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    मुकदमे से खोला पुलिस ने जमानत का रास्ता

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 07 Jan 2018 11:25 PM (IST)

    क्विज गेम की आड़ में सट्टा चलने के मामले में पुलिस ने हल्की की धाराओं का खेल कर दिया। इससे आरोपियों को आसानी से जमानत मिल गई।

    मुकदमे से खोला पुलिस ने जमानत का रास्ता

    जागरण संवाददाता, आगरा: क्विज गेम की आड़ में सट्टा चलने के मामले में पुलिस ने हल्की की धाराओं का खेल कर दिया। इससे आरोपियों को आसानी से जमानत मिल गई।

    हरीपर्वत क्षेत्र के फ्रीगंज में एसओ महेश चंद्र गौतम ने टीम के साथ छापा मार शनिवार को एक दुकान से बीस लोगों को गिरफ्तार किया था। तब कहा गया कि दुकान में चल रहे लक्ष्य इंडिया के क्विज गेम की आड़ में सट्टा चल रहा था। वहां से कंप्यूटर, लेपटॉप और नकदी भी बरामद की थी। फ्री गंज निवासी गोपाल, ट्रांस यमुना कॉलोनी निवासी विजय गौतम और महेश चंद्र को संचालक बताया था। पुलिस ने सभी के खिलाफ 13 जुआ अधिनियम में मुकदमा दर्ज कर रविवार को रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। जमानती धारा होने के कारण सभी को वहां से जमानत मिल गई।

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    कानून के जानकारों का कहना है कि बंद स्थान में सट्टा हो रहा था और यह संगठित तरीके से चल रहा था। इसलिए इसमें 3 /4 जुआ अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए था। इसमें जमानत की संभावना कम थी। एसपी सिटी कुंवर अनुपम सिंह का कहना है कि सेंटर के लाइसेंस निरस्तीकरण की रिपोर्ट भेजी जा रही है। मामले में लगातार कार्रवाई होगी।

    ये है अंतर

    3 / 4 जुआ अधिनियम: यह गैर जमानती धारा है। सेशन ट्रायल होता है। सात साल तक सजा का प्रावधान।

    कब होती है कार्रवाई- बंद स्थान पर संगठित तरीके से जुआ या सट्टे में पकड़े जाने पर।

    13 जुआ अधिनियम: यह जमानती धारा है। मजिस्ट्रेट ट्रायल होता है। तीन माह की सजा या 50 रुपये जुर्माने का प्रावधान।

    कब होती है कार्रवाई- खुले स्थान पर असंगठित तरीके से जुआ या सट्टा पकड़े जाने पर।

    सरगना का नाम भी मुकदमे से गायब

    लक्ष्य इंडिया के नाम पर जिस व्यक्ति ने मनोरंजन कर विभाग और पुलिस प्रशासन से अनुमति ली, उसका नाम मुकदमे से गायब है। पुलिस का तर्क है कि वह मौके पर नहीं था। इसलिए उसका नाम शामिल नहीं किया।