यूपी पुलिस में बड़ा फर्जीवाड़ा, पिता की मौत के बाद आश्रित बनकर दो भाई वर्षों करते रहे नौकरी; अब हुआ एक्शन
आगरा में कांस्टेबल जयप्रकाश लांबा की नौकरी के दौरान मृत्यु हो गई थी। उनके बड़े बेटे नागमेंद्र लांबा को मृतक आश्रित कोटे से नौकरी मिली और बाद में छोटे बेटे योगेंद्र लांबा ने भी उसी कोटे से नौकरी प्राप्त की। दोनों भाइयों की पोस्टिंग आगरा कमिश्नरेट में थी। मामला पकड़ में आने के बाद नागमेंद्र की पेंशन रोक दी गई है।

जागरण संवाददाता, आगरा। यूपी पुलिस में कांस्टेबल जयप्रकाश लांबा का नौकरी में रहते हुए निधन हो गया। बड़े बेटे नागमेंद्र लांबा 1986 में मृतक आश्रित कोटे से हल्द्वानी (उत्तराखंड) में भर्ती हुए। 11 साल बाद उनके छोटे भाई योगेंद्र लांबा ने खुद को मृतक आश्रित बताकर 1997 में मेरठ से नियुक्ति पा ली। पिछले वर्ष से दोनों भाइयों की पोस्टिंग आगरा कमिश्नरेट में चल रही थी।
मृतक आश्रित कोटे से दो भाइयों की नौकरी का खेल पकड़ में आने के बाद अब कार्रवाई शुरू हो गई है। बड़े भाई नागमेंद्र एएसपी के पद से पिछले वर्ष रिटायर्ड हो चुके हैं। छोटे भाई इंस्पेक्टर योगेंद्र पुलिस लाइन में तैनात हैं। रिटायर्ड एसीपी के पेंशन सहित अन्य भुगतान पर रोक लगा दी गई है। इंस्पेक्टर के वेतन पर रोक लगा दी गई है। मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति के नियम के तहत एक परिवार से एक ही व्यक्ति की नियुक्ति होगी।
दो वर्ष पूर्व पुलिस मुख्यालय को बेनामी शिकायत भेजी गई। इसमें बताया गया है कि एएसपी (एकाउंट) नागमेंद्र लांबा और इंस्पेक्टर योगेंद्र लांबा दोनों भाई हैं। पिता की मौत के बाद एक ही भाई को नौकरी मिल सकती थी, लेकिन दोनों ने मृतक आश्रित कोटे में नौकरी हासिल की। तत्कालीन पुलिस कमिश्नर जे. रविंदर गौड ने जांच शुरू कराई। शिकायत सही पाए जाने पर रिपोर्ट कमिश्नर दीपक कुमार को सौंप दी।
पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने सेवानिवृत्त हुए एसीपी नागमेंद्र लांबा भुगतान व पेंशन पर रोक लगा दी। निरीक्षक योगेंद्र लांबा का वेतन रोका गया। विस्तृत जांच एडीपीसी क्राइम हिमांशु गौरव को सौंपी गई है। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर दोनों भाइयों को आरोपपत्र दिए गए हैं।
इंस्पेक्टर पर गिर सकती है बर्खास्तगी की गाज
जानकारों का मानना है कि बड़े भाई नागमेंद्र लांबा की नियुक्ति पहले हुई। इसलिए उनकी नियुक्त को सही माना जाएगा। बाद में नियुक्ति पाकर पदोन्नति से इंस्पेक्टर बन चुके योगेंद्र लांबा की नियुक्त फर्जी मानी जाएगी। इसके चलते बर्खास्तगी की कार्रवाई भी हो सकती है।
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