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    आगरा के बॉक्सर अभय के मुक्के पर कनाडा नाकआउट, वर्ल्ड पुलिस चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत बढ़ाया देश का नाम

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Thu, 10 Aug 2023 01:30 PM (IST)

    वर्ल्ड पुलिस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत लौटे बाक्सर अभय से जागरण की बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मां का आशीर्वाद और भाई का जोश जीत देकर गया। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि वे 13 अगस्त को आगरा आएंगे। 11 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह के साथ रात्रि भोज है। अभय ने बताया कि मैच काफी मुश्किल थे। सभी अनुभवी खिलाड़ी थे।

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    शहर के बाक्सर अभय प्रताप सिंह। सौ. स्वयं

    आगरा, जागरण संवाददाता। विदेशी धरती पर पहला अंतरराष्ट्रीय मुकाबला। रिंग के चारों तरफ दर्शकों की भीड़। भारतीय खिलाड़ी अभय प्रताप सिंह के सामने फाइनल मुकाबले में कनाडा का बाक्सर। दूसरे राउंड में ही अभय ने उसे नाकआउट कर दिया। इसके बाद भारतीय ही नहीं विदेशी भी झूम उठे। राष्ट्रगान की धुन के साथ जय हो... जय हो गूंज रहा था। अभय रोमांचित थे, गौरवान्वित थे। भारत लौटकर बोले मां का आशीर्वाद और भाई का जोश, यह जीत देकर गया। पिछले 12 वर्ष की मेहनत का परिणाम झोली में स्वर्ण पदक लेकर आया है।

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    शहर के बाक्सर अभय प्रताप सिंह ने कनाडा में आयोजित वर्ल्ड पुलिस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है। अभय आठ अगस्त को भारत लौटे हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि वे 13 अगस्त को आगरा आएंगे। 11 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह के साथ रात्रि भोज है। अभय ने बताया कि मैच काफी मुश्किल थे। सभी अनुभवी खिलाड़ी थे। सेमीफाइनल में ब्राजील के बाक्सर को हराने के बाद फाइनल में दूसरे राउंड में ही कनाडा पुलिस के नील कार्सवैल को नाक-आउट किया।

    अभय बताते हैं कि अपने देश के राष्ट्रगान की धुन सुन गर्व अनुभव हुआ। जीतने के बाद सबसे पहले अपनी मां अनीता चौहान को फोन किया था। उसके बाद अपने बड़े भाई विनय प्रताप को फोन किया। विनय ही अभय को बाक्सिंग में लाए थे। फिर अपने कोच राहुल सिंह को फोन कर अपनी जीत की जानकारी दी। अभय अब ओलंपिक की तैयारी करेंगे। वर्तमान में अभय दिल्ली में सशस्त्र सीमा बल की 25वीं बटालियन में तैनात हैं। अभय का चयन खेल कोटे से हुआ था। पिता ब्रजेंद्र सिंह चौहान मथुरा में सब इंस्पेक्टर हैं।

    अलग ही माहौल है वहां

    अभय ने बताया कि कनाडा में खेल के प्रति लोग काफी जुनूनी और उत्साहित हैं। रात तक मैच देखने के लिए स्टेडियम में रुके रहते थे। वहां पूरा परिवार खिलाड़ी का साथ देता है, मेहनत करता है। कनाडा में प्राथमिक स्तर पर ही वो सारी सुविधाएं खिलाड़ियों को मिल जाती हैं, जो भारत में कई सालों बाद मिलती हैं। विदेशों में उपकरण और संसाधन भी बहुत अच्छे हैं।

    भारतीयों ने दी बधाइयां

    कनाडा में बहुत से भारतीय हैं। अभय ने बताया कि जब उन्हें स्वर्ण पदक मिला तो सिख समाज के कई लोग उन्हें बधाई देने आए। पूरी भारतीय टीम को सिखों ने घुमाया। वहां की संसद की तरफ से भी प्रशस्ति पत्र दिया गया।