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    Agra: नगर निगम के पास नहीं है ढाई लाख जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र का ब्योरा, आप भी हो सकते हैं परेशान

    By Ajay DubeyEdited By: MOHAMMAD AQIB KHAN
    Updated: Tue, 13 Dec 2022 02:01 PM (IST)

    Agra नगर निगम के पास ढाई लाख जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र का ब्योरा उपलब्ध नहीं है। इससे 2011 से 2016 के बीच जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने वालों को दोबारा आवेदन करना पड़ रहा है। वेबसाइट पर ब्योरा उपलब्ध नहीं है।

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    Agra: नगर निगम के पास नहीं है ढाई लाख जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र का ब्योरा : जागरण

    आगरा, जागरण संवाददाता: नगर निगम के पास ढाई लाख जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र का ब्योरा उपलब्ध नहीं है। इससे 2011 से 2016 के बीच जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने वालों को दोबारा आवेदन करना पड़ रहा है। वेबसाइट पर ब्योरा उपलब्ध नहीं है, नगर निगम में ब्योरा न होने पर प्रमाणपत्र सत्यापित नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे में सोमवार को भी लोग जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए चक्कर लगाते रहे।

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    नगर निगम की जगह राज्य और केंद्र सरकार की वेबसाइट पर डाटा शिफ्टिंग के दौरान पांच साल में बने ढाई लाख से ज्यादा जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र अब साइट पर उपलब्ध नहीं हैं। 2011 से 2016 तक बने जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र न होने से लोग परेशान हो रहे हैं।

    प्रमाण पत्र का वेबसाइट पर ब्योरा न मिलने पर नगर निगम से सत्यापित कराने के लिए कहा जा रहा है। यहां आने पर दोबारा से आवेदन करवाया जा रहा है, इसके लिए अस्पताल की डिस्चार्ज स्लिप से लेकर अन्य दस्तावेज जमा करने पड़ रहे हैं।

    वर्ष 2011 से 2016 का ब्योरा वेबसाइट पर नहीं हुआ अपलोड

    नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. अतुल भारती का कहना है कि डाटा शिफ्टिंग के दौरान 2011 से 2016 का ब्योरा वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुआ है, नगर निगम के पास भी ब्योरा नहीं है। इस दौरान बने प्रमाण पत्र सत्यापित कराने वालों का दोबारा आवेदन लिया जा रहा है।

    ये है प्रक्रिया

    ताजनगरी के अस्पतालों में पैदा होने वाले बच्चों का रिकार्ड अस्पताल प्रबंधन द्वारा वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। डाटा अपलोड होने के एक माह बाद जन्म प्रमाण पत्र आनलाइन डाउनलोड हो जाता है। यह पूरा डाटा वेबसाइट से पहले उत्तर प्रदेश सरकार के जन्म और मृत्यु पंजीकरण साइट पर और उसके बाद भारत सरकार की वेबसाइट पर जाता है। घरों पर जन्म लेने वाले बच्चों का प्रमाण पत्र निगम के सेनेटरी इंस्पेक्टर द्वारा मौके पर जाकर सत्यापन के बाद बनाया जाता है।