यूपी में मरीजों ने खा ली करोड़ों की नकली दवा, 10 रुपये की दवा बनाकर 100 रुपये में हो रही थी बिक्री
आगरा के थोक दवा बाजार में कई वर्षों से नकली दवाएं बेची जा रही थीं। मरीजों ने मेडिकल स्टोर से करोड़ों की नकली दवाएं खरीदीं। सहायक औषधि आयुक्त ने बताया कि हे मां मेडिको एक दर्जन कंपनियों का स्टॉकिस्ट है। कम खरीद पर भी बड़ी मात्रा में दवा बेच रहा था। जांच में पता चला कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की फैक्ट्रियों में नकली दवाएं तैयार की जा रही थीं।

जागरण संवाददाता, आगरा। कई वर्षों से नकली दवा की बिक्री थोक दवा मार्केट से की जा रही थी। मेडिकल स्टोर से करोड़ों की नकली दवा खरीद कर मरीज खा चुके हैं। 10 रुपये की नकली दवा तैयार कर 100 रुपये में बिक्री की जा रही थी।
इसके बाद भी औषधि विभाग की टीम ने हे मां मेडिको से नियमित जांच में नमूने तक नहीं लिए। इससे दवा की गुणवत्ता की जांच कराई जा सके।
सहायक औषधि आयुक्त अतुल उपाध्याय ने बताया कि हे मां मेडिको एक दर्जन कंपनियों का स्टाकिस्ट है। कंपनी की दवाएं बड़ी संख्या में बिक्री की जा रहीं थीं, लेकिन कंपनी से दवाओं की खरीद बहुत कम की जा रही थी। इस पर दवा कंपनियों को शक हुआ।
पहले टैक्स चोरी की दवा आसपास के जिलों से मंगाकर बिक्री करने की आशंका पर जांच की गई। इसमें सामने आया कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की फैक्ट्री में ब्रांडेड कंपनियों की नकली दवा सस्ती दर पर तैयार कराई जा रहीं हैं।
10 रुपये की दवा तैयार कर 100 रुपये में बेची जा रही थी। दवाएं बिल से बिक्री की जातीं थीं। इन दवाओं को लोग बिल से मेडिकल स्टोर से खरीद कर खा रहे थे।
दवा का नहीं होता है असर, बदलनी पड़ रहीं दवाएं
एसएन मेडिकल कालेज के फिजिशियन डा. प्रभात अग्रवाल ने बताया कि कई बार मरीज की तबीयत में दवा लेने के बाद भी सुधार नहीं होता है तो दूसरी कंपनी की वही दवा लिख दी जाती है। इससे तबीयत में सुधार हो जाता है। ऐसा नकली दवा के कारण होता है। नकली दवा की गुणवत्ता खराब होती है इसलिए उसका असर नहीं पडृ़ता है।
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