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Agra News: आगरा का मशहूर पेठा कहीं न कर जाए यहां से पलायन, सहयाेग की है इस उद्योग को दरकार

Agra News ताजमहल को प्रदूषण से बचाने की खातिर आगरा में बनाया गया था ताज ट्रिपेजियम जोन। उसके बाद से पेठा उद्योग पर लग चुकी हैं तमाम बंदिशें। कोयले का प्रयाेग बंद हो चुका है दूसरे संसाधन इस उद्योग को अब तक मुहैया हो नहीं पाए।

By Ambuj UpadhyayEdited By: Prateek GuptaPublished: Wed, 30 Nov 2022 07:47 PM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2022 07:47 PM (IST)
Agra News: आगरा का मशहूर पेठा कहीं न कर जाए यहां से पलायन, सहयाेग की है इस उद्योग को दरकार
Agra News:आगरा के पेठा फैक्ट्री में पेठा तैयार करता कारीगर।

आगरा, जागरण संवाददाता। मुगलकाल से दवा, स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ के रूप में प्रचलित हुए पेठे का स्वाद देश ही नहीं विदेशों तक अपना जादू बिखेर रहा है। आगरा के आस-पास ही कच्चा माल उपलब्ध हो जाता है, ये उद्योग बुलंदियों की ओर जा रहा था। इसी बीच ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) की बंदिशों ने बेड़ियां डाल दीं। कोयले का प्रयोग बंद हो गया और वैकल्पिक तलाश शुरू हो गई।

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वर्ष 2007 में नूरी दरवाजे से इकाइयां विस्थापित हुई तो कालिंदी विहार में पेठा नगरी बनाई गई। सुविधा, संसाधनों के अभाव में ये योजना भी धराशाई हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने विस्थापित इकाइयों को गैस से संचालित करने के लिए सब्सिडी पर गैस उपलब्ध कराने को कहा था, जिससे पेठा उद्योग आज भी वंचित है। इस कारण दर्जनों इकाईयां हरियाणा, पंजाव, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में पलायन कर गई। वहीं अन्य उद्यमी सीमित संसाधनों और सहयोग के अभाव में कार्य कर रहे हैं। आम बजट से सभी को बड़ी आस है।

यहां से आता है पेठा फल, इन राज्यों में मांग

पेठा निर्माण में प्रयोग होने वाला कच्चा पेठा फल एटा, इटावा, औरेया, मैनपुरी, शिकोहाबाद, कानपुर सहित अन्य क्षेत्र से आता है। वहीं हरियाणा, राजस्थान, मप्र, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड सहित उप्र के विभिन्न जिलों में आगरा के पेठे की मांग है। वायर के माध्यम से कई देशों को भी निर्यात होता है।

पेठा कृषि संबंधी कुटीर उद्योग है। छोटी इकाइयां संचालित होती हैं, जिनको सहयोग की बड़ी आवश्यकता है। पेठा पर लगने वाले टैक्स हटाया जाना चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रिपेजियम जोन के कारण प्रभावित सभी औद्योगिक इकाईयों को सब्सिडी गैस देने की बात कही थी। इसमें पेठा को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए।

राजेश अग्रवाल, संचालक प्राचीन पेठा एवं अध्यक्ष, शहीद भगत सिंह पेठा कुटीर एसोसिएशन

पेठा मिठाई नहीं है। ये एक स्वास्थ्य वर्धक मुरब्बा की श्रेणी में आता है। इसमें गुणों की भरमार है, इसलिए इसे पांच प्रतिशत टैक्स से मुक्त रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही इस कुटीर उद्योग को ताज ट्रिपेजियम जोन के कारण कोयला जलना बंद हुआ तो उद्योग पर भार बढ़ा था। इसलिए गैस पर सब्सिडी मिलनी चाहिए।

दीपक अग्रवाल, सचिव, कालिंदी विहार पेठा समिति

मुगल काल से पेठे का प्रयोग शुरू हुआ तो अब ये दूर-दूर तक अपने स्वाद, गुणाें से पहचान बना चुका है। दवाई और स्वास्थ्य वर्धक उत्पाद के रूप में इसका प्रयोग होता था। कच्चा माल आस-पास होता है और भौगोलिक दृष्टि के हिसाब से भी आगरा से पेठे का बड़ा जुड़ाव है। पेठा उद्योग को बजट से राहत की उम्मीद है।

सुनील गोयल, पंछी पेठा, हरीपर्वत

सब्सिडी गैस 126 औद्योगिक इकाईयों को दी जा रही है। इसमें पेठा वाले सम्मिलित नहीं है। शहर में 500 से अधिक पेठा इकाई है, जिनको इसका लाभ मिलना चाहिए। सब्सिडी वाली पीएनजी की कीमत 36 रुपये प्रति स्टैंडर्ड क्यूविक मीटर है, जबकि नान सब्सिडी की कीमत 72.50 रुपये प्रति स्टैंडर्ड क्यूविक मीटर है।

मेहराज, पेठा उद्यमी

ये है आंकड़ा

कुल इकाई, 500 रुपये

कुल श्रमिक, पांच हजार

कुल खपत, 10 हजार कुंतल प्रतिदिन 


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