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    Agra Sweet: आगरा का पेठा, जिसने भी इस लजीज मिठाई को एक बार खाया वो हुआ स्वाद का दीवाना

    By Abhishek SaxenaEdited By:
    Updated: Mon, 11 Jul 2022 03:02 PM (IST)

    Agra Sweet petha ताजमहल का दीदार करने वाले अपने जेहन में ताज की खूबसूरती के साथ यहां की मिठास को भी साथ लेकर जाते हैं। शहर की आन और शान पेठा यूं ही विश्वभर में प्रसिद्ध नहीं है।

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    Agra Sweet: आज कई फ्लेवरों में मिलता है पेठा, ग्लोबल मार्केट में पेठा ने जमाई धाक

    आगरा, जागरण टीम। आगरा शहर ताज नगरी नाम से मशहूर होने के साथ ही 'पेठा नगरी' के नाम से भी जाना जाता है। कहावत है कि जो भी शख्स आगरा जाता है, तो वो वहां से इस लजीज मिठाई को लिए बिना वापस नहीं लौटता है। यही कारण है कि आगरा को 'पेठा नगरी' के रूप में भी जानते हैं। आइये इसी बात पर आज जानते हैं आगरा की मिठाई के यानि पेठा के बारे में।

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    एक बिना स्वाद के एक फल में विभिन्न फ्लेवर्स का जायका मिलाकर नया रूप दे दिया जाता है। पेठे की विशेषता और स्वाद दोनों को दिन प्रतिदिन बढ़ा रहा है। इसे पसंद करने वालों ने आगरा की इस मिठाई को ग्लोबल मिठाई बना दिया है। विशेषकर गर्मियों में आगरा के पेठे की डिमांड बढ़ जाती है।

    पेठा बनाने की ये है आसान विधि

    आगरा में कई जगहों पर पेठा का कारोबार होता है। कई कारीगरों को पेठा कारोबार देता है। कच्चे पेठे के फल से खाने वाली मिठाई बनाने तक कई स्टेप्स आते हैं। ये सभी काम कुशल कारीगरों के हाथ से होते हैं। सबसे पहले कच्चे पेठे को काटा जाता है, उसके अंदर से गूदा निकाला जाता है। इस गूदे को पेठे के आकार में काटकर उसके पीस तैयार किए जाते हैं।

    कटे हुए पेठे के पीस को एक नुकीली कीलों वाली मशीन से गोदा जाता है। ये प्रक्रिया इसलिए जरूरी है कि पेठे में चीनी की मिठास अंदर तक घुल जाए। इसके बाद उस पेठे को चूने के पानी में अच्छी तरह से दो से तीन बार धोया जाता है। धोने के बाद उसे गर्म पानी में डालकर उबालते हैं। इस पेठे को एक बार फिर से चासनी में पकाया जाता है और उसके बाद उस पेठे में फ्लेवर मिलाकर ड्राई किया जाता है। पेठा सुखाने के बाद खाने के लिए बिल्कुल तैयार हो जाता है। ये ऐसी मिठाई है जो जल्दी खराब नहीं होती है।

    एक नजर में पेठा उत्पादन

    40 टन पेठे का हर रोज हाे रहा उत्पादन

    500 पेठा उत्पादन इकाई हैं जिले में

    2000 रिटेल दुकानें हैं शहर में

    56 तरह के पेठे बनाए जाते हैं शहर में

    10 हजार से अधिक मजदूर जुड़े हैं पेठा कारोबार से

    पेठे की प्रमुख वैरायटी की दर

    पेठा वैरायटी, वर्तमान में रुपये/किलो,                       पूर्व में रुपये/किलो

    सादा पेठा                    120                                          100

    सादा अंगूरी                  150                                          135

    लाल पेठा                     150                                          130

    पान गिलोरी                 12 पीस 150                                130

    केसर पेठा                    150                                          125

    केसर अंगूरी                  180                                         160

    चैरी पेठा                       200                                         185

    खस पेठा                      180                                          160

    मिक्स चैरी                     200                                         185

    कोकोनट                        200                                      180

    सदियों साल पुरानी मिठाई है पेठा

    महाभारत काल से आयुर्वेद में पेठे को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है। सदियों से लोग अम्लावित्त, रक्तविकार, वात प्रकोप, जिगर, स्त्री रोग आदि बीमारियों में इसका प्रयोग करते थे। जलने की दशा में भी पेठे से बनी दवा का प्रयोग लाभकारी होता है।कुम्हड़ा नाम के फल से पेठा बनाया जाता है।

    औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इसे संस्कृत शब्द कूष्मांड के नाम से अनेक चिकित्सीय विधियों में प्रयोग करते हैं। पेठे की मिठाई में किसी तरह की चिकनाई का प्रयोग नहीं होता है। यह मिलावट से रहित, कम वसा वाला और भरपूर फाइबरयुक्त होता है।

    चिकित्सकों के अनुसार पेठा मिठाई पेट के लिए लाभकारी है। यदि भाेजन के बाद पेठे का पीस खाया जाए तो खाना जल्दी पचता है। यदि एसिडिटी की समस्या से पीड़ित हैं तो फ्रीज में रखे पेठे की ठंडक आपको आराम देगी।

    कभी खांड और केवड़े का स्वाद लिये पेठा आज 60 से भी अधिक फ्लेवर्स के कारण मिठाइयों को भी पीछे छोड़ रहा है। ग्लोबल मार्केट में बढ़ी पेठे की डिमांड के चलते आज करीब पेठे का दैनिक कारोबार दो करोड़ रुपये से अधिक पहुंच चुका है।