Agra Flood: 30000 लोग प्रभावित और 9500 बीघा से अधिक फसलें डूबीं... कैलाश महादेव के गर्भगृह में आया यमुना जल
आगरा में यमुना नदी में आई बाढ़ से शहर और देहात के 30 हजार लोग प्रभावित हुए हैं। कई गांव और मंदिर जलमग्न हो गए हैं जिससे लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। 15 साल बाद ताजगंज का विश्राम घाट भी डूब गया है। प्रशासन प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचा रहा है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, आगरा। यमुना नदी में आई बाढ़ ने शहरी क्षेत्र और देहात की 30 हजार की आबादी को प्रभावित कर दिया है। शनिवार को कैलाश गांव और कैलाश महादेव मंदिर के गर्भगृह से लेकर बटेश्वर धाम, बाह के मंदिरों और कस्बा में पानी भर गया। घाट बजरिया, तनौरा, नूरपुर, नाहरगंज, मोती महल, बरौली गूजर, कृष्णा कॉलोनी जीवनी मंडी रोड सहित डेढ़ दर्जन क्षेत्रों में पानी भर गया।
नालों के बैक मारने से घाट बजरिया, नगला बिहारी, बाबा वाली गली, श्री संत गली सहित दो दर्जन बस्तियों की गलियां डूब गई हैं। बाह तहसील के सात गांवों का संपर्क टूट गया है। बिजली की आपूर्ति को बंद कर दिया गया है। जिन गांवों के चारो ओर पानी भर गया है। वहां पर स्टीमर से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। रात 10 बजे तक नदी का जलस्तर 499 फीट तक पहुंच गया।
नालों के बैक मारने बस्तियों में बढ़ी परेशानी
रविवार को जलस्तर 500 फीट के पार पहुंच सकता है। शहर से लेकर देहात तक हजारों लोगों की परेशानियां बढ़ जाएंगी। उधर, 15 साल के बाद ताजगंज मोक्षधाम स्थित विश्राम घाट भी जलमग्न हो गया है। कुछ यही पोइया श्मशान घाट की है। फाउंड्रीनगर श्मशान घाट तक पानी पहुंच गया है।
तनौरा-नूरपुर, नाहरगंज में आवागमन पर संकट
हथिनीकुंड बैराज, सहारनपुर के तीन गेट शनिवार को बंद कर दिए गए। पूर्व में बैराज से छोड़ा गया लाखों क्यूसेक पानी अब आगरा पहुंच रहा है। शनिवार को गोकुल बैराज से सुबह 1.33 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। दोपहर बाद यह बढ़कर 1.39 लाख क्यूसेक हो गया। इससे नदी के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी होने लगी।
कैलाश गांव के मकान में भर गया पानी
कैलाश गांव में केएस कुमार सहित छह घरों के लोगों के मकानों में पानी भर गया। लोगों ने मकानों को खाली करने से मना करते हुए पहले मंजिल पर सामान रख लिया। कई बार प्रशासनिक अधिकारियों ने समझाने का भी प्रयास किया। आसपास के दो दर्जन मकानों को भी खाली कराया जा रहा है। कृष्णा कालोनी, जीवनी मंडी रोड स्थित हरी किशन सहित तीन घरों में पानी भर गया। यहां 30 मकानों के लोगों ने पहली मंजिला पर सामान रखना शुरू कर दिया है।
लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया
पार्वती घाट, बल्केश्वर रोड तक पानी पहुंच गया है। मनोहरपुर और अमर विहार में दो-दो झोपड़ियां डूब गई हैं। समय पर लोगों ने इन्हें खाली कर दिया और सुरक्षित स्थलों पर पहुंच गए। तनौरा-नूरपुर गांव पूरी तरह से पानी से घिर गए हैं। अभी इन गांवों की सड़कों और गलियों तक पानी नहीं पहुंचा है। दोनों गांवों में आवागमन का मार्ग पूरी तरह से बंद हो गया है। कुछ यही स्थिति मेहरा नाहरगंज की भी है। 45 परिवारों को सुरक्षित स्थलों पर पहुंचा दिया गया है।
बटेश्वर धाम मंदिर श्रृंखला में पहुंचा यमुना जल
वहीं बाह तहसील के बटेश्वर धाम की ऐतिहासिक मंदिर श्रृंखला पूरी तरह से जलमग्न हो चुकी है। जान जोखिम में डालकर लोग मंदिर तक पहुंच रहे हैं। मुख्य मार्ग भी पानी में डूब गया है। आवागमन बंद हो गया है। इन तहसील के सात गांवों का संपर्क मुख्यालय से टूट गया है। बिजली की आपूर्ति को बंद कर दिया गया है। उधर, नालों के बैक मारने से नगला बिहारी रेलवे अंडरपास में पानी भर गया। घाट बजरिया सहित डेढ़ दर्जन गलियां पानी में डूब गई।
एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला ने बताया कि रविवार को जलस्तर में बढ़ोतरी होगी। जलस्तर 500 फीट तक पहुंच सकता है। 15 साल के बाद ताजगंज मोक्षधाम स्थित विश्राम घाट के मकानों में पानी भर गया। नालों के बैक मारने से समस्या बढ़ गई है।
बाह तहसील के प्रभावित गांव
गगनकी, पिढौंरा, कांकर, चंडीगढ़ शाला, बलाई, रीठई, ख्याली की मढ़ैया, बटेश्वर, मई, कलींजर, बुढ़ैरा, स्याइच, कोट, सिधावली, रुदुमुली, फेरेरी, होलीपुरा, कल्यानपुर, भरतार, विक्रमपुर, बड़ागांव, चौरंगाबीहड़, सुंसार, कछपुरा, पारना, नौगांव, गढ़वार, गढ़ी बरौली, चरीथा, कमतरी, कचौराघाट, पई, सूरजनगर, रामपुर चंद्रसैनी, बिठौली।
पोइया घाट में न करें अंतिम संस्कार
प्रशासन ने पोइया घाट पर अंतिम संस्कार न करने की अपील की है। पोइया घाट में सड़क तक पानी आ गया है।
9500 बीघा से अधिक फसल डूबी
यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से जिले के पांच तहसीलों में अब तक 9500 बीघा से अधिक फसल डूब चुकी है। सबसे अधिक बाजरा और हरी सब्जियों की फसल को नुकसान हुआ है। तहसील सदर में तीन हजार बीघा, फतेहाबाद तहसील में दो हजार बीघा, बाह में चार हजार बीघा प्रमुख रूप से शामिल है। किसानों ने जिला प्रशासन ने उचित मुआवजा की मांग की है।
यमुना नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी गई है। हर पल निगरानी की जा रही है। जिन गांवों में पानी भर गया है। उन्हें खाली कराया जा रहा है। राहत सामग्री समय पर पहुंचाई जा रही है। अरविंद मल्लप्पा बंगारी, डीएम
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