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    Agra News: ठोकर खाई तो सड़क बनवाने की जिद आई, हाई कोर्ट तक पहुंच गई लड़ाई

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 03:28 PM (IST)

    आगरा के जगदीशपुरा में टूटी सड़क से परेशान होकर विशेष राठौर नामक एक व्यक्ति ने उसे ठीक कराने की ठान ली। विभागों और अधिकारियों के चक्कर काटने के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की। न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद विभाग हरकत में आए और एक करोड़ रुपये से अधिक की लागत से सड़क निर्माण का रास्ता साफ हो गया।

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    शांति सिनेमा और नगला बेर के बीच स्थित भीम नगरी की खस्ताहाल सड़क।- जागरण

    अली अब्बास, आगरा। इंसान ठोकर खाने के बाद संभलता है, लेकिन यहां बात कुछ अलग थी। दो वर्ष पहले जगदीशपुरा की बस्ती भीम नगरी के रहने वाले सामाजिक सरोकारों से जुडे़ 25 वर्ष के विशेष राठौर को टूटी सड़क पर ठोकर लगने के बाद उसे सही कराने जिद सवार हो गई। दो वर्ष तक विभागों और अधिकारियों के चक्कर काटने के बाद बात नहीं बनी तो इस वर्ष जुलाई में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर दी।

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    मामला न्यायालय में पहुचंने पर विभागों की नींद टूटी और करीब पांच वर्ष से टूटी सड़क के बनने का रास्ता साफ हाे गया। एक करोड़ रुपये से अधिक धनराशि से तीन महीने में सड़क निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा।

    भीम नगरी के रहने वाले विशेष राठौर के पिता गौरी शंकर के साथ कैटरिंग का काम करते हैं। विशेष राठौर ने बताया कि वर्ष 2021 में शांति सिनेमा से नगला बेर तक पानी की पाइप लाइन डालने के लिए सड़क को खोदा गया था। पाइप लाइने डालने के बाद खरंजे को दोबारा लगा दिया गया।

    उक्त मार्ग के 800 मीटर हिस्से पर सही से काम नहीं किया गया। सड़क में जगह-जगह गहरे गड्ढे हो गए थे।उक्त मार्ग से लगी बस्तियाें भीम नगरी, श्याम नगर, बेर का नगला, बिल्ला गली, मूढ़े वाली गली, दुर्गा गली,पीपल गली में रहने वाली 20 हजार से अधिक आबादी का निकलना मुश्किल हो गया।

    बच्चों और बुजुगों को उक्त मार्ग से निकलना मुश्किल हो गया, आए दिन गिरते-पड़ते रहते। बस्ती वालों के जीवन का हिस्सा बन चुका था।मार्च 2023 की बात है, टूटी सड़क से निकलते समय पैर गड्ढे में पड़ने पर उन्हें जोर की ठोकर लगी। इस दर्द ने उन्हें वहां से गुजरने वाले दूसरों होने वाली तकलीफ का अंदाजा हुआ। उ

    न्होंने सड़क काे सही करवाने की ठानी, जिसके बाद विभागों के चक्कर काटने और अधिकारियों के यहां शिकायत करने का सिलसिला शुरू हुआ। उन्होंने नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, जल निगम, मंडलायुक्त और डीएम कार्यालय में सड़क बनवाने काे प्रार्थना पत्र दिया। उन्हें कहीं से सकारात्मक उत्तर नहीं मिला।क्षेत्रीय विधायक से भी मिले, उन्होंने सड़क बनवाने का आश्वासन दिया, यहां का दौरा भी किया।

    किसी विभाग द्वारा सड़क निर्माण की सुधि नहीं ली गई। इस वर्ष मई में उन्होंने मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी की। प्रयागराज में अपने अधिवक्ता देवांश त्रिपाठी से संपर्क किया। इस वर्ष जुलाई में 800 मीटर सड़क बनवाने को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार, मंडलायुक्त, डीएम, एसडीएम सदर, नगर आयुक्त, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को पक्षकार बनाया।

    उच्च न्यायालय में दो न्यायाधीश की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए नगर आयुक्त को निर्देश दिए गए। लोक निर्माण विभाग और नगर निगम की ओर से उच्च न्यायालय को 15वें वित्त आयोग में 1.03 करोड़ रुपये की लागत से सीसी सड़क का निर्माण करने का आश्वासन दिया गया। सड़क बनवाने की लडाई लड़ने वाले विशेष राठौर कहते हैं कि निविदा की प्रक्रिया पूरी करके तीन महीने में सड़क निर्माण शुरू करने काे कहा गया है।

    क्षेत्रीय लोग बोले

    चार वर्ष से सड़क खराब पड़ी थी। कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। अब बनने की उम्मीद जागी है। कोशिशें हमेशा कामयाब होती हैं, करते रहना चाहिए।

    -नंदन चौधरी पूर्व पदाधिकारी भीम नगरी आयोजन समिति

    चार वर्ष से सड़क खराब पड़ी है, लोगाें को आने-जाने में दिक्कत होती है। सड़क से उड़ने वाली धूल और मिट्टी से आसपास रहने वाले लोग बीमार पड़ जाते हैं।

    -जीतेश कुमार

    गड्ढों के चलते पूरी सड़क समस्या बनी हुई है। पानी भर जाता है, वाहन चालकों नहीं निकल पाते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चे आए दिन गिरते हैं। -जिलानी

    भीम नगरी की सड़क का यह हिस्सा चार वर्ष से टूटा पड़ा है, मलिन बस्ती की सड़क होने के चलते किसी अधिकारी का ध्यान इस ओर नहीं गया।

    कुलदीप सिंह

    चार वर्ष से पूरा रोड टूटा पड़ा है। यहां से निकलने वाले वाहन भी खटारा हो चुके हैं। आसपास बस्ती में रहने वाले हजारों लोग भी गड्ढों वाली सड़क से निकलने को मजबूर हैं।

    दरवेश कुमार

    चार वर्ष पहले सीवर लाइन डाली गई थी, जिसके बाद सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो गए। बच्चों और बुजुर्गों का इससे निकलना मुश्किल हो गया है।

    सनी कुमार