आंगनबाड़ी भर्ती में घोटाला: जांच में खुली धांधली की पोल, 12 कार्यकर्ताओं ने भर्ती में किया फर्जीवाड़ा
आगरा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका भर्ती में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। जांच में पता चला कि कम अंक वालों का चयन हुआ जबकि अधिक अंक वाले वंचित रहे। अभ्यर्थियों ने नौकरी पाने के लिए गलत तरीके अपनाए जैसे कि गलत जाति प्रमाण पत्र और आय प्रमाण पत्र जमा करना। जांच कमेटी ने डीएम को रिपोर्ट सौंप दी है जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

जागरण संवाददाता, आगरा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका की भर्ती में फर्जीबाड़ा हुआ है। कम अंक वाले का चयन हो गया है और अधिक अंक वाले को नहीं रखा गया। नौकरी पाने के लिए अभ्यर्थियों ने हर तरीका अजमाया है। एक तलाकशुदा महिला ने पांच साल के बाद पति के नाम पर जाति प्रमाण पत्र बनवाया लिया जबकि वह पिता के यहां रह रही है।
एक महिला का पति शिक्षक है। हर माह 55 हजार से अधिक वेतन है लेकिन तथ्यों को छिपाया गया। वेतन भी कम दिखाया गया। एक पद अनुसूचित जाति का था जिसमें पिछड़ा वर्ग की महिला की तैनाती कर दी गई। छह महिलाओं ने पुराने निवास प्रमाण पत्र के माध्यम से आवेदन किया है।
फर्जीवाड़ा में बाह और एत्मादपुर की तीन-तीन, किरावली, खेरागढ़ और फतेहाबाद की दो-दो कार्यकर्ता शामिल हैं। यह पर्दाफाश चार सदस्यीय कमेटी ने किया है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट डीएम को भेज दी है। जल्द ही डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी द्वारा आगे की कार्रवाई की जाएगी।
चार सदस्यीय कमेटी ने की जांच, नवंबर 2024 में 469 पदों पर हुई थी भर्ती
जिले में 469 पदों (आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं) की भर्ती सितंबर 2024 में निकली थी। 19 अक्टूबर 2024 तक आवेदन मांगे गए थे। विकास भवन स्थित जिला कार्यक्रम कार्यालय में हर दिन बड़ी संख्या में महिलाओं की भीड़ रही। दो हजार से अधिक आवेदन आए। इसमें 364 का चयन हुआ। चयन के एक माह के बाद ही शिकायतें होने लगीं। फर्जीवाड़ा के आरोप लगे। कई लोगों ने कलक्ट्रेट में ज्ञापन भी दिया। चार माह पूर्व डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला की निगरानी में कमेटी गठित की।
बाह और एत्मादपुर के तीन-तीन, खेरागढ़, किरावली और फतेहाबाद के दो-दो
कमेटी ने सप्ताह भर में शिकायतें मांगीं। 52 शिकायतें मिलीं। इन सभी शिकायतों की एक-एक कर जांच की गई। जांच में सात निवास प्रमाण पत्र पुराने, दो आय और एक जाति प्रमाण पत्र को लगाया गया था। शिकायतकर्ताओं ने इसके सुबूत भी उपलब्ध कराए। इन सभी प्रमाण पत्रों की संबंधित तहसीलदारों ने जांच की।
यह है जांच रिपोर्ट
- अनुसूचित जाति की सीट पर पिछड़ी जाति की महिला की तैनाती कर दी गई।
- मानक के अनुसार 60 प्रतिशत से अधिक अंक लाना था। एक महिला के अंक 48 प्रतिशत रहे। इसके बाद भी चयन हो गया।
- एक तलाकशुदा महिला ने अपने पति के नाम का प्रयोग किया और पुराना निवास प्रमाण पत्र लगाया।
- पांच महिलाएं ऐसी थीं। जिनकी शादी को पांच से 15 साल हो गए थे। नियमानुसार आवेदन में पति का नाम अंकित करना चाहिए था लेकिन पिता का नाम प्रयोग किया। पुराना निवास प्रमाण पत्र भी लगा दिया।
- एक महिला के पति शिक्षक थे। इसके बाद भी उसने आय को कम दिखाया। पांच लाख रुपये से कम का आय प्रमाण पत्र बनवाकर लगा दिया।
- तीन महिलाओं ने जाति प्रमाण पत्र के साथ ही कई तथ्यों को पूरी तरह से छिपाया। गलत जानकारी दी गई।
पांच तहसीलदारों ने रिपोर्ट कमेटी को भेज दी। 12 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा हुआ है। एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला ने बताया कि रिपोर्ट भेज दी गई है।
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