उच्च वर्ग तक सिमटकर रह गया नाटक, हुई हिदी रंगमंच दिवस पर गोष्ठी
-होटल वैभव पैलेस में हुई हिदी रंगमंच दिवस पर गोष्ठी -बुनियादी जरूरतों के प्रति जनजागरूकता लाएं रंगकर्मी ...और पढ़ें

आगरा, जागरण संवाददाता। भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र में नाटक को आम आदमी के लिए बताया था। यह निरक्षरों को शिक्षित करने के लिए था, लेकिन कालांतर में यह सिर्फ उच्च वर्ग तक सिमटकर रह गया।
हिदी रंगमंच दिवस पर बुधवार शाम होटल वैभव पैलेस में 'आज हम और हमारा रंगमंच' विषय पर हुई गोष्ठी में मुख्य अतिथि नवनीत चौहान ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि बांग्ला रंगमंच बंगालियों के अहंकार से खत्म हो गया। गुजराती रंगमंच गुजरातियों से नहीं मुंबई से चलता है। महाराष्ट्र का थिएटर एक अनुष्ठान है, नाटक के लिए वो फिल्म तक छोड़ देते हैं। रंगमंच वही है, जो जन-जन को अपने से जोड़े। उन्होंने कहा कि शेक्सपियर को जनता ने बनाया, आलोचकों ने तो केवल आलोचना की। ज्योत्सना रघुवंशी ने रंगकर्मियों से बुनियादी जरूरतों के प्रति जनजागरूकता लाने की जरूरत बताई। डॉ. रेखा पतसारिया ने कहा कि नाटक एक जनतांत्रिक कला है। नाटक हमारे भावों को हमारे विचारों का साधारणीकरण करता है। संचालन विनय पतसारिया ने किया। धन्यवाद ज्ञापन उमेश अमल ने किया। विभिन्न संस्थाओं के कलाकारों ने एकल अभिनय व गायन की प्रस्तुति दी। शिवेंद्र मेहरोत्रा, दिलीप रघुवंशी, शिवम, पम्मी सडाना, नवनीत चौहान ने नाटकों के अंश प्रस्तुत किए। डिंपी मिश्रा, दीपक जैन, बसंत रावत, चंद्रशेखर ने गीत प्रसतुत किए। फिल्म थिएटर क्रिएशन ग्रुप ने मतदाता जागरूकता के लिए नुक्कड़ नाटक किया।
गोष्ठी में स्वतंत्रता सेनानी सरोज गौरिहार, प्रो. अश्वनी शर्मा, राजनारायण शर्मा, डॉ. सुशील गुप्ता, डॉ. शशि तिवारी, डॉ. खुशीराम शर्मा, डॉ. मनुकांत शास्त्री, डॉ. सुषमा सिंह, अनिल जैन, राजीव सिंघल, रमेश पंडित, हरीश चिमटी, डॉ. अमिता सरकार, डॉ. मनु शर्मा, महेश धाकड़ आदि मौजूद रहे।

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