Agra Flood: ताजमहल को छूकर बह रही यमुना, दशहरा घाट डूबा... एत्माद्दौला की कोठरियां डूबीं
यमुना का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। ताजमहल के पास स्थित ताज हेरिटेज कॉरिडोर और यमुना किनारा रोड जलमग्न हो गए हैं। एत्माद्दौला में कोठरियों और दरवाजों तक पानी पहुँच गया है। मेहताब बाग और ताजमहल के पीछे का गार्डन भी डूब गए हैं। दशहरा घाट पूरी तरह से जलमग्न है। 1837 में यमुना किनारा रोड बनने से पहले नदी आगरा किला को छूकर बहती थी।

जागरण संवाददाता, आगरा। Agra Flood: कल-कल कर बहती कालिंदी अब लोगों को डरा रही है। हदें ताेड़ती यमुना अब उन स्थानों पर पहुंच गई है, जहां वह ब्रिटिश काल में बहा करती थी। ब्रिटिश काल की शुरुआत में यमुना आगरा किला को छूते हुए बहती थी। सोमवार को आगरा किला व ताजमहल के मध्य स्थित ताज हेरिटेज कारिडोर जलमग्न हो गया।
कॉरिडोर के फेज वन व फेज-टू में पानी भर चुका है। यमुना किनारा रोड पर भी जगह-जगह पानी पहुंचा। यमुना ताजमहल की उत्तरी दीवार को स्पर्श करते हुए बह रही है।
मेहताब बाग में टिकट विंडो तक पहुंचा बाढ़ का पानी
यमुना में बाढ़ का सर्वाधिक असर एत्माद्दौला पर नजर आ रहा है। सोमवार शाम तक स्मारक की यमुना किनारा स्थित 20 कोठरियों व दो जीनों के दरवाजों की चौखट तक पानी पहुंच गया। कोठरियों के छह फीट से ऊंचे दरवाजे पूरी तरह पानी में डूब गए। कोठरियों के अंदर पानी भर गया है। मेहताब बाग में टिकट विंडो तक पानी पहुंच गया। वर्ष 2023 में पानी भरने पर मेहताब बाग को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था। रामबाग के बराबर में स्थित सराय गेट में पानी भर गया है।
ताजमहल को छूकर बह रही है यमुना, दशहरा घाट डूबा
ताजमहल के पार्श्व में स्थित गार्डन पूरी तरह जलमग्न हो चुका है। यमुना ताजमहल की दीवार को छूकर बह रही है। बसई घाट स्थित ताजमहल की उत्तर-पश्चिमी बुर्जी के बराबर से पानी बाग खान-ए-आलम में पहुंच गया है। यहां जल स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। दशहरा घाट पूरी तरह जलमग्न हो गया है। इस तरफ किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है।
1837 में बना था यमुना किनारा रोड
यमुना वर्ष 1837 से पूर्व तक आगरा किला को छूकर बहती थी। वर्ष 1837 में यमुना किनारा रोड बनाया गया था। आस्ट्रियाई इतिहासकार ईबा कोच ने अपनी किताब 'द कंप्लीट ताजमहल एंड दि रिवरफ्रंट गार्डंस आफ आगरा' में वर्ष 1837 में राहत कार्य के रूप में यमुना किनारा रोड बनवाने का जिक्र किया है। तब इसे स्ट्रेंड रोड के रूप में जाना जाता था। इससे पूर्व यमुना के दोनों किनारों पर उद्यान व हवेलियां बनी हुई थीं। वर्ष 1666 में शाहजहां की मृत्यु होने पर आगरा किला से ताजमहल तक उसके शव को नाव में रखकर ले जाया गया था।
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