में लटका
आगरा में नए उद्योगों की स्थापना पर सुप्रीम कोर्ट की रोक से शहर का विकास बाधित हो रहा है। 1500 से अधिक आवेदन लंबित हैं और युवा पीढ़ी रोजगार के लिए पलायन कर रही है। पर्यटन और निवेश भी प्रभावित हैं। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में हुए करार पूरे नहीं हो पा रहे हैं, जिससे औद्योगिक विकास की गति धीमी हो गई है। शहर को इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी के लिए चुना गया था, लेकिन योजना आगे नहीं बढ़ पाई है।
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अम्बुज उपाध्याय, आगरा। नवाचार के साथ नए उद्योगों को आकार देने की योजनाएं आगरा में फलीभूत नहीं हो पा रही हैं। जूता, मार्बल हैंडीक्राफ्ट और कालीन उद्योग के साथ विश्वपटल पर डंका बजाने वाला शहर सुप्रीम कोर्ट की पाबंदियों के बीच सिसक रहा है। नई पीढ़ी मजबूरी में शहर से बाहर मौके तलाशने को निकल रही है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक साल से नए उद्योग लगाने पर पूरी तरह रोक के कारण 1500 से अधिक नई इकाई स्थापना, रीलोकेशन और विस्तार की अनुमति के आवेदन फाइलों में बंद पड़े हैं। जिला उद्योग केंद्र में आवेदनों की संख्या बढ़ती जा रही है। ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में जब उद्योग नहीं लग रहे तो रोजगार भी सृजित नहीं हो रहे।
ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में हुए करार भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं। इसमें ही 200 से अधिक इकाई तैयार हैं, लेकिन बिजली का कनेक्शन, अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए सुप्रीम कोर्ट की रोक की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। इस रोक का दंश यहां का सबसे बड़ा पर्यटन क्षेत्र भी झेल रहा है। नए होटल लगाने पर रोक है, जबकि वह वायु प्रदूषण नहीं करते हैं।
फिरोजाबाद, मथुरा, भरतपुर, एटा जिले को भी इससे भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। आगरा के उद्योग की मुश्किलें वर्ष 1996 से प्रारंभ हुईं। ताज के संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) का गठन करते हुए 50 किमी की हवाई परिधि में प्रदूषणकारी उद्योगों पर रोक लगा दी।
असर यह हुआ कि सबसे बड़ा फाउंड्री उद्योग, ईंट उद्योग खत्म हो गया। पाबंदियों के कारण नए उद्योग लगे नहीं। 2016 केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने उद्योगों को चार श्रेणी में बांटा दिया था। टीटीजेड में सिर्फ सफेद श्रेणी के 36 उद्योग ही लगाने की अनुमति दी थी। वर्ष 2019 में राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नीरी को टीटीजेड में उद्योग लगाने को दिशा-निर्देश तैयार करने को आदेशित किया था। इसके बाद नीरी ने प्रदूषण स्कोर के आधार पर श्रेणियां बनाईं।
परंतु नेशनल चैंबर आफ इंडस्ट्रीज एंड कामर्स के अरुण गुप्ता की 2022 में लगाई याचिका पर सुनवाई करते हुए 14 अक्टूबर 2024 को उद्योगों पर पूरी तरह रोक लगा दी। अब यहां संचालित ऐसी इकाइयां भी पाबंदियों के चलते विस्तार नहीं कर पा रही हैं। बिजली का लोड बढ़ाने के लिए आवेदन करते हैं, तो प्रदूषण विभाग भेजा जाता है।
प्रदूषण विभाग पहुंचते हैं तो जिला उद्योग केंद्र भेजा जाता है। उद्योग केंद्र यह कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलेगी, तब हम कुछ कर पाएंगे। आप अकेले नहीं है, फाइलों के ढेर लगे हैं।
इन आवेदनों में कई उद्योग ऐसे हैं, जो गैर प्रदूषणकारी हैं। इसके बाद भी अनुमति नहीं मिलने से कारोबार प्रभावित है। रोजगार का सृजन नहीं हो पा रहा है तो विकास का रास्ता प्रभावित है। शहर में माननीयों की बड़ी फौज है, लेकिन पैरवी को कोई तैयार नहीं है। औद्योगिक विकास की दौड़ में शहर लगातार पिछड़ रहा है।
अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद देशभर में बनने वाले 12 इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी के लिए आगरा को भी चुना गया था। प्रतिभा पलायन को रोकने और शहर के औद्योगिक विकास के लिए नई संभावनाएं जागी थीं। एक वर्ष गुजरने के बाद भी योजना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी। रहनकलां स्थित इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (आइएमसी) की भूमि पर ही ये विकास होना था। उद्योग बढ़ने और 70 हजार से अधिक रोजगार सृजन की संभावना थी, लेकिन कुछ हो नहीं सका।
वर्ष 2023 में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में शहर के लिए 2.19 लाख करोड़ रुपये के 284 अनुबंध हुए। ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में कुल अनुबंध में से 160 शामिल थे। नौ हजार 138 करोड़ रुपये के अनुबंध आगरा में धरातल पर उतरने थे, लेकिन ये फाइलों में सिमटे रहे। भूमि का प्रबंध न होने और नोडल अधिकारियों से सहायता न मिलने के कारण 1.60 लाख करोड़ का अनुबंध आगरा से नोएडा शिफ्ट हो गया चुका है। इसमें हांगकांग की चिप निर्माता कंपनी भी थी। रिलांयस सहित कई दूसरी बड़ी कंपनियां शहर में उद्योग लगा रोजगार सृजन करना चाहती थीं, लेकिन कुछ नहीं हो सका है।
सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम आदेश तक नई इकाई को अनुमति के लिए रोक लगा रखी है। इसको लेकर सरकार के स्तर से पैरवी हो रही है। अनुमति नहीं दिए जाने से 1500 फाइल पेंडिंग हैं।
-अनुज कुमार, संयुक्त आयुक्त उद्योग

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