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    फर्जी दस्तावेजों के आरोप में फंसे आगरा कॉलेज के प्राचार्य, डॉक्टर सीके गौतम पर FIR दर्ज!

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 01:30 PM (IST)

    आगरा कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीके गौतम पर फर्जी शैक्षिक दस्तावेज का आरोप लगा है जिसके चलते प्रोफ़ेसर अनुराग शुक्ला ने उनके खिलाफ लोहामंडी थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। शिकायत के अनुसार डॉ. गौतम ने एम.ए. में कम अंक प्राप्त किए और फर्जी जाति प्रमाण पत्र का उपयोग करके नौकरी प्राप्त की। यह भी आरोप है कि उन्होंने अंकों को संशोधित किया और रिकॉर्ड गायब कराए।

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    आगरा कॉलेज आगरा की फाइल फोटो का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, आगरा। आगरा कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सीके गौतम फर्जी शैक्षिक दस्तावेज के आरोपों में घिर गए हैं। उनके खिलाफ लोहामंडी थाने में प्रोफेसर अनुराग शुक्ला ने एफआईआर दर्ज कराई है। शिकायतों के आधार पर एसटीएफ भी जांच कर रही है। दर्ज कराए गए मुकदमे में उनके पर फर्जी शैक्षिक दस्तावेज व जाति प्रमाण पत्र से नौकरी में भर्ती होने का आरोप है।

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    आगरा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर अनुराग शुक्ला ने आरोप लगाया है कि प्राचार्य डॉक्टर सीके गौतम ने पीसी बागला कॉलेज, हाथरस से वर्ष 1990 में एमए (अंग्रेजी) तृतीय श्रेणी में पास किया। उच्च प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के लिए आवेदन में द्वितीय श्रेणी की अंकतालिका लगाई गई।

    डॉ. अनुराग शुक्ला ने दी पुलिस को तहरीर

    प्रतापगढ़ के रहने वाले डॉ. अनुराग शुक्ला ने पुलिस को दी अपनी तहरीर में बताया कि डॉ. गौतम की नियुक्ति उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा विज्ञापन संख्या 20 के तहत हुई थी। शिकायत के अनुसार, डॉ. गौतम ने 1990 में सेठ पी.सी. बागला महाविद्यालय, हाथरस से अंग्रेजी में एम.ए. तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण किया था, जिसमें उन्हें 1000 में से केवल 471 अंक मिले थे।

    साक्षात्कार के लिए 55 प्रतिशत अंक अनिवार्य थे

    ​आरोप है कि उस समय साक्षात्कार के लिए न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक अनिवार्य थे, जबकि डॉ. गौतम के अंक इससे काफी कम थे। इस कमी को पूरा करने और साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने के लिए, उन्होंने कथित तौर पर 20 मई 1995 को तहसील सादाबाद, मथुरा से खुद को जाटव जाति का बताते हुए एक फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया। इसी प्रमाण पत्र के आधार पर उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया गया और उनका चयन सामान्य वर्ग में हो गया।

    कूटरचित अंकतालिका बनवा ली

    ​शिकायत में आगे कहा गया है कि चयन होने के बाद डॉ. गौतम ने अपने एम.ए. के अंकों को संशोधित कर 1000 में से 572 अंक दर्शाने वाली एक कूटरचित अंकतालिका बनवा ली ताकि किसी को जाति प्रमाण पत्र के सहारे साक्षात्कार तक पहुंचने की बात का पता न चले। आरोप है कि आगरा विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से विश्वविद्यालय के गोपनीय विभाग से संबंधित मूल रिकॉर्ड चार्ट भी गायब करा दिए गए। हालांकि, उनके महाविद्यालय के 1990 के नॉमिनल रोल से उनके मूल अंकों की पुष्टि होती है।

    शिकायतकर्ता डॉ. अनुराग शुक्ल ने इस कृत्य को शिक्षा की गुणवत्ता के लिए गंभीर खतरा बताते हुए डॉ. चित्रकुमार गौतम के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है।