Agra University: किस्से हैं बड़े गहरे, 20 करोड़ खर्च कर बनवाया शिवाजी मंडपम, एक कार्यक्रम के बाद फांक रहा धूल
Agra University डा. अरविंद दीक्षित के कुलपति पद पर कार्यकाल के दौरान 2019 में बनकर तैयार हो गया था प्रेक्षागृह। नोएडा की फर्म के नाम 13 करोड़ रुपये में उठा था टेंडर। 20 करोड़ का बजट किया गया आवंटित अब तक कार्यक्रम हुआ इसमें सिर्फ एक।
आगरा, प्रभजोत कौर। मैं शिवाजी मंडपम हूं। मुझे बनाने में 19 करोड़ 71 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। 2019 से बनकर तैयार हूं। 2022 मार्च में एक दिन की रौनक के लिए चहल-पहल रही। राज्यपाल आईं और उन्हें दिखाने के लिए मुझे किराए के फर्नीचर से सजाया गया। लगा कि अब मैं भी चेहरे देख पाऊंगा, आवाजें सुन पाऊंगा और अपने नाम की चर्चा लोगों के मुंह से सुनूंगा। लेकिन सात महीने से फिर से अकेला हूं।
सूरसदन से बड़ा बनाने का था सपना
यह दर्द उस शिवाजी मंडपम का है, जिसे सूरसदन से बड़ा बनाने और दिखाने के लिए डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. अरविंद दीक्षित ने नियम ताक पर रख दिए थे। 2017 में 12 अगस्त को पूर्व राज्यपाल राम नाईक व उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने इसका शिलान्यास किया था। इसके निर्माण के लिए किसी विभाग ने प्रस्ताव नहीं रखा लेकिन डा. दीक्षित ने एक हाईपावर समिति का गठन किया, जिसमें आरएसएस के राकेश गर्ग, सीए प्रमोद चौहान, होटल रमाडा मालिक मगनानी, तत्कालीन कुलसचिव, प्रो. संजीव कुमार और प्रो. अजय तनेजा शामिल थे। इस समिति ने शिवाजी मंडपम के लिए प्रस्ताव बनाया। जिसे विश्वविद्यालय की निर्माण समिति के सामने रखा गया और पारित कराया गया।
20 करोड़ रुपये खर्च
इस प्रस्ताव को वित्त समिति में रखा गया और 20 करोड़ रुपये का बजट पारित हुआ। इसके निर्माण का कार्य टेंडर के बाद नोएडा की वसुंधरा फर्म को दिया गया। टेंडर 13 करोड़ रुपये में हुआ था। सूत्रों के अनुसार 19 करोड़ 71 लाख रुपये खर्च कर दिए गए हैं। टेंडर 13 करोड़ रुपये का था, तो 19 करोड़ 71 लाख रुपये क्यों और कहां खर्च किए गए। 2019 में यह प्रेक्षागृह बनकर तैयार हो गया, लेकिन इसमें न तो साउंड सिस्टम लगा था और न ही फर्नीचर। 2022 के मार्च महीने में पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से 29 मार्च को लोकार्पण कराया।
सिर्फ एक कार्यक्रम हुआ अब तक
इससे पहले प्रो. पाठक ने फर्म के रुके हुए डेढ़ करोड़ रुपये भी अवमुक्त कर दिए। इसी दिन इस प्रेक्षागृह में दीक्षा समारोह भी आयोजित किया गया था। इससे पूर्व प्रो. पाठक ने फर्म इस दीक्षा समारोह के लिए फर्नीचर निजी टेंट फर्म से किराए पर लिया गया था। एसी तक अस्थायी रूप से इंस्टाल करवाए गए थे, जो किराए पर लिए गए थे। दीक्षा समारोह के लिए लगभग 1000 कुर्सियां, साउंड सिस्टम और पांच टन के चार एसी का ठेका लगभग चार लाख रुपये में दिया गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार डा. दीक्षित ने इसे बनवाने के लिए तर्क दिया था कि इसे किराए पर दिया जाएगा, जिससे विश्वविद्यालय की आय में वृद्धि होगी, लेकिन 2019 से लेकर चार नवंबर तक इसमें सिवाय दीक्षा समारोह के कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है।
अब फांक रहा है धूल
शुक्रवार को संवाददाता ने शिवाजी मंडपम का दौरा किया तो देखा कि नीचे के तल पर एक कमरे में मूल्यांकन कार्य चल रहा था। कार्यालय बंद थे, उनमें फर्नीचर भरा हुआ था। पहले तल पर बने प्रेक्षागृह में सिवाय सन्नाटे, धूप, कुछ कुर्सियों, एक टेबल और धूल के और कुछ नहीं था। इस प्रेक्षागृह का कितना किराया तय किया गया है, कौन इसकी देखरेख करता है की जानकारी वहां तैनात सुरक्षा कर्मी को नहीं थी और न ही इसकी जानकारी कुलसचिव डा. विनोद कुमार सिंह के पास है।
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