आगरा पुलिस ने 11 महीने में रुकवाए 13 बाल-विवाह, जानिए कौन बना कानून का मददगार
Child Marriage in Agra अधिकांश शादियां रुकवाने में सहेलियों ने की मदद। चाइल्ड हेल्पलाइन मानव तस्करी निरोधक थाने ने की कार्रवाई। चाइल्ड लाइन और पुलिस की संयुक्त टीम ने इस साल बाह सिकंदरा फतेहपुर सीकरी एत्माद्दौला शाहगंज मलपुरा जगदीशपुरा व सैंया क्षेत्रों में नाबालिग लड़कियों की शादी रुकवाई।
आगरा, जागरण संवाददाता। कक्षा 11 में पढ़ने वाली दो सहेलियों ने भविष्य को लेकर योजनाएं बनाई थीं।उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद दोनों अपने पैरों पर खड़े होकर समाज में खुद को प्रतिष्ठित करना चाहती थीं। सहपाठी ने अचानक स्कूल आना बंद कर दिया। सहेली को फिक्र हुई, संपर्क किया तो पता चला कि सहपाठी की शादी तय हो गई है। सहपाठी के घर जाकर बातचीत करने पर उसने सहेली को बताया कि स्वजन जबरन शादी कर रहे हैं। जबकि वह अभी पढ़ना चाहती है। अपनी शादी रुकवाने में मदद मांगी। सहेली ने शादी रुकवाने के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन की मदद ली। पुलिस और चाइल्ड लाइन की टीम ने फेरों से एक दिन पहले छात्रा के घर पहुंची। उसके स्वजन को समझाया, नाबालिग की शादी करने पर कानून कार्रवाई की जानकारी दी। काउंसलिंग के बाद स्वजन उसकी शादी रोकने को राजी हुए। सहेली की मदद से शादी रुकवाने के बाद छात्रा अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सकी।
इस साल जनवरी से नवंबर के दौरान चाइल्ड हेल्पलाइन ने मानव तस्करी निरोधक थाने की मदद से 13 नाबालिगों की शादी रुकवाई। अधिकांश शादियां रुकवाने में किशोरियों की सहेलियों ने अहम भूमिका निभाई। क्योंकि नाबालिग अधिकांश किशोरियां शादी करना नहीं चाहती थीं। मगर, अपने माता-पिता के दबाव के चलते इसका विरोध भी नहीं कर पा रही थीं। ऐसे में इन किशोरियों की मदद के लिए उनकी सहेलियां आगे आईं। चाइल्ड लाइन और पुलिस की संयुक्त टीम ने इस साल बाह, सिकंदरा, फतेहपुर सीकरी, एत्माद्दौला, शाहगंज, मलपुरा, जगदीशपुरा व सैंया क्षेत्रों में नाबालिग लड़कियों की शादी रुकवाई।
कोरोना काल में ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह के सबसे ज्यादा मामले
चाइल्ड लाइन समन्यक ऋतु वर्मा ने बताया कि बाल विवाह के सबसे ज्यादा मामले कोरोना काल में ग्रामीण इलाकों से आए। हेल्पलाइन में सूचना मिलने पर पुलिस की मदद से इन बाल विवाह को होने से रोका। काउंसलिंग के बाद स्वजन भी बेटी के बालिग होने के बाद विवाह की बात मान गए। नाबालिगों की शादी के सबसे ज्यादा मामले अप्रैल और मई के दौरान आए। इस दौरान आयोजनों पर रोक लगी थी। जिसके चलते आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों ने अपनी नाबलिग बेटियों की शादी करने का प्रयास किया।