डॉ. मोनिका को छह माह से किया जा रहा था प्रताडि़त
आगरा: लेडी लॉयल की डॉक्टर मोनिका और उनके पति डॉक्टर हरविंदर के बीच छह महीने से कुछ ठीक नहीं चल रहा था।
जागरण संवाददाता, आगरा: लेडी लॉयल की डॉक्टर मोनिका और उनके पति डॉक्टर हरविंदर के बीच छह महीने से कुछ ठीक नहीं चल रहा था। दोनों में लगभग संवादहीनता की स्थिति थी। मोनिका के परिजनों का आरोप है कि डॉ. हरविंदर अक्सर मारपीट करते थे। वह छह महीने से मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना सह रही थीं। पति ने 18 अप्रैल को डॉ. मोनिका से मारपीट की थी। पति द्वारा लिखित में माफी मांगने पर मोनिका ने घर पर आई पुलिस को लौटा दिया था। परिजनों का दावा है कि मृतका के शरीर पर चोटों के निशान थे।
मूलरूप से बुलंदशहर के स्याना थाना क्षेत्र निवासी डॉ. मोनिका सिद्धू वर्ष 2005-06 बैच की एमबीबीएस थीं। उन्होंने एसएन मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया था। तीन साल पहले उन्होंने साथी डॉ. हरविंदर से शादी की और डेढ़ साल का बेटा है। डॉ. मोनिका के पिता अजय कुमार के मुताबिक बेटी के दांपत्य जीवन में छह महीने से जहर घुल गया था। मोनिका ने उन्हें बताया था कि डॉ. हरविंदर रोज सुबह घर से निकल जाते हैं, देर रात को लौटते हैं। वह उनका इंतजार करती रहती हैं, सवाल करो तो मारपीट करने लगते थे। उनके साथ पत्नी जैसा बर्ताव नहीं करते थे। डॉ. हरविंदर के व्यवहार में अचानक आए इस बदलाव से उन पर शक होने लगा था। इससे डॉ. मोनिका मानसिक तनाव में रहने लगी थीं। पिता अजय कुमार के अनुसार 18 अप्रैल की रात डॉ. मोनिका को पति ने बुरी तरह पीटा। इस पर उन्होंने पुलिस को बुला लिया। जानकारी होने पर पिता भी बेटी के घर पहुंच गए। पुलिस के आने पर डॉ. हरविंदर ने उसे लिखित में दिया कि वह भविष्य में दोबारा पत्नी से मारपीट नहीं करेंगे। माफीनामा पर गवाह के रूप में पिता अजय कुमार और डॉ. हरविंदर के परिचित चिकित्सक ने हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद 21 अप्रैल की रात डॉ. मोनिका के साथ दोबारा मारपीट होने पर पिता अजय कुमार घर पहुंचे। आधी रात को समझौता कराने के बाद रविवार सुबह लौट आए।
डॉ. हरविंदर सोमवार को मोनिका को अपने घर कोसी लेकर गए। वहां से डॉ. हरविंदर अपनी मां को लेकर आए थे। मंगलवार रात को उनके साथ यह घटना हो गई। पिता और परिवार के अन्य लोगों का दावा है कि मृतका के शरीर पर प्रताड़ना के निशान थे। उनका शरीर कई जगह से नीला पड़ा था। सीओ कोतवाली अब्दुल कादिर ने बताया कि मृतका के परिजनों की तहरीर के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। तहरीर न मिलने से रुका रहा पोस्टमार्टम
डॉ. मोनिका सिद्धू को एसएन में डॉक्टरों ने रात पौने नौ बजे मृत घोषित कर दिया था। इसके बावजूद उनका पोस्टमार्टम बुधवार दोपहर बाद हो सका। क्योंकि पुलिस को पिता और पति दोनों की ओर से कोई तहरीर नहीं मिली थी। दोनों पक्ष एक दूसरे द्वारा तहरीर देने की प्रतीक्षा कर रहे थे। बुधवार दोपहर 12 बजे डॉ. मोनिका के पिता अजय कुमार ने एमएम गेट थाने पहुंचकर बेटी की मौत की तहरीर दी। इसके बाद पोस्टमार्टम हो सका।
मंगलवार का घटनाक्रम
-दोपहर 3.10 बजे: पिता से मोबाइल पर बात की। अपना दर्द सुनाया कि वह बहुत तनाव में हैं। इसके बाद व्यस्त होने की कहते हुए दोबारा बात करने कहकर फोन काट दिया।
-शाम 7.19 बजे: जालंधर में बीटेक कर रहे छोटे भाई आकाश से फोन पर बातचीत की। उसे बताया कि वह तनाव में चल रही हैं, लेकिन जल्द ही सब कुछ सही हो जाएगा।
-रात 8.45 बजे: डॉ. मोनिका को लेडी लॉयल से एसएन इमरजेंसी लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया।
रात 8.57 बजे: डॉ. हरविंदर ने पिता अजय कुमार को डॉ. मोनिका की मौत की खबर दी।
लेडी लॉयल से एसएन आने में लग गए 45 मिनट
परिजनों का कहना था कि हालत बिगड़ने पर डॉ. मोनिका को लेडी लॉयल से एसएन इमरजेंसी तक लाने में पौन घंटा लग गया। जबकि पांच मिनट का भी रास्ता नहीं है। परिजनों का आरोप है कि डॉ. मोनिका को इलाज के लिए लाने में जानबूझ कर देरी की गई।
सीसीटीवी फुटेज में नहीं मिला कोई
पुलिस ने बुधवार को लेडी लॉयल परिसर और डॉ. मोनिका के घर के पास लगे सीसीटीवी फुटेज चेक किए। इसमें डॉ. हरविंदर या किसी अन्य के घर में जाने के फुटेज नहीं मिले हैं।
अस्पताल में हुई थी दोनों में मुलाकात
डॉ. हरविंदर ने दक्षिण अफ्रीका से एमबीबीएस किया है। वह और डॉ. मोनिका दिल्ली गेट स्थित एक अस्पताल में कार्यरत थे। दोनों की मुलाकात वहीं हुई, इसके बाद दोनों ने मथुरा के अस्पताल में एक साथ काम किया। इस दौरान दोनों में दोस्ती हो गई। दोनों के परिवारों की मर्जी से शादी के बाद उनका चयन स्वास्थ्य विभाग में हो गया। दंपती की तैनाती लेडी लॉयल में हो गई। दोनों यहां आकर रहने लगे।
हाई स्कूल में टॉपर थीं मोनिका
डॉ. मोनिका सिद्धू बचपन से मेधावी थीं। पिता ने बताया हाई स्कूल में मोनिका बुलंदशहर की टॉपर थीं। इंटर के बाद अपने दूसरे प्रयास में उनका चयन एमबीबीएस में हो गया था। एक साल पहले हुई मां की मौत
मोनिका की मां बाला देवी की मौत एक साल पहले बीमारी के चलते हो गई थी। इसने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया था। वह मां के काफी करीब थीं। अपनी हर बात मां से शेयर करती थीं। परिजनों का कहना था कि यदि मां जीवित होती तो मोनिका यह कदम नहीं उठाती। अलग होने का फैसला लेने देते तो न जाती जान
परिजनों का कहना था कि दांपत्य जीवन बचाने के दबाव में मोनिका की जान चली गई। परिवार के लोग उन्हें स्वतंत्र फैसला लेने के लिए छोड़ देते तो उनकी जान नहीं जाती। वह डॉ. हरविंदर से अलग होकर नए सिरे से जिंदगी शुरू कर सकती थीं। परिवार के संस्कारों ने उन्हें ऐसा करने से रोके रखा।
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