Agra Flood: 65 अधिकारियों और 350 कर्मचारियों की लगी ड्यूटी, यमुना में उफान से आगरा में बाढ़
आगरा में यमुना नदी के जलस्तर में वृद्धि से बाढ़ जैसे हालात हैं। प्रशासन बचाव कार्य में जुटा है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है पर कुछ स्थानों पर वितरण में समस्या आ रही है। स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। प्रभावित किसानों ने मुआवजे की मांग की है।

जागरण संवाददाता, आगरा। डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने शनिवार रात कैलाश घाट और गांव का निरीक्षण किया। घाट में बैरीकेडिंग कर दी गई है। लोगों से नदी की तरफ न जाने के लिए अनुरोध किया जा रहा है। उन्होंने लोगों से जरूरी दस्तावेज, खाने का कुछ सामान सहित अन्य सामान अपने पास रखने की अपील की।
एसडीएम सदर सचिन राजपूत ने बताया कि मकानों को खाली कराया जा रहा है। राहत सामग्री का भी वितरण किया जा रहा है। वहीं यमुना नदी में आई बाढ़ से बचाव कार्य के लिए 65 अधिकारियों और 350 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। दो से तीन घंटे के अंतराल में शासन को रिपोर्ट भेजी जा रही है।
चंबल नदी के जलस्तर में मामूली कमी
बाह तहसील के लोगों के लिए राहत की बात है। शनिवार को चंबल नदी के जलस्तर में कमी आई। शाम तक जलस्तर 125.7 मीटर तक पहुंच गया। सिंचाई विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दो से तीन दिनों तक जलस्तर स्थिर रहेगा। इसके बाद फिर से बढ़ोतरी होगी।
घरों के बाहर दिखे सांप
यमुनापार स्थित घाट बजरिया में सड़कों और गलियों में पानी भर गया है। शनिवार शाम को घरों के बाहर आधा दर्जन से अधिक सांप दिखे। इससे लोग परेशान हो गए। लोगों ने लाइट लगवाने की मांग की। स्थानीय निवासी मोहिनी अग्रवाल, रूचि अग्रवाल ने बताया कि नदी में आई बाढ़ के चलते सांप घरों के बाहर तक पहुंच गए हैं।
136 मरीजों का इलाज
मेहरा नाहरगंज में शनिवार को स्वास्थ्य शिविर लगाया गया। डाक्टरों की टीम ने 136 मरीजों का इलाज किया।
सीएचसी बरौली अहीर के अधीक्षक डॉक्टर अमित पांडेय ने बताया कि मरीजों को सभी दवाएं दी जा रही हैं। यमुना नदी किनारे बसे इस गांव में बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इसी के चलते शिविर लगाया जा रहा है।
तनौरा गांव में ठीक से नहीं पहुंच रही राहत सामग्री, मंत्री ने किया निरीक्षण
फतेहाबाद। यमुना नदी के लगातार बढ़ते जलस्तर से पुराना तनौरा गांव पूरी तरह से संपर्क विहीन हो गया है। चारों तरफ से बाढ़ का पानी घुस जाने के कारण करीब एक हजार की आबादी संकट में फंसी हुई है। गांव के लोग जहां खाने-पीने की वस्तुओं की किल्लत से जूझ रहे हैं। कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य ने बाढ़ पीड़ित गांवों का निरीक्षण किया। ग्रामीणों से बात की। ग्रामीणों ने पशुओं के लिए चारे और पानी की व्यवस्था न होने की बात कही। ग्रामीणों ने ठीक तरीके से राहत सामग्री पहुंचाने का अनुरोध किया। ग्रामीण देवी सिंह, रोशन लाल ने कहा कि राहत सामग्री हर दिन सुबह और शाम मिलनी चाहिए।
सीएमओ डा. अरुण श्रीवास्तव ने निरीक्षण किया। पशुओं के लिए चारा भी मिलना चाहिए। सीएमओ ने बताया कि एक अतिरिक्त बेड उपलब्ध कराया गया है। एक गंभीर मरीज को आगरा के लिए रेफर किया गया।
मुआवजा की मांग
बाह। पिछले माह चंबल नदी में आई दो बार की बाढ़ से बाह तहसील के तीन दर्जन से अधिक गांव बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सैकड़ों किसानों की दो हजार हेक्टेयर से अधिक फसल बर्बाद हो गई। भाकियू महाशक्ति के नवनियुक्त जिला अध्यक्ष हर्ष शर्मा ने शासन प्रशासन से किसानों को शीघ्र मुआवजा देने की मांग की है।
गदपुरा गांव से पहले बनाया बांध
एत्मादपुर। यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से गदपुरा गांव को खतरा पैदा हो गया है। शनिवार शाम पांच बजे गदपुरा गांव से 300 मीटर पूर्व जेसीबी से खोदाई की कर बांध बनाया गया। बांध बनाने से पानी गांव की तरफ नहीं जा रहा है। प्रधान नीरज देवी ने बतया कि गांव में पानी न भरे, इसके लिए हर प्रयास किया जा रहा है।
सुरहरा गांव की सड़क पानी में डूबी
कुबेरपुर। तहसील एत्मादपुर के गांव छोटा सुरहरा, बड़ा सुरहरा, नगला शीशीया, गढ़ी संपत्ति, रायपुर के अलावा केशोराय, रुधऊ (टूंडला), नूरपुर (डौकी) क्षेत्र के गांवों की हजारों बीघा फसल डूब गई है। सुरहरा गांव की सड़क पानी में डूब गई। छोटा सुरहरा गांव के पास तक जलस्तर पहुंच गया है।
खंदौली में सामान को पहली मंजिल में पहुंचा रहे लोग
खंदौली। खतरे के निशान पर बह रही यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। खंदौली क्षेत्र के लोगों की नींद उड़ गई है। लोगों ने मकानों की पहली मंजिल पर सामान रखना शुरू कर दिया है। गिजौली गांव के किनारे बने मकानों तक पानी पहुंच गया है। मदनपुर, डेरा बंजारा, धीगरौली, नगला गोदा समेत आधा दर्जन गांवों पर भी खतरा मंडरा रहा है।
गिजौली के महावीर सिंह, रिंकू सिंह, देवेंद्र सिंह, भोदा सिंह, बलबीर सिंह और शिशुपाल सिंह सहित कई ग्रामीण अपने परिजनों संग छतों पर रात बिता रहे हैं। वहीं, लोग ट्रैक्टरों से घरों की दीवारों के किनारे मिट्टी डालकर पानी का रास्ता रोकने की कोशिश कर रहे हैं ताकि मकानों को सुरक्षित रखा जा सके।
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