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    Agra Flood Alert: बाढ़ पीड़ितों को राहत के नाम पर थमा दी मोमबत्ती और माचिस, 30 हजार की आबादी बाढ़ से हुई प्रभावित

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 03:06 PM (IST)

    चंबल नदी में बाढ़ के कारण 35 गांवों के 30 हजार लोग प्रभावित हुए हैं। नौ गांवों का संपर्क टूट गया है। ग्रामीणों को राहत सामग्री के रूप में केवल मोमबत्ती और माचिस मिली राशन किट का वितरण नहीं किया गया। पशुओं के लिए चारे की कमी हो गई है और मगरमच्छों का डर बना हुआ है। बिजली आपूर्ति बंद होने से पेयजल का संकट भी गहरा गया है।

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    बाह में मोटर वोट से गोहरा गांव जाती एडीएम शिवांगी शुक्ला

    संवाद सूत्र, जागरण-बाह। चंबल नदी में बाढ़ के चलते 35 गांवों की 30 हजार आबादी प्रभावित हुई है। अब तक नौ गांवों का संपर्क तहसील मुख्यालय से टूट चुका है। बुधवार को हजारों ग्रामीणों को प्रशासन की तरफ से राहत मिलने की उम्मीद थी।

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    मगर, राहत के नाम पर प्रशासन ने ग्रामीणों को मोमबत्ती और माचिस थमा दिया। किसी भी गांव में राशन किट का वितरण नहीं किया गया। बाढ़ के चलते पशुओं के लिए हरा चारा का संकट खड़ा हो गया है।

    वहीं मगरमच्छों के डर से ग्रामीणों की नींद उड़ गई है। रोड और गलियों के पास शिफ्ट में पहरेदारी कर रहे हैं। ग्रामीणों को डर घरों में मगरमच्छों के घुसने का डर सता रहा है।

    एडीएम शिवांगी शुक्ला महिला से बात करती हुईं। जागरण


    चंबल नदी का जलस्तर 132 मीटर पहुंच गया है। इससे नौ गांवों का मुख्य रास्ता बंद हो गया है। 26 अन्य गांव भी बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। यानी 35 गांवों की 30 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित हो चुकी है। हरा चारा बर्बाद हो चुका है।

    भूसा सहित अन्य चारा भीग चुका है। इससे पशुओं केलिए चारा कासंकट खड़ा हो गया है। पुरा उमरैठा के छोटे लाल का कहना है कि बुधवार को राहत मिलने के आसार थे। मगर, शाम तक मोमबत्ती और माचिस दी गई।

    इसकी संख्या भी अधिक नहीं है। यह कुछ घंटे ही जल सकती है। गोहरा के राकेश यादव का कहना है कि बिजली की आपूर्ति बंद करने से संकट खड़ा हो गया है। अधिकांश घरों में हैंडपंप के बदले सबमर्सिबल लगे हुए हैं। बिना बिजली के संचालन नहीं हो सकता है। इससे पेयजल का संकट खड़ा हो गया है।

    इसी गांव के राम सनेही और दिनेश सिंह का कहना है कि तीन साल के बाद नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। जलस्तर बढ़ने पर जिस तरीके से कार्य करना चाहिए था। वह नहीं किया गया।

    पुराने पुल के ऊपर बहता चंबल नदी का पानी। जागरण


    भटपुरा के महेश, कुशल यादव का कहना है कि अभी तक पानी की आपूर्ति नहीं हुई है। न ही बीमार लोगों के इलाज के लिए स्वास्थ्य शिविर लगा है। सिर्फ मोमबत्ती और माचिस का वितरण किया गया है।

    रानीपुरा गांव के दाताराम का कहना है कि बिजली आपूर्ति बंद होने के बाद सोलर लाइट का इंतजाम नहीं किया गया है। गांव अंधेरे में डूबे हुए हैं। गुढ़ा के धन सिंह का कहना है कि बाढ़ के चलते मगरमच्छों के गांव में घुसने का खतरा बढ़ गया है। शिफ्ट में ग्रामीण पहरेदारी कर रहे हैं।

    चंबल नदी का रौद्र रूप। जागरण


    500 राशन किट तैयार

    एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला का कहना है कि बाढ़ पीड़ित गांवों के लिए 500 किट तैयार की गई हैं। किट में 10 किग्रा आटा, 10 किग्रा चावल, दो किग्रा अरहर कीदाल, दो किग्रा भूनाचना, 10 पैकेट बिस्कुट, ढाई किग्रा लाई और दो किग्रा चना सहित 26 आइटम हैं।