टीटीजेड पर न हो कोई राजनीति
पर्यावरणविद और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एमसी मेहता ने कहा कि ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) देश की धड़कन है। इसे बचाना अत्यंत जरूरी है। ताज के साथ कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा के गिर्राज जी मंदिर समेत यहां स्थित 400 से 500 साल पुराने मंदिरों को भी बचाना होगा। यह हमारी धरोहर हैं। उन पर भी प्रदूषण का असर पड़ रहा है। हमें उन्हें भी देखना होगा। यह ईको सेंसेटिव जोन है। इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।

जागरण संवाददाता, आगरा: पर्यावरणविद और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एमसी मेहता ने कहा कि ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) देश की धड़कन है। इसे बचाना अत्यंत जरूरी है। ताज के साथ कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा के गिर्राज जी मंदिर समेत यहां स्थित 400 से 500 साल पुराने मंदिरों को भी बचाना होगा। यह हमारी धरोहर हैं। उन पर भी प्रदूषण का असर पड़ रहा है। हमें उन्हें भी देखना होगा। यह ईको सेंसेटिव जोन है। इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
ताज के सदियों तक संरक्षण को एक्शन प्लान को लेकर हुई बैठक में आए पर्यावरणविद एमसी मेहता ने मीडिया से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के टीटीजेड में पर्यावरण संरक्षण को दिए आदेशों का अनुपालन नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने जिन इंडस्ट्री को बंद कराने के आदेश किए थे, वह आज भी चल रही हैं। उन्हें बंद कराना अथॉरिटी का काम है। इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
विकास योजनाओं के नाम पर पेड़ काटने और बाईपुर व ताज वन क्षेत्र में पेड़ काटे जाने पर पर्यावरणविद मेहता ने कहा कि पेड़ कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित करते हैं। उन्हें काटा नहीं जाना चाहिए। एक बेटा या बेटी हमें वो नहीं दे सकता, जो एक पेड़ पूरे समाज को देता है। पेड़ को बच्चे की तरह पालना चाहिए।
टीटीजेड की स्थिति
अधिवक्ता एमसी मेहता द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किए जाने के बाद ही वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने वर्ष 1983 में आगरा-मथुरा क्षेत्र को टीटीजेड घोषित किया था। यह 10400 वर्ग किमी में फैला है। वर्ष 1999 में टीटीजेड अथॉरिटी का गठन हुआ था। इसमें आगरा, मथुरा, फीरोजाबाद, भरतपुर, हाथरस शामिल हैं।

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