Agra Lucknow Expressway पर जोखिम में जान, रहें हमेशा सावधान; बीच रास्ते कहीं से भी निकल आते हैं जानवर
Agra Lucknow Expressway पर यात्रा करते समय सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। एक्सप्रेसवे पर अचानक जानवरों के आ जाने से दुर्घटना का खतरा बना रहता है। यात ...और पढ़ें

Agra Lucknow Expressway पर कोहरे में दुर्घटनाग्रस्त फॉरच्यूनर।
जासं, आगरा। कोहरे के दौरान अगर आप Agra Lucknow Expressway से सफर कर रहे हैं तो जरा संभल कर। प्रदेश के दूसरे एक्सप्रेसवे पर आपकी जान जोखिम में है। तेजी से दौड़ते वाहन के सामने किसी भी पल बेसहारा गोवंश आ सकता है। आपके वाहन के साथ दौड़ सकता है। सावधानी हटते ही वाहन से टकरा सकता है।
इसकी वजह ढाबों के पास बने अवैध कट, टूटी जाली और क्रैश बैरियर है। इन सब के बीच आगरा में 37.50 किमी लंबे रिफ्लेक्टिव टेप और रेडियम की पट्टी भी नहीं है। ब्लिंकर न होने से सही लेन का पता भी नहीं चल पाता है।
दैनिक जागरण की टीम ने बुधवार को आगरा में 37.50 किमी लंबे लखनऊ एक्सप्रेसवे की पड़ताल की। इनर रिंग रोड के आसपास एक्सप्रेसवे में चढ़ना हो या फिर उतरना, दोनों सड़कों पर संरक्षा के इंतजाम नहीं मिले। यहां पर रेस्ट एरिया भी ठीक नहीं था। सफेद पट्टी भी कई जगहों पर कमजोर हो गई है। खासकर कोहरे में यह नजर नहीं आती है।
कई जगहों पर जाली भी टूट चुकी है। टीम लखनऊ की तरफ दो से तीन किमी चली। यहां पर एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ संरक्षा के उपाय नहीं मिले। पूर्व में लगाए गए संकेतक बोर्ड टूट चुके हैं। नए नहीं लगाए गए हैं। जाली टूटी हुई मिली। क्रैश बैरियर भी मुड़ा हुआ था। कुछ देर रुकने के बाद टीम जैसे ही आगे बढ़ी।
एक्सप्रेसवे के किनारे बेसहारा गोवंश खड़े हुए थे। कुछ गोवंश खाने की तलाश में फतेहाबाद की तरफ चल रहे थे। डिवाइडर की जाली टूटी होने से गोवंश आसानी से एक लेन से दूसरी लेन की तरफ आ-जा सकते थे। टीम ने दोनों तरफ की लेन पर संरक्षा के उपाय को चेक किया।
यकीन मानिए, जिस तरीके से हर दिन टोल टैक्स लिया जा रहा है। उस हिसाब से एक भी इंतजाम नहीं मिला। ढाबों के पास अवैध कट बन गए हैं। इन्हें उप्र एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा बंद नहीं कराया गया है। न ही रिफ्लेक्टिव टेप से लेकर रेडियम की पट्टी लगाई गई है।
यह ऐसा कार्य है जो कोहरे से पूर्व होना जरूरी था। सेवानिवृत्त इंजीनियर बीके चौहान का कहना है कि लखनऊ एक्सप्रेसवे में कोहरे के दौरान भी मरम्मत कार्य रात में कराया जा रहा था। यह किसी भी रूप में सुरक्षित नहीं है। छह लेन की रोड पर रात में कार्य नहीं होना चाहिए। संरक्षा के भी इंतजाम होने चाहिए।
पर्याप्त नहीं हैं संसाधन
लखनऊ एक्सप्रेसवे में सुरक्षा संसाधनों की कमी है। प्रति 50 किमी पर एक संरक्षा गाड़ी और 100 किमी पर एक क्रेन तैनात है। इतने बड़े और हाईस्पीड मार्ग पर यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से अपर्याप्त है। दुर्घटना होने पर गोल्ड आवर में एंबुलेंस और क्रेन को आने में समय लगता है।
दुर्घटनाओं में राहत कार्यों की गति धीमी पड़ने से यातायात बहाल करने में समय लगता है। दूसरी दुर्घटनाओं के होने का खतरा भी बढ़ जाता है। आपातकालीन सेवा की स्थिति चिंताजनक यदि एक ही समय में अलग-अलग स्थानों पर दुर्घटनाएं होती हैं या किसी एक जगह पर क्रेन और सेफ्टी गाड़ी दोनों की जरूरत पड़ती है, तो मौजूदा संसाधनों से यह दिक्कत और भी बढ़ जाती है।
कम कर्मचारियों के साथ पेट्रोलिंग
पेट्रोलिंग गाड़ियों पर चालक सहित केवल दो कर्मचारी तैनात होते हैं, जबकि टेंडर के अनुसार प्रत्येक गाड़ी पर चार कर्मचारियों की तैनाती होनी चाहिए। यह स्थिति सुरक्षा में और भी खामियां पैदा करती है। अगर कोई हादसा होता है तो रोड डायवर्जन, फंसे हुए व्यक्तियों को बचाने और अन्य आपातकालीन कार्यों में काफी मुश्किलें आती हैं।

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