चिप्स-कुरकुरे के बदले खिलाएं ये 5 सुपरफूड, डॉक्टर ने बताया- बच्चों को स्वस्थ रखने का फॉर्मूला
आगरा में डॉक्टर अरुण जैन ने बताया कि बच्चों को जंक फूड खिलाना धीमा जहर है और मोबाइल से दूरी रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बच्चों को घर का बना खाना खिलाएं और कोल्ड ड्रिंक की जगह नींबू पानी दें। वायरल बुखार और अन्य बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण कराएं। छोटे बच्चों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रखें और विशेषज्ञ की सलाह के बिना दवा न दें।

जागरण संवाददाता, आगरा। बच्चों को जंक फूड खिलाना, स्लो पाइजन देने के समान है। मोबाइल देना, बच्चे को आलसी, एकाकी, चिडचिडा और मोटापा को आमंत्रण देना है। खान-पान ठीक न रख पाने के कारण ही बच्चों को मधुमेह और मोटापे के साथ ही अनेक बीमारियों की ओर धकेल देने के समान है।
बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखना है तो, उन्हें कोल्ड ड्रिंक के स्थान पर नीबू पानी, जंक फूड के स्थान घर का खाना दाल-रोटी, चावल, सलाद, भेल और फलाहार कराएं। अन्यथा की स्थिति में बच्चों को बीमारी का घर बनाने के समान है। ये जानकारी हर गुरुवार को होने वाले हेलो डाक्टर कार्यक्रम में मरीजों के अभिभावकों के आए फोन काल के जवाब में बाल रोग विशेषज्ञ डा. अरुण जैन ने दीं। उन्होंने कहा कि बच्चों को दिन में पांच टाइम खाना खिलाना चाहिए।
सवाल - बच्चे को तीन दिन से बुखार आ रहा है। दवा देने के बाद उतर जाता है। उसका प्रभाव कम होने के बाद फिर आ जाता है।
रचना गुप्ता, कमला नगर
जवाब- वायरल फीवर चल रहा है। एक सप्ताह तक बच्चा ठीक हो रहा है। कोई भी दवा विशेषज्ञ चिकित्सक की परामर्श के बिना न दें।
सवाल- बुखार के साथ जुखाम-खासी है। बच्चा कुछ भी खा-पी नहीं पा रहा है। कई दिन हो गए हैं। बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा है।
शिवानी, आवास विकास कालोनी
जवाब- सात दिन बाद ही बुखार ठीक हो रहा है। इस बीच में पानी की कमी न आने दी जाए। साथ ही फल, घर का खाना जरूर खिलाएं।
सवाल - मेरा बच्चा बहुत जल्दी बुखार, जुखाम-खासी से प्रभावित हो जाता है। इसके लिए क्या करना चाहिए। आए दिन बीमार हो जाता है।
हेमलता, गढ़ी भदौरिया
जवाब- छोटे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए बदलते मौसम और जहां पर बच्चों व बड़ों का समूह हो, वहां से दूर रखा जाए।
सवाल- तेज बुखार के चलते बच्चा कई बार बेहोशी की हालत में पहुंच जाता है। ऐसे में क्या करना चाहिए। जिससे ये स्थिति पैदा न हो सके।
कुसुम, आवास विकास कालोनी
जवाब- तेज बुखार में बेहोशी होना, दिमागी बुखार बन जाना और दौरे आना संभव है। इसलिए उचित इलाज लें।
सवाल- दो दिन पहले बच्चे को बुखार आया था। केमिस्ट के यहां से दवा लाकर दे दी। फिर भी बुखार नहीं उतरा है।
सुशीला, शास्त्रीपुरम
जवाब- खुद डाक्टर न बनें। बिना विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह के दवा लेना खतरे से खाली नहीं है। वायरल फीवर सात दिन में जा रहा है।
वर्चुअल आटिज्म के आने लगे हैं अधिक मरीज
डा. अरुण जैन ने इस दौरान बताया कि इन दिनों दो साल तक के बच्चों में वर्चुअल आटिज्म की बीमारी हो रही है। वे अपने आप में खोए रहते हैं। इस अवस्था में विकास नहीं होता है। आंख से आंख नहीं मिलाते हैं। यह बीमारी कोविड के बाद ज्यादा सामने आई है। ऐसे बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहिए। छह साल तक के बच्चों को बिल्कुल भी मोबाइल नहीं देना चाहिए।
जागरण के पांच सवाल-
- बच्चों को पैक्ड खाना देना चाहिए?
. बिल्कुल नहीं। घर का खाना, दाल-रोटी, चावल, सलाद, फलाहार देना चाहिए। बाहर का खाना नहीं। कोल्ड ड्रिंक के स्थान पर नीबू पानी देना ज्यादा उचित है।
- बच्चों को वायरल और निमोनियां व अन्य बीमारियों से बचाव को क्या करना चाहिए?
. फ्लू, हिब और पीसीवी आदि वैक्सीन चिकित्सक की परामर्श पर लगवानी चाहिए।
- बच्चों चिप्स, कुरकुरे, नमकीन, बिस्किट, टाेस्ट आदि सामग्री खिलानी चाहिए?
. नहीं। इनके स्थान पर पोहा, उपमा, अंकुरित दाने, इडली, पराठा, सेव, भेल और केला देना ज्यादा फायदा बंद है।
- बुखार जुखाम, खांसी और उल्टी दस्त के दौरान क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
. डाक्टर की सलाह पर इलाज के साथ ही भरपूर पानी पिलाएं, खाना खिलाएं। इलाज में लापरवाही न बरतें।
- नवजात शिशु का खान-पान कैसा होना चाहिए?
. छह माह की आयु तक केवल मां का ही दूध पिलाना चाहिए। अगर ये संभव नहीं है तो डिब्बे का पिलाना चाहिए। बाहर का तो पानी भी नहीं पिलाना चाहिए।
प्रोफाइल
- एमबीबीएस - वर्ष 1994, एसएन मेडिकल कालेज आगरा
- डीसीएच - वर्ष 1998, एसएन मेडिकल कालेज आगरा
- एफसीसीएस- यूएसए
- अनुभव- 25 वर्ष
- विशेषज्ञ- बाल रोग
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