उटंगन हादसा: सेना ने तीन बार बदला प्लान, 40 फीट की गहराई में जाल और दलदल बना मुसीबत
आगरा के उटंगन नदी में लापता युवकों की तलाश में सेना ने बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। 50वीं पैरा ब्रिगेड के गोताखोरों ने नदी के 120 मीटर क्षेत्र को चिन्हित किया। चेकडैम के जाल और दलदल से बचाव में दिक्कतें आईं। सेना ने विशेष उपकरणों के साथ 40 फीट की गहराई में युवकों की तलाश की। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों ने भी प्रयास किए।

जागरण संवाददाता, आगरा। म्यांमार में सात माह पूर्व आए भूकंप के बाद भारतीय सेना की 50वीं पैरा ब्रिगेड ने शुक्रवार को सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। पैरा ब्रिगेड की 411वीं पैरा फील्ड के 12 गोताखोर पूरे सामान के साथ दोपहर तीन बजे खुशियापुर स्थित उटंगन नदी पहुंचे। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के जवानों से फीडबैक लिया गया।
इसके तुरंत बाद पैरा ब्रिगेड के जवान कार्य में जुट गए। सबसे पहले नदी के 120 मीटर के दायरे को चिन्हित किया गया। यह वही क्षेत्र है जहां गुरुवार दोपहर मूर्ति विर्सजन के दौरान 13 युवक डूब गए थे। छह शव मिल गए। बाकी के युवक लापता हैं। जवानों ने चार में दो बोट का प्रयोग किया और युवकों का पता लगाने में जुट गए।
सबसे अधिक दिक्कत चेकडैम के जाल और दलदल से आई। तीन बार सेना ने प्लान बदला। 40 फीट की गहराई में एक साथ दो से तीन गोताखोर गए। कैमरों के माध्यम से फुटेज जुटाए और बचाव अभियान को तेज किया।
उटंगन नदी में 29 साल के बाद इस साल पिछले माह बाढ़ आई थी। इससे 600 बीघा से अधिक फसलें डूब गईं। खुशियापुर के पास नदी में डेढ़ दशक पूर्व चेकडैम बनाया गया था। नदी के 40 फीट की गहराई में जाल बिछा हुआ है।
उटंगन नदी किनारे मौजूद लापता लोगों के स्वजन व ग्रामीण। जागरण
यह जाल 30 मीटर लंबा और 20 मीटर चौड़ा है। जैसे ही जाल से पानी टकराता है। जाल और नदी की तलहटी के मध्य दलदल बन गया है। गुरुवार को मूर्ति विर्सजन के दौरान युवक इसी दलदल और जाल में फंस गए। इससे बाहर नहीं निकल सके। शुक्रवार दोपहर तीन बजे भारतीय सेना की 411 पैरा फील्ड यूनिट (50वीं पैरा ब्रिगेड) के दर्जनभर जवान मेजर पिनाक की निगरानी में पहुंचे।
विशेष टीम ने रेस्क्यू आपरेशन शुरू किया। टीम ने सबसे पहले नदी से संबंधित पूरा डाटा जुटाया। 20 से 25 मिनट में आपरेशन शुरू किया। चार में दो बोट का प्रयोग किया गया। एक नाव में पांच जवान सवार हुए। इसमें एक साथ दो से तीन जवानों ने नदी में छलांग लगाई।
40 फीट की गहराई तक गए। कैमरे से जानकारी जुटाई और फिर दूसरी टीम ने यही कार्य शुरू किया। दोनों टीमों ने 120 मीटर के दायरे को चिन्हित करते हुए युवकों की तलाश की। देर रात तक आपरेशन जारी रहा।
एक अधिकारी ने बताया कि 40 फीट की गहराई पर दलदल होने और जाल में युवक फंसे होंगे। जाल और दलदल को एक तरफ करके युवकों की तलाश की जा रही है। दलदल को हटाकर भी देखा जा रहा है। जरूरत पड़ने पर जाल की परत को काटने का कार्य भी किया जा सकता है।
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इसलिए खास है टीम
411 पैरा फील्ड यूनिट को नदी से संबंधित बचाव कार्य या फिर सामान निकालने का पूरा अनुभव है। नदी में छलांग लगाने से पूर्व जवान विशेष शूट पहनाया जाता है। दो रस्सी होती हैं। 20 से 25 किग्रा का आक्सीजन सिलेंडर, एक कैमरा, सेंसरयुक्त स्मार्ट वाच, विशेष चश्मा और रस्सी को किस तरीके से बोट में बैठे जवान को खींचना है। इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। यह कार्य कोड वर्ड में होता है।
10 फीट की गहराई तक पहुंच सकी थी एसडीआरएफ
गुरुवार और शुक्रवार को एसडीआरएफ ने आपरेशन चलाया था। 10 फीट की गहराई तक नदी में जवान पहुंच सके। इसके बाद सांस फूलने लगी और बाहर निकल आए।
स्कूबा ड्राइवर्स ने भी खूब किए प्रयास
एनडीआरएफ के स्कूबा ड्राइवर्स ने शुक्रवार को मोर्चा संभाला। 35 बार जवानों ने नदी में छलांग लगाई और एक युवक का शव बाहर निकाला।
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