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फिजाओं में घुली इत्र की खुशबू

आगरा: रमजान उल मुबारक महीना हो और फिजा में इत्र की सुगंध न महके, यह मुमकिन ही नहीं है। देसी-विदेशी इत्र बाजार में जादू बिखेर रहे हैं। रमजान की शुरुआत से ही पहले के मुकाबले इत्र का मांग बढ़ गई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 May 2018 12:46 AM (IST)Updated: Tue, 29 May 2018 12:46 AM (IST)
फिजाओं में घुली इत्र की खुशबू
फिजाओं में घुली इत्र की खुशबू

जागरण संवाददाता, आगरा: रमजान उल मुबारक महीना हो और फिजा में इत्र की सुगंध न महके, यह मुमकिन ही नहीं है। देसी-विदेशी इत्र बाजार में जादू बिखेर रहे हैं। रमजान की शुरुआत से ही पहले के मुकाबले इत्र का मांग बढ़ गई है।

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इत्र में जन्नतुल फिरदौस, ऊद, इंटीमेट, मजमुआ, फेंटेसिया, लोमानी, ब्लू स्टार, माला, रियल रोज, आइ ब्लू, पन सुगंध, कच्चा मोगरा, जैसमीन एमएलटी, रोज एमएलटी, मैगनेट, बोफिर आदि छाये हुए हैं। लुहार गली स्थित फकीर चन्द एंड सन्स के स्वामी सुरेंद्र मित्तल ने बताया कि पहले की अपेक्षा इत्र की मांग बढ़ गई है। लोग जन्नतुल फिरदौसी और इसके बाद मजमुआ, गुलाब और मैगनेट की मांग करते हैं।

कश्मीरी बाजार स्थित विक्रेता हाजी मोहम्मद कासिम बताते हैं कि दूसरे देशों के इत्रों में लोग जेडान कहकशा, अजमल, मश्क रोज, सुल्तान, स्करलेट को अधिक पसंद करते है। उधर, दुबई के व्हाइट अबर, जन्नतुल फिरदौस, ईद स्पेशल, मिस्त्री शमामा, अशर, मजमुआ, बेला, कच्ची कली, व्हाइट उद, फसली गुलाब, ट्री रोज, मैगनेट, हयाती, चंपा की भी मांग बढ़ी है।

दो प्रकार के होते इत्र

विक्रेता सुरेंद्र मित्तल बताते हैं कि इत्र दो प्रकार के होते हैं। एक सिंथेटिक एसएनसीएल ऑयल से बनते हैं जोकि सेंट होते हैं। यह अधिकतर मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, अहमदाबाद, मद्रास, कानपुर आदि में बनता है। यह केमिकल युक्त होता है। दूसरा वह जो फूलों को उबालकर भाप के रूप में तैयार किया जाता है। वह असली इत्र होता है। इस तांबे की मशीन में पानी के साथ उबालते हैं। यह अलीगढ़, कन्नौज में अधिक बनता है।

तम्बाकू में प्रयोग

इत्र का चलन वर्तमान में तंबाकू, साबुन, अगरबत्ती, धूपबत्ती, कॉस्मेटिक वस्तुओं में प्रयोग हो रहा है। इस कारण वह महंगा हो रहा है। असली इत्र की कीमत अधिक होने के कारण बाजार में कम बिक्री होती है।

सिकंदराराऊ व कन्नौज में बनता इत्र

उप्र में सबसे अधिक कन्नौज व अलीगढ़ के सिकंदराराऊ में इत्र तैयार किया जाता है। इसकी वजह यह है कि वहां पर फूल अधिक होते हैं। वहीं पर प्लांट लगाकर ताजा फूलों से तैयार किया जाता है। यहां पर गुलाब और खस अधिक होता है।

विदेशी इत्र की मांग अधिक

इत्र विक्रेता फजर ने बताया कि मुस्लिम समुदाय के लोग अधिकतर स्विस और दुबई के इत्र की मांग कर रहे हैं। इसमें खुशबू अधिक देर तक रहती है।

जीएसटी का मार

जीएसटी के असर से इत्र कारोबार भी अछूता नहीं रह सका है। कारोबारियों का कहना है कि इत्र और सेंट पर 18 फीसद जीएसटी लागू हुआ है। कर लगने से इसके बाजार में गिरावट आई है।

ये हैं कीमत

पन सुगंधा, 850

कच्चा मोगरा, 600

जैसमीन एमएलटी, 485

रोज एमएलटी, 485

केवड़ा एमएलटी, 485

मैगनेट-200 (छह ग्राम), 600 (12 ग्राम)

बोफिर-100 (छह ग्राम), 400 (12 ग्राम)

मुश्क आर, 400

लेवेंडर-100 (छह ग्राम), 400 (12 ग्राम)

जन्नतुल फिरदौसी- 300

गुलाब -150

मुश्क अंबर - 200


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